कोरोना से मौतों का सिलसिला जारी, अंत्येष्टि स्थलों को सहूलियतों का इंतजार Aligarh news

कोरोना काल में अंत्येष्टि स्थलों पर बोझ बढ़ रह है। हालात ये हैं कि शवों को जलाने और दफनाने के लिए जगह कम पड़ने लगी है। बेदियों के बाहर चिताएं जल रही हैं। कब्रें भी जहां-तहां खोदी जा रही हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 10:21 AM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 10:46 AM (IST)
कोरोना से मौतों का सिलसिला जारी, अंत्येष्टि स्थलों को सहूलियतों का इंतजार Aligarh news
कोरोना काल में अंत्येष्टि स्थलों पर बोझ बढ़ रहा है।

अलीगढ़, जेएनएन ।  कोरोना काल में अंत्येष्टि स्थलों पर बोझ बढ़ रहा है। हालात ये हैं कि शवों को जलाने और दफनाने के लिए जगह कम पड़ने लगी है। बेदियों के बाहर चिताएं जल रही हैं। कब्रें भी जहां-तहां खोदी जा रही हैं। ऐसी स्थितियों में भी अंत्येष्टि स्थलों को जरूरी सहुलियतें नहीं मिल पा रहीं। ढाई सौ साल पुराने भमोला श्मशान घाट के जीर्णोद्धार को एक करोड़ रुपये प्रस्तावित था। लेकिन, कुछ हुआ नहीं। वहीं, कोविड शवों को दफनाने के लिए आरक्षित शाहजमाल कब्रिस्तान में भी सुविधाओं की दरकार है। यहां बिजली, पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।

शवों की लगी रहती है कतार

श्मशान गृह और कब्रिस्तानों में प्रतिदिन शवों की कतार लगी रहती है। नुमाइश ग्राउंड स्थित श्मशान में शवों की कतार के बीच अंतिम संस्कार का इंतजार करना पड़ रहा है। शाहजमाल कब्रिस्तान में भी यही हाल हैं। 15 से 20 कब्रें प्रतिदिन खोदी जा रही हैं। इन हालातों में नगर निगम ने शहर के 40 कब्रिस्तान और 36 श्मशान गृहों में जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के दावे किए थे। कई स्थानों पर बाउंड्री वाल, अस्थिकुंड, स्ट्रीट लाइट लगाने का काम भी शुरू करा दिया है। लेकिन, शाहजमाल कब्रिस्तान इससे अछूता ही रहा। शाहजमाल बक्फ कमेटी के प्रदेश सचिव मुईन मोनू ने बताया कि 250 बीघा में फैले इस कब्रिस्तान में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके लिए हैंडपंप और समबर्सिबल की मांग नगर निगम से की थी। सैनिटाइजेशन सिर्फ दरगाह तक होता है। जहां कब्रें खोदी जा रही हैं, वहां सैनिटाइज करने टीम नहीं पहुंच रही। लाइट की व्यवस्था न होने से रात में शव आने पर काफी परेशानी होती है। उधर, भमोला पथवारी-राधाकृष्ण जनकल्याण समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि एएमयू परिसर के निकट भमोला श्मशान में प्रतिदिन सात-आठ शव आते हैं। रात में लोग जहां-तहां शव जलाकर चले जाते हैं। कुछ शव तो अधजले पाए गए। तब स्थानीय लोगों ने ईंधन डालकर इन्हें जलाया। उन्होंने बताया कि शासन ने इस श्मशान के जीर्णोद्धार के लिए नगर निगम को निर्देशित किया था। एक करोड़ रुपये का एस्टीमेट भी तैयार हुआ, लेकिन काेई काम नहीं हो सका। नगर निगम की सूची में भी इस श्मशान का नाम नहीं है। इस संबंध में कमिश्नर को अवगत कराया गया है।

इनका कहना है 

श्मशान व कब्रिस्तानों में नगर निगम ने काम शुरू करा दिया है। शाहजमाल कब्रिस्तान में भी सर्वे करा लिया है। यहां लाइट लगवाई जाएंगी। पानी की व्यवस्था भी होगी। अगले चार-पांच दिन में सारी व्यवस्थाएं करा दी जाएंगी।

अरुण कुमार गुप्त, अपर नगर आयुक्त

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