बदहाल सड़कों पर अफसोस जताकर अक्सर निकल जाते हैं काफिले Aligarh News
शहर की सड़कों के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। खासकर पुराने शहर में सड़कें बदहाल पड़ी हैं। ऐसा नहीं कि राजनेता और प्रशासनिक अधिकारी इन सड़कों से न गुजरते हों। जरूरत पड़ने पर उनका काफिला भी इन सड़कों से निकलता है।
अलीगढ़, जेएनएन। शहर की सड़कों के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। खासकर पुराने शहर में सड़कें बदहाल पड़ी हैं। ऐसा नहीं कि राजनेता और प्रशासनिक अधिकारी इन सड़कों से न गुजरते हों। जरूरत पड़ने पर उनका काफिला भी इन सड़कों से निकलता है। उबड़-खाबड़ सड़कों पर लग्जरी गाड़ियां डगमगाती हैं। तब कुछ तकलीफ जरूर होती होगी, सोचते होंगे कि काश ये सड़कें ठीक होतीं। लेकिन, मंजिल तक पहुंचने के बाद न राजनेता इन सड़कों के बारे में सोचते और न ही अधिकारी। ख्याल तब आता है, जब पुन: इन्हीं सड़कों पर आना पड़ता है। सिलसिला यूं ही चलता रहता है। यही वजह है कि इन सड़कों की हालत नहीं बदल पा रही, न ही जिम्मेदार लोगों की मनोस्थिति।
प्रशासनिक अनदेखी से सड़क बदहाल
सड़कों का ये हाल भी प्रशासनिक अनदेखी से हुआ है। अमृत योजना के तहत अच्छी खासी सड़कें खोद दी गईं, लेकिन उन्हें पूर्व की भांति समतल करने के कोई प्रयास नहीं किए गए। मात्र औपचारिकता निभाई गई। जबकि, आदेश थे कि जिन सड़कों को खोदा जाए, उन्हें पूर्व की भांति किया जाए। कार्यदायी फर्मों की मनमानी के चलते सड़कों की हालत बिगड़ती चली गई। सासनीगेट क्षेत्र में पला रोड से प्रेम चौक होकर होली चौक जाने के लिए लिंक रोड है। ये रोड पला रोड को भगवान नगर, भदेशी रोड, अवतार नगर और वाल्मीकि बस्तियों से जोड़ता है। टीकाकरण हो या वाल्मीकि बस्तियों में जनजागरण कार्यक्रम, प्रशासनिक अधिकारी और नेताओं का काफिला इसी मार्ग से होकर गुजरता है। लेकिन, इन्हें इस सड़क की बदहाली नजर नहीं आती।
बीते साल बिछाई थी वाटर लाइन
पला रोड से होली चौक तक बीते साल सड़क खोदकर वाटर लाइन बिछाई गई थी। लेकिन सड़क के समतलीकरण में घोर लापरवाही बरती गई। घटिया सामग्री के इस्तेमाल के चलते सड़क जगह-जगह से धंस गई। लिंक रोड आधा बनाकर छोड़ दिया। उधर, हाथरस अड्डा से कालीदह मार्ग, भदेशी रोड से पला फाटक तक सड़क बदहाल पड़ी है। ये वो मार्ग हैं, जहां से हर दूसरे-तीसरे दिन सरकारी काफिला निकलता है। इन्हीं क्षेत्रों में सत्ताधारी भी रहते हैं, लेकिन इन बदहाल सड़कों को ठीक कराने के कभी प्रयास नहीं किए। अगर किए होते तो सड़कों की ऐसी हालत नहीं होती।