नाले पर रेलवे से बनी सहमति मगर पब्लिक काे न मना पाए, जानिए क्या है मामला Aligarh News
एक नाले के निर्माण पर नगर निगम ने रेलवे से तो सहमति बना ली लेकिन अधिकारी पब्लिक को नहीं मना पाए। यही वजह रही कि नौरंगाबाद इलाके में जिस नाले की नींव 2017 में रखी गई थी वह अब तक पूरा नहीं हो सका।
अलीगढ़, जेएनएन। एक नाले के निर्माण पर नगर निगम ने रेलवे से तो सहमति बना ली, लेकिन अधिकारी पब्लिक को नहीं मना पाए। यही वजह रही कि नौरंगाबाद इलाके में जिस नाले की नींव 2017 में रखी गई थी, वह अब तक पूरा नहीं हो सका। श्मशान गृह से गुजर रहे मार्ग पर इस नाले को लेकर ऐसा विवाद खड़ा हुआ कि नगर निगम ने निर्माण कार्य बंद करा दिया। निर्माण कार्य भविष्य में होगा या नहीं, निगम अधिकारी स्पष्ट नहीं कर पा रहे। नाला निर्माण में लगाई गईं सरिया व निर्माण सामग्री कर्मचारी पहले ही ले गए थे। स्थानीय लोगों ने खोदा गया गड्ढा भरवा दिया है। हालांकि, कुछ लोग नाला निर्माण की मांग कर रहे हैं। इनका कहना है कि नाला बनने का जलभराव की समस्या दूर हो जाएगी।
यह है विवाद
गांधीपार्क क्षेत्र में छर्रा अड्डे से रेलवे लाइन के सहारे करीब 250 मीटर नाले का टेंडर 2017 में हुआ था। निर्माण कार्य शुरू होते ही रेलवे ने आपत्ति जता दी। विभागीय अधिकारियों ने रेलवे की संपत्ति पर अतिक्रमण का आरोप नगर निगम पर लगाकर मुकदमा भी दर्ज करा दिया। तब एक निगम कर्मी को जेल भी जाना पड़ा था। इसके बाद रेलवे से सामंजस्य बनाने के प्रयास शुरू हुए। रेलवे की सहमति पर 230 मीटर नाले का निर्माण करा दिया गया। 25 मीटर नाला शेष था, जो भुर्जी मरघट की दीवार के सहारे बनना था। नगर निगम के निर्माण विभाग ने खोदाई कराकर सरिया का जाल बिछा दिया। तभी स्थानीय लोगों ने यह कहते हुए आपत्ति कर दी कि नाला निर्माण से सड़क की चौड़ाई कम हो जाएगी। सुझाव दिया कि मरघट की दीवार छह मीटर पीछे कर नाला बना दिया जाए। इसके लिए मरघट की देखरेख कर रहे कायस्थ भुर्जियान बगीची एवं मरघट ट्रस्ट के पदाधिकारी तैयार नहीं हुए।
कर्मचारियों से मारपीट
विवाद गहराने पर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए। निर्माण कार्य में लगे कर्मचारियों से मारपीट तक हो गई। बीते वर्ष नवंबर में नगर निगम ने काम बंद करा दिया। कर्मचारी सरिया व निर्माण सामग्री लेकर चले गए। मरघट ट्रस्ट के पदाधिकारियों का कहना है कि नाला बनने से जलभराव की समस्या दूर हो जाएगी। मरघट के बाहर जलभराव रहता है, कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। नाला बन जाए तो इससे निजात मिल जाए। उधर, निगम अधिकारी प्रकरण में कुछ स्पष्ट नहीं बता पा रहे हैं।