कोरोना ने बदला घर का नक्शा, खुली खिड़की से लेकर बालकनी की बढ़ी मांग Aligarh news
घर से बाहर जूते-चप्पल उतारना। हाथ-पैर धोना और फिर घर में प्रवेश। अब तक ग्रामीणों की मानी जाने वाली ये आदत कोरोना संकट में शहरियों की भी जरूरत बन गई हैं। अधिकतर घरों में इन दिनों यही हो रहा है।
अलीगढ़, जेएनएन । घर से बाहर जूते-चप्पल उतारना। हाथ-पैर धोना और फिर घर में प्रवेश। अब तक ग्रामीणों की मानी जाने वाली ये आदत कोरोना संकट में शहरियों की भी जरूरत बन गई हैं। अधिकतर घरों में इन दिनों यही हो रहा है। कोरोना ने मानव जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। घरों के नक्शे भी बदल गए हैं। अब घरों में लोग खुले क्षेत्र को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। खिड़की से लेकर बालकनी तक की मांग बढ़ गई है। वर्क फ्राम होम चलते घरों में ही आफिस के लिए जगह छोड़ी जा रही है।
एक साल पहले कोरोना ने दी थी दस्तक
पिछले साल मार्च में कोरोना ने दस्तक दी थी। अब तक दो लहरें आ चुकी हैं। इन बीच मानव जीवन में बड़ा बदलाव आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब तक ऊंची इमारतों में एक जगह बड़ी संख्या में लोग रहते हैं, लेकिन यह सेहत के लिहाज से अच्छा नहीं होता है। लिफ्ट की बटन और पास-पास रहने वाले पड़ोसी एक-दूसरे को संक्रमित कर सकते हैं। ऐसे में अब कोरोना के बाद भविष्य में लोग फ्लैट की जगह घर में रहना पसंद करेंगे। जहां आंगन और छत हो। अब घरों और इमारतों में अंडरग्राउंड यानी माइनस फ्लोर भी बढ़ेंगे। इसका इस्तेमाल पानी और खाने को स्टोर करने के लिए किया जाएगा। अब तक ओपेन प्लेन स्पेस्र इंट्रेंस्र लिविंग रूम, डाइनिंग स्पेस और किचन को एक साथ बनाने का चलन था, लेकिन अब नए ट्रेंड में घर का प्रवेश और रहने का एरिया अलग अलग होगा। एंट्रेस में ही लोग जूते, कपड़े और अपने सामान रखेंगे।
घर में ही बनेगी आफिस
कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की ज्यादा मारामारी रही है। ऐसे में अब घरों में पानी और हवा के फिल्ट्रेशन का चलन भी बढ़ेगा। घर को इस तरह बनाया जाएगा कि उसका तापमान नियंत्रित रहे। घर का एक हिस्सा ऐसा होगा, जो खुला हुआ है। यही हिस्सा सामान की डिलिवरी व मेहमानो के काम आ सके। लाकडाउन में वर्क फ्राम होम का चलन भी बढ़ा है। इसे देखते हुए आफिस भी बनवाने पर जोर है।
आफिस में होंगे बदलाव
इनका कहना है
आजा के हालात को देखते हुए घर के नक्शों की डिजाइन भी बदल गई है। अब लोग खुली खिड़की व बालकनी वाले घर ज्यादा पसंद कर रहे हैं। दो भागों में घरों के निर्माण शुरू हो रहे हैं।
देवेश, आर्किटेक्ट, एडीए
घरों में बगीचों के लिए भी जगह छोड़ी जा रही है। खुले क्षेत्रफल की भी मांग बढ़ी है। लोग बाहरी सामान रखने के लिए अलग जगह छोड़ रहे हैं। आफिस परिसरों में भी काफी बदलाव हो रहे हैं।
पीयूष अग्रवाल, आर्किटेक्ट
जो लोग अब तक पुराने शहर में घनी आबादी वाले क्षेत्रतों में रहते थे, वह अब बाहर निकल रहे हैं। शहर के आसपास नए मकान व अपार्टमेंट तलाश रहे हैं। कोरोना काल में भी रीयल एस्टेट कारोबार बढ़ा है।
प्रवीन मंगला, रीयल एस्टेट कारोबारी, ओजोन सिटी