साइबर कैफे पर लिखी जा रही केस डायरी, खतरे में गोपनीयताHathras News

कंप्यूटर तकनीक में फिसड्डी उत्तर प्रदेश पुलिस के दारोगा जुगाड़ से काम चला रहे हैं। हिंदी टाइपिंग सीखने की बजाय शॉर्टकट अपना रहे हैं।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Sun, 15 Dec 2019 03:16 PM (IST) Updated:Sun, 15 Dec 2019 03:16 PM (IST)
साइबर कैफे पर लिखी जा रही केस डायरी, खतरे में गोपनीयताHathras News
साइबर कैफे पर लिखी जा रही केस डायरी, खतरे में गोपनीयताHathras News

हाथरस [जेएनएन]। कंप्यूटर तकनीक में फिसड्डी उत्तर प्रदेश पुलिस के दारोगा जुगाड़ से काम चला रहे हैं। हिंदी टाइपिंग सीखने की बजाय शॉर्टकट अपना रहे हैं। कंप्यूटर ऑपरेटर्स पर काम का भार होने के कारण कुछ दारोगा साइबर कैफे पर केस डायरी लिखवा रहे हैं। बाद में पेन ड्राइव में लेकर इसे थानों के कंप्यूटर के जरिए ङ्क्षसक कराते हैं। ऐसा करके ये दारोगा गोपनीयता को खतरा पहुंचा रहे हैं।

कंप्यूटराइज्ड केस डायरी

हाथरस पुलिस के पास भले ही संसाधन की कमी है, लेकिन सीसीटीएनएस परियोजना के किसी काम में वे पीछे नहीं हैैं। दिसंबर 2014 में कंप्यूटराइज्ड एफआइआर से जिले में परियोजना की शुरुआत हुई थी। अब इन पांच सालों में जीडी व केस डायरी भी कंप्यूटराइज्ड हो चुकी हैं। सीसीटीएनएस में अन्य जनपदों की तुलना में हाथरस कहीं बेहतर है। अब सभी विवेचकों के लिए केस डायरी कंप्यूटर पर लिखना अनिवार्य कर दिया गया है।

ऑपरेटर्स की मुसीबत

जीडी, एफआर/चार्जशीट कंप्यूटराइज्ड करने तक ऑपरेटर लोड सहन कर रहे थे, लेकिन इस साल केस डायरी का भी काम आने के कारण वे पस्त हो चुके हैं। जिले में केवल छह ऑपरेटर हैं तथा 11 थाने। अधिकारियों के कार्यालय अलग। इनके सापेक्ष केवल छह ऑपरेटर हैं। बाकी जगहों पर नए सिपाहियों से काम लिया जा रहा है। अब विवेचक कंप्यूटर चलाना जानते नहीं और न ही सीखना चाहते हैैं। ऐसे में कंप्यूटर ऑपरेटर्स मानसिक दबाव में हैं।

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