अलीगढ़ में कर्बला के शहीदों को याद कर मनाया चेहल्लुम
कोविड गाइडलाइन का किया गया पालन नहीं निकले जुलूस।
जासं, अलीगढ़ : नवासा ए रसूल हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत को याद कर मंगलवार को सादगी के साथ चेहल्लुम मनाया गया। कोरोना प्रोटोकाल के चलते इस बार भी जुलूस नहीं निकाला गया। इबादतगाहों में मजलिसें हुईं। एएमयू के बैतुल सलात में भी सादगी के साथ चेहल्लुम मना। शहर में किसी तरह का जुलुस न निकले, इसके लिए पुलिस व प्रशासन के अफसरों ने पूरी तरह निगरानी रखी। हालांकि मुस्लिम समाज ने जुलूस निकालने का कोई प्रयास नहीं किया और कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए सादगी से चेहल्लुम को मनाया।
इस साल भी सरकार के दिशा निर्देश और कोरोना गाइडलाइन का पालन कर चेहल्लुम का जुलूस नहीं निकाला गया। लोगों ने अपने घरों व इबादतगाहों में मजलिस और अजादारी की। धर्मगुरुओं ने बताया कि मुहर्रम की 10 तारीख को हजरत इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों को यजीद की जालिम फौज ने कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था। इमाम हुसैन के परिवार को बंदी बना लिया गया था। सफर की 20 तारीख को यजीद ने परिवार को कैदखाने से रिहा कर दिया गया। तब इमाम हुसैन की बहन जनाबे जैनब ने वहीं एक घर में मजलिस की, जो इस्लाम की सबसे पहली मजलिस थी। अंजुमन तंजीम उल आजा एएमयू के महासचिव सैयद नादिर अब्बास नकवी ने बताया कि पूरी दुनियां में चेहल्लुम मनाया जाता है। इमाम हुसैन ने जुल्म की खिलाफ अपनी जान कुर्बान कर पूरी दुनिया को बता दिया था कि जब जब जुल्म हो तो उसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करो। बैतुल सलात में सुबह नौ बजे तिलावत ए कलाम पाक से मजलिस का आगाज हुआ और अहमद अब्बास जैघम जैदी ने मर्सिया पढ़ा। प्रो. मौलाना तैयब रजा नकवी ने मजलिस की। 11:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक जियारत हुई। हर जगह कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया गया।