आओ रोपें अच्छे पौधे: एक तिहाई लोग पूरी जिंदगी नहीं लगाते एक भी पौधा Aligarh News

अगर एक व्यक्ति एक साल में एक पौधा भी लगाकर उसकी देखभाल करे तो साल में 40 लाख पौधे तैयार हो जाएंगे। कुछ ही सालों में यह आंकड़ा करोड़ों में पहुंच जाएगा।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Fri, 03 Jul 2020 09:58 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 12:36 AM (IST)
आओ रोपें अच्छे पौधे: एक तिहाई लोग पूरी जिंदगी नहीं लगाते एक भी पौधा Aligarh News
आओ रोपें अच्छे पौधे: एक तिहाई लोग पूरी जिंदगी नहीं लगाते एक भी पौधा Aligarh News

अलीगढ़ [जेएनएन]: जल की तरह पेड़-पौधे भी हमारे जीवन का अविभाज्य अंग हैं। लेकिन, दिनों दिन पौधों की कम होती संख्या मानव जीवन के लिए सबसे बड़ी ङ्क्षचता है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि हम पौधे लगाते कम हैं, काटते ज्यादा हैं। अगर एक व्यक्ति एक साल में एक पौधा भी लगाकर उसकी देखभाल करे तो साल में 40 लाख पौधे तैयार हो जाएंगे। कुछ ही सालों में यह आंकड़ा करोड़ों में पहुंच जाएगा। लेेकिन ज्यादातर लोग पूरी जिंदगी एक पौधा तक नहीं लगाते हैं। कुछ शौक में पौधे तो लगा देते हैं, लेकिन फिर पलट कर नहीं देखते। ऐसे में देखभाल के अभाव में कुछ ही सालों में वह नष्ट हो जाते हैं। दैनिक जागरण ने आओ रोपें, अच्छे पौधे अभियान के तहत शहर से लेकर देहात तक करीब दो से अधिक लोगों से बातचीत की। इसमें सामने आया है कि एक तिहाई लोग पूरी जिंदगी एक भी पौधा नहीं लगाते हैं। आधे से ज्यादा लेाग पौधा लगाकर उसकी देखभाल नहीं करते है। अधिकतर किसान व्यवसाय के तौर पर अपने खेतों पर पौधे लगाते हैं। सरकारी कर्मचारी व बुजुर्ग लोग पौधारोपण में अच्छी खासी दिलचस्पी लेते हैं। युवाओं का भी पौधोरोपण के प्रति रुझान कम रहता है। प्रस्तुत है अभियान की विस्तृत रिपोर्ट...  

ऐसे की पड़ताल

दैनिक जागरण ने गुरुवार को इगलास, गभाना, अतरौली, छर्रा, अकराबाद के साथ ही शहर के पांच संवाददाताओं को अलग-अलग क्षेत्रों में पौधारोपेण को लेकर पड़ताल की। सभी वर्ग व उम्र के लोगों से बातचीत की। व्यापारी, कर्मचारी, किसान, खिलाडिय़ों को भी शामिल किया। इनकी पौधोरोपण के प्रति रुचि, देखभाल तक को लेक राय जानी गई। इसमें काफी चौकाने वाले आंकड़े सामने आया। सबसे खास बात यह है कि लोग पौधारोपण में दिलचस्पी तो लेते हैं। लेकिन, उनकी देखभाल नहीं करते हैं। इसी कारण पौधे नष्ट हो जाते हैं। वहीं, महज 10 फीसद लोग ही अपने जन्मदिन व पुरखों के नाम से पौधारोपण करते हैं। 80 फीसद किसान अपने आमंदनी के लिए पौधारोपण करते हैं। इसमें फलदार व लकड़ी अधिक वाले दोनों तरह के पौधे होते हैं। व्यापारी पौधारोपण तो करता है, लेकिन इनकी संख्या साल में दो चार ही होती है। कुछ क्लब समूह बनाकर पौधारोपण करते हैं। कुछ व्यापारी अपने फार्म हाउस पर पौधे लगाते हैं। यही हाल सरकारी कर्मचारियों का भी है। वह भी पौधे लगाते हैं, लेकिन देखभाल नहीं कर पाते।अगर उम्र की बात करें तो 40 से 70 साल के बीच वाले लोग सबसे अधिक पौधे लगाते हैं। युवा व खिलाड़ी पौधारोपण में कम दिलचस्पी ही लेते हैं। 

यह मिला सूरतेहाल 

अकराबाद के करेहला निवासी 60 वर्षीय मुलायम सिहं यादव ने बताया कि उनके पिता ने खेतों के आसपास तथा खेत की मेड़ों पर तमाम छायादार व फलदार पौधे लगाए थे। अब इनमें अधिकांश पौधे बड़े हो चुके हैं। गांव के अधिकांश लोग इनके नीचं छांव लेते हैं। लेकिन, कुछ दिन पहले पारिवारिक स्थिति ऐसी बनी कि उन पेड़ों को बेचना पड़ा।  इससे अच्छी आय है। लेकिन, उन्हें इसका मलाल है कि जिन पौधों से उन्हें आय होती थी, वह अपने जीवन में एक भी पौधा नहीं लगा पाए हैं। यहीं के 40 वर्षीय दिनेश यादव कहते हैं कि उनके पिता ने घर में नीम का पौधा लगाया था। अब यह पौधा बड़ा हो गया है। पिता को गुजरे भी 25 साल हो चुके हैं। लेकिन, जब भी वह इस पौधे के नीचे छांव लेते हैं तो उन्हें पिता की याद आ जाती है। वह भी अपने हाथों से गांव में कई पौधे लगा चुके हैं। इसी क्षेत्र के जिरौली हीरा ङ्क्षसह निवासी 25 वर्षीय ललित कहते हैं कि 2018 में वह एक मित्र के साथ बाइक पर जा रहे थे। खैर रोड पर पहुंचने पर उनकी बाइक में पंचर हो गया। मुझे गर्मी में वहां एक पेड़ के नीचे बैठना पड़ा। तभी से मुझे पौधे का अहसास हुआ। तब से प्रण लिया है कि मै पूरे जीवन में 10 हजार पौधे लगाउंगा। मै अब तक सैकड़ों पौधे लगा चुका हैं।

200 से अधिक पौधे लगाए

इगलास के तेहरा गांव निवासी 52 वर्षीय कृष्णलाल सिहं ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में दो सौ से अधिक पौधे लगाए हैं। नगला जंगली निवासी 28 वर्षीय रवेंद्र ङ्क्षसह कहते हैं कि उन्होंने अपने खेत पर चार पौधे लगाए थे। 57 वर्षीय निवासी दिनेश बंसल्र कहते हैं कि वह पहले दिल्ली रहते हैं कि वहां आधा दर्ज पौधे रोपे थे। हीरा का नगला निवासी 32 वर्षीय निवासी दिनेश शर्मा कहते हैं कि उनके पिता ने आंवला का बाग लगाया था। अब आंवला अच्छी खासी आमंदनी दे रहा है। 

पौधों को देखकर मिलती है खुशी

गभाना क्षेत्र के सोमना निवासी 35 वर्षीय बंटू ङ्क्षसह कहते हैं कि वह अब तक 20 से अधिक पौधे लगा चुके हैं। अब यह पौधे छांव दे रहे हैं। चंडौस के 40 वर्षीय आशीष सारस्वत कहते हैं कि पिता का लगाव देखते हुए उन्होंने 35 साल की उम्र में पहला पौधा लगाया था। लेकिन, अब इन पौधा को बढ़ता देख खुशी का अहसास होता है। पैराई गांव के प्रवीन प्रताप सिहं कहते हैं कि उनके यहां पीपल का पेड़ पिछले दिनों आंधी के चलते गिर गया था। अब उन्होंने दादा की याद में फिर से एक पौधा लगाया है। अतरौली के काजिमावाद निवासी नीरज वाषर्णेय कहते हैं कि उन्हें बचपन से ही पौधे लगाने का शौक रहा है। लेकिन, पहले वह देखभाल नहीं कर पाते थे।  लेकिन, अब वह अच्छी तरह इन्हें देखते हैं। हरदेाई निवासी लाखन सिहं कहते हैं कि वह स्कूलों में पढऩे के दौरान पौधे लगाते थे। वह स्थिति आज भी कायम है। अपने बच्चों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। ताला हार्डवेयर निर्माता नीरज अग्रवाल कहते हैं कि उन्हें पेड़ों व हरियाली से विशेष लगाव है। अपने फैक्ट्री में ग्रीन बैल्ट अलग से बनाई हुई है। गांधी इंटर नेशनल के मालिक गौरव गांधी कहते हैं कि जब फैक्ट्री का निर्माण कराया गया था, तब आधी जमीन पर पक्का निर्माण हुआ। आधी पर फलदार आम कठहल, नीबू, अनार के पौधे लगाए। 

पौधों के लिए नहीं कराया पक्का निर्माण 

निर्यातक उपेंद्र वाष्र्णेय का खैर रोड गौंडा मोड प्रेम विहार में आवास है। उपेंद्र वाष्र्णेय के पिता प्रेम वाष्र्णेय ने अपने कोठी के सामने व कोठी परिसर में पक्का निर्माण इस लिए नहीं कराया कि यहां जब खेती किसानी होती थी, तब नीम, आम, अनार, नीबू आदि को पेड लगे हुए थे। इन्हे काटने से ज्यादा पोषित करने पर वाष्र्णेय परिवार ने जोर दिया। आमने सामने छह बीघा इस जमीन में छाया दार व फलदार वृक्षों के साथ ऑर्गेनिक खेती की जा रही है। जिसमें अनाज व सब्जी उगाई जा रही हैं। उपेंद्र वाष्र्णेय ने कहा कि वह पिताजी की इस धरोहर को संभाले हुए हैं। उपेंद्र के पिता खुद पेड व पौधों की देखरेख करते हैं। 

संयुक्त रूप से लगाते हैं पौधे

शहर के युवा ङ्क्षकचित वाष्र्णेय, गौरव गुप्ता, गोपाल ङ्क्षसह, दीपक माहेश्वरी और सबूर मसूद पिछले दो साल से शहर व अन्य कई स्थानों पर पौधे लगाने का कार्य कर रहे हैं। इन्होंने एसोसिएशन फॉर चाइल्ड एजुकेशन एंड कंर्जवेशन ऑफ एनवायरमेंट एनजीओ के माध्यम से पिछले साल शहर में अलग.अलग स्थानों पर दो हजार पौधे लगाए थे। इसके साथ ही नक्वी पार्क से पांच सौ पौधे खरीद कर लोगों को बांटे। यह पौधे लगाने के साथ ही देखभाल भी करते हैं।पौधे लगाने का शौक शुरू से ही रहा है मेरे द्वारा अब तक 1000 से 1500 पौधे लगाई जा चुके हैं जिनमें से कुछ पौधे मर गए थे बाकी की देखभाल आज भी करता हूं। 

 इसी वर्ष फरवरी में नाती शिवां व मई में नातिन कुनालिका के पहले जन्म दिवस के उपलक्ष्य में उन्होंने पेड़ लगाए हैं। जिनकी प्रतिदिन खादए पानी देखने के अलावा परवरिश का विशेष ध्यान रखते हैं।

जितेेद्, नविासी केशवकुंज 

पौधों से ही बीमारियां खत्म होगी

पौधों के महत्व को लेागों को समझाना चाहएि। अधिक से अधकि पौधों को लगाने से ही बीमारङ्क्षंया खत्म होगी। लोगों को इनकी देखभाल पर विशेष ध्यान देना होगााा। 

एपी उपाध्याय, डीएफओ 

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