भारत बंद : अलीगढ़ में सांसद के पुतले की अर्थी शहर में घुमाई, खफा हैं सर्वण

एससी एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में सांसद के पुतले की शहर में घुमाई अर्थी। केंद्र सरकार से खफा हैं सर्वण।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 Sep 2018 11:00 AM (IST) Updated:Thu, 06 Sep 2018 06:10 PM (IST)
भारत बंद : अलीगढ़ में सांसद के पुतले की अर्थी शहर में घुमाई, खफा हैं सर्वण
भारत बंद : अलीगढ़ में सांसद के पुतले की अर्थी शहर में घुमाई, खफा हैं सर्वण

अलीगढ़ : एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में सवर्ण संगठनों के बंद के आह्वान का शहर से देहात तक मिला जुला असर रहा। प्रदर्शनकारियों ने धनीपुर मंडी को बंद करा दिया और प्रदर्शन किया। भाजपा सासद सतीश गौतम के आवास पर जमकर प्रदर्शन किया और एडीएम सिटी श्याम बहादुर सिंह को ज्ञापन दिया। इस दौरान पुलिस से नोकझोंक भी हुई। सुबह के समय प्रदर्शनकारियों ने गुस्से का इजहार करते हुए रैली के साथ सांसद के पुतले की अर्थी को शहर में सेंटर पाइंट, रामघाट रोड आदि जगहों पर घुमाया।

देहात में व्यापक असर रहा। इगलास, अकराबाद आदि क्षेत्रों में व्यापक असर देखा गया, जबकि अन्य इलाकों में मिला जुला असर रहा। शहर की धनीपुर मंडी पूरी तरह से बंद रही। शहर में सुबह के समय मिला जुला असर था। 11 बजे बाजार बंद करा दिए गए। रेलवे रोड, समद रोड, सेंटर पाइंट गल्ली गुल्ली जी सहित ज्यादातर शहर के बाजार बंद हो गए।

सतर्कता बरतते हुए सांसद सतीश गौतम के कार्यालय पर फोर्स तैनात कर दिया गया था। दमकलें भी लगा दी गई थीं। इगलास में एससी, एसटी एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाले सरकार के कदम के विरोध में सवर्ण समाज लामबंद हो गए हैं। एक्ट के विरोध में व्यापार मंडल ने गुरुवार को भारत बंद का आह्वान किया गया था। व्यापार मंडल के आव्हान पर व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। नगर के अलीगढ़ मार्ग स्थित ओम सेलीब्रेशन पर बैठक हुई। जिसमें सामान्य व पिछड़ी जातियों के लोगों के साथ भारतीय किसान यूनियन, व्यापार मंडल, जाट महासभा, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा, कैमिस्ट एसोसिएशन आदि ने भाग लेकर आदोलन का समर्थन किया।

पिछड़ी जातियों के साथ किया अन्याय

रैली में शामिल लोगों का कहना था कि इस एक्ट का दुरुपयोग होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया था। लेकिन सरकार ने एक्ट में संशोधन कर सवर्ण व पिछड़ी जातियों के साथ अन्याय किया है। इस एक्ट के तहत निर्दोष होने के बाद भी व्यक्ति को छह महीने तक जेल में रहना पड़ेगा। पुन: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को वापस लागू न किए जाने तक यह आदोलन जारी रहेगा। बैठक के बद लोगों ने सड़क पर रैली निकाली। बैठक में हरीश शर्मा, हरवीर सिंह, सुरेंद्र सिंह, चौ. हरपाल सिंह, गम्भीर सिंह, सत्यप्रकाश शर्मा, ललित उपाध्याय, लक्ष्मी नारायण कौशिक, गौरीशकर उपाध्याय, प्रमोद गुप्ता, बल्लभ चौधरी, देवराज तिवारी, उमाकात अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, गौरव सिंघल, दिनेश गोयल, कन्हैयालाल बंसल, मनोज शर्मा, पीयूष शर्मा, रानू शर्मा, संदीप बंसल, राजुद्दीन खा, सोनू अग्रवाल, दीपेश दीक्षित, पंकज गौतम, गिर्राज किशोर, गोपाल गुप्ता, मोहित अग्रवाल आदि लोग शामिल रहे।

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केंद्र सरकार से इसलिए खफा हैं सर्वण

केंद्र सरकार द्वारा दोबारा उसके मूल स्वरूप में लाने के कारण सवर्ण समुदाय नाराज है। सवणरें का गुस्सा आज सड़कों पर दिखा। सवर्ण चाहते हैं कि एससी/एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसका ही पालन हो।

ये है सवणरें की माग

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट पर जो फैसला सुनाया था उसे सवर्ण समाज बिल्कुल सही मानता है। सवर्ण समुदायों का कहना है कि इस एक्ट का दुरुपयोग कर उन्हें झूठे मामलों में फंसाया जाता है। यही कारण है कि लोग एससी/एसटी एक्ट पर शीर्ष न्यायालय के फैसले को बहाल करने की माग कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ये दिया था फैसला

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने इसी साल मार्च में एससी/एसटी एक्ट में बदलाव करने का फैसला दिया था। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी मामले में दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जाच की जाए। अभियुक्त की गिरफ्तारी करने के लिए पूर्व अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा एक्ट की धारा 438 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून पर लागू होगी।

क्या किया केंद्र सरकार ने?

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में दलितों का गुस्सा फूट पड़ा। इसी साल दो अप्रैल को दलितों ने भारत बंद बुलाया था, जिसमें काफी हिंसा हुई थी। इसी वजह से सरकार पर दबाव बना और सरकार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटना पड़ा। सरकार ने मानसून सत्र में एससी-एसटी एक्ट में संशोधन से संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी।

आखिर क्या है एससी/एसटी एक्ट?

दरअसल, एससी/एसटी एक्ट के तहत दलित समुदाय का कोई व्यक्ति यदि किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराता है, तो आरोपी व्यक्ति के खिलाफ तुरंत प्राथमिकी दर्ज हो जाती है। इतना ही नहीं बल्कि उसे बिना जाच के गिरफ्तार कर लिया जाता है। - एससी/एसटी एक्ट में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है।

-आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी, हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी।

-एससी/एसटी मामले में जाच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर करेंगे।

-जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा।

-एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी।

-सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जाच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होगी।

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