अपनों की चिंता, कोविड अस्पताल परिसर में तीमारदारों को बसेरा Aligarh news
अलीगढ़ जेएनएन । कोरोना महामारी की भयावह स्थिति के बीच जहां कोविड अस्पतालों में जाने के नाम से ही लोग घबरा जाते हैं वहीं इन दिनों दीनदयाल कोविड अस्पताल परिसर को तमाम लोगों ने अपना अस्थाई बसेरा बना रखा है।
अलीगढ़, जेएनएन । कोरोना महामारी की भयावह स्थिति के बीच जहां कोविड अस्पतालों में जाने के नाम से ही लोग घबरा जाते हैं, वहीं इन दिनों दीनदयाल कोविड अस्पताल परिसर को तमाम लोगों ने अपना अस्थाई बसेरा बना रखा है। दरअसल, ये सभी लोग अस्पताल में भर्ती संक्रमित मरीजों के परिवार वाले हैं, जो समझाने के बाद भी घर नहीं लौट रहे। मरीज की सेहत को लेकर चिंतित ये लोग पल-पल उनकी खबर ले रहे हैं। दिनरात खुले आसमान के नीचे बसर कर रहे हैं। अधिकारी इस स्थिति से चिंतित तो है, मगर हालात को देखते हुए इन्हें परिसर से बाहर नहीं किया गया है।
300 से अधिक मरीज
दीनदयाल कोविड अस्पताल में करीब 400 मरीजों के उपचार की व्यवस्था का दावा है। हालांकि, 250 से अधिक मरीज आक्सीजन पर हैं। इन मरीजों के तीमारदार दिन-रात उनकी जिंदगी के लिए फिक्रमंद रहते हैं। मृत्यु दर में इजाफा होने के कारण ज्यादातर लोग अपने मरीज को छोड़कर नहीं जा रहे। ये लोग अस्पताल परिसर में ही जगह-जगह डेरा जमाए हुए हैं। लगातार फोन पर मरीज का हाल-चाल लेते रहते हैं। दिन हो या रात, मरीज की सेहत पर नजर रखते हैं। कोई भी समस्या होने पर डाक्टर व स्टाफ को आगाह भी करने से भी नहीं झिझकते। कई बार समाधान न होने पर खुद कोविड वार्ड में पहुंच जाते हैं। कर्मचारियों की डांट सहकर भी मरीज का खुद हालचाल लेते हैं। परेशानी पूछते हैं।
संक्रमण का खतरा भूले
परिसर को अस्थाई बसेरा बनाए लोगों को इस बात से भी डर नहीं लग रहा है कि यह कोविड अस्पताल है। कदम-कदम खतरा है। फिंजा में वायरस हो सकता है। केवल चेहरे पर मास्क लगाकर तमाम फिक्र को भुला बैठे हैं। उन्हें फिक्र है तो केवल अपने मरीज की, जिसके जल्द स्वस्थ होने की आस ये लोग लगाए रहते हैं। कई बार चिकित्सक व अन्य अधिकारी इन लोगों को खतरे से आगाह भी करते हैं। मास्क लगवाते हैं। मरीज के डिस्चार्ज वाला दिन काफी राहत भरा होता है। वहीं, कुछ लोगों के लिए मातम का दिन। बहरहाल, परिवार वालों का जज्बा भी कोरोना के खिलाफ कम नहीं।
इनका कहना है
कई बार लोगों को समझाया गया कि अस्पताल में मरीजों का ख्याल रखा जा रहा है, मगर लोग नहीं मानते हैं। परिसर में ही रुके हुए हैं। कई बार इनकी वजह से परेशानी भी होती है।
- डा. वीके सिंह, सीएमएस।