अलीगढ़ में सपा-बसपा के सीट बंटवारे से भाजपा को चुनौती!
सूबे में सपा-बसपा के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। मंडल में बसपा के खाते में अलीगढ़ सीट आई है। हाथरस (सुरक्षित) व एटा में सपा लड़ेगी। वर्तमान में इन सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
अलीगढ़ (विनोद भारती)। सूबे में सपा-बसपा के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। मंडल में बसपा के खाते में अलीगढ़ सीट आई है। हाथरस (सुरक्षित) व एटा में सपा लड़ेगी। वर्तमान में इन सीटों पर भाजपा का कब्जा है। 2014 के लोकसभा चुनाव व 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा के संयुक्त मतों पर नजर डालें और रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के गुरुवार को दिए बयान को देखें तो भाजपा के लिए चुनौती बढ़ सकती है। जयंत ने सपा-बसपा का खुलकर समर्थन करने का एलान किया है।
पिछले चुनाव में यह था आंकड़ा
पिछला लोकसभा चुनाव मोदी लहर में लड़ा गया था। अलीगढ़ लोकसभा सीट की बात करें तो यहां भाजपा प्रत्याशी सतीश गौतम ने 5 लाख 14 हजार 622 मत हासिल किए। पूर्व मंत्री जयवीर सिंह के पुत्र व बसपा प्रत्याशी डॉ. अरविंद कुमार को 2 लाख 27 हजार 886 व सपा के जफर आलम को 2 लाख 26 हजार 284 वोट मिले। भाजपा और सपा-बसपा को मिले कुल मतों का अंतर मात्र 60 हजार था। 2009 में बसपा अपने बूते जीत हासिल कर चुकी है। 2004 में कांग्र्रेस भी जीत चुकी है।
भाजपा ने बसपा को हराया
हाथरस सीट पर भाजपा के राजेश दिवाकर ने 5 लाख 44 हजार 277 मत पाकर इतिहास रचा। बसपा के मनोज सोनी को 2 लाख 17 891, सपा के रामजीलाल सुमन को 1 लाख 80 हजार 891 (दोनों को 3 लाख 98694) मिले। रालोद के निरंजन धनगर को 86 हजार 109 मत मिले। सपा-बसपा यहां से कभी नहीं जीती। 2009 में रालोद की सारिका सिंह बघेल खाता खोल चुकी हैं। यह भाजपा के किशनलाल दिलेर की पारंपरिक सीट रही है।
पिता के बाद पुत्र बने सांसद
एटा लोकसभा सीट से वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया सांसद हैं। 2014 में उन्हें 4 लाख 74978 मत मिले। सपा के देवेंद्र यादव को 2 लाख 73977 वोट व बसपा के नूर मोहम्मद खान ने 1 लाख 37127 (दोनों को करीब 4.11 लाख) मत मिले। 2009 में कल्याण सिंह सांसद रहे। 2004 व 1999 में सपा के देवेंद्र यादव ने जीत हासिल की।
मुस्लिम मतों की चिंता खत्म
सपा व बसपा के बीच हमेशा ही मुस्लिम मतों को लेकर घमासान रहा है। कांग्रेस भी पीछे नहीं रही। तीनों तरह-तरह से अपना मुस्लिम प्रेम प्रदर्शित करती रही हैं। पिछले चुनावों में मुस्लिम मतों का बंटवारा ही सपा-बसपा की हार का प्रमुख कारण रहा। इस बार मुस्लिम मतों को लेकर दोनों दलों की चिंता खत्म हो गई है। हालांकि, इस बात से इन्कार नहीं कर सकते ही कांग्र्रेस इसमें बिल्कुल सेंध नहीं लगा पाएगी। दोनों ही दलों को अपने पारंपरिक वोट बैंक से मजबूती मिलने की भी उम्मीद है।
अलीगढ़ में मत विभाजन (विधानसभा चुनाव-2017)
सीट, भाजपा, सपा-बसपा
शहर, 113752, 124019
कोल, 93814, 80760
अतरौली, 115397, 109471
बरौली, 125545, 104020
खैर, 124198, 60973
हाथरस में मत विभाजन (विधानसभा चुनाव-2017)
सीट, भाजपा, सपा-बसपा
हाथरस, 133840, 90488
सादाबाद, 36134, 120365
सिकंदराराऊ, 76129, 121097
छर्रा, 110738, 108463
इगलास, 128000, 74134
एटा लोकसभा सीट पर मत विभाजन
(विधानसभा चुनाव-2017)
सीट, भाजपा, सपा-बसपा
एटा सदर, 82516, 103324
जलेसर, 81502, 97511
अलीगंज, 88695, 121119
मारहरा, 92,705, 91041
घबराई है भाजपा
बसपा के मुख्य जोन इंचार्ज गजरात सिंह विमल का कहना है कि मंडल की तीनों सीटों पर बसपा-सपा गठबंधन की जीत तय है। भाजपा घबराई हुई है, जनता के सामने उसकी कलई खुल चुकी है।
विपक्ष को अस्वीकार कर चुकी है जनता
भाजपा के जिलाध्यक्ष गोपाल सिंह का कहना है कि बसपा के खाते में सीट जाने से भाजपा को कोई नुकसान नहीं होने वाला है। भाजपा दमदारी से चुनाव लड़ेगी और जीतेगी भी। विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, जनता उसे अस्वीकार कर चुकी है। भाजपा के सामने कोई टिकने वाला नहीं है।