अलीगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बसपा के लिए वर्चस्व कायम रखने की चुनौती

जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए मंगलवार को प्रस्तावित आरक्षण की घोषणा हो गई। इसके साथ ही सियासी दलों का बैठकों का दौर शुरू हो गया। अब तक बसपा समर्थित प्रत्याशी की जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर हैट्रिक बन चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 02:22 AM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 02:22 AM (IST)
अलीगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बसपा के लिए वर्चस्व कायम रखने की चुनौती
अलीगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बसपा के लिए वर्चस्व कायम रखने की चुनौती

जासं, अलीगढ़ : जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए मंगलवार को प्रस्तावित आरक्षण की घोषणा हो गई। इसके साथ ही सियासी दलों का बैठकों का दौर शुरू हो गया। अब तक बसपा समर्थित प्रत्याशी की जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर हैट्रिक बन चुकी है। इस बार भी जीत के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सियासी गोटियां बिछा रखी हैं, लेकिन बसपा को अपना वर्चस्व कायम रखने की चुनौती होगी।

पहली बार भाजपा पंचायत चुनाव में उतर रही है। इसके रणनीतिकार भी तैयारियों में जुटे है। सपा-रालोद भी इन दोनों दलों का गणित गड़बड़ाने को जुटे हैं। नई नगर पंचायतों के उदय के चलते जिला पंचायत में वार्डो की संख्या घटी है। पहले 52 वार्ड थे, अब 47 हैं।

तेजवीर सिंह गुड्डू जिला पंचायत अध्यक्ष थे, उसके बाद मुलायम सरकार में 2005 में चुनाव हुए, तब यह सीट एससी समाज के लिए सुरक्षित थी। सीट आरक्षण में चले जाने के बाद गुड्डू ने अनुसूचित जाति की महिला को चुनाव में उतारा। सपा, रालोद व बसपा ने पूर्व विधायक रामसखी कठेरिया को उतार दिया। कठेरिया चुनाव जीतीं। इसके बाद चुनाव मायावती शासन में हुए। तब जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य पिछड़ा वर्ग में शामिल हुई। बसपा के समर्थन से सुधीर सिंह ने चुनाव जीता। तब तत्कालीन मंत्री जयवीर सिंह मुख्य रणनीतिकार थे। यह चुनाव एकतरफा हुआ था।

अखिलेश शासन में यह सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। तब जयवीर सिंह ने अपने भतीजे उपेंद्र सिंह नीटू को चुनाव में उतारा और वे जीते। 2017 में जब प्रदेश में कमल खिला। इसके बाद बसपा सम्मानजनक विधायकों की संख्या नहीं जुटा सकी। इसके बाद जयवीर सिंह भाजपा में शामिल हो गए।

इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य वर्ग के लिए है। इस बार सियासी समीकरण बदले हुए हैं। अध्यक्ष पद के लिए सामान्य वर्ग में मारामारी हो रही है। बसपा किसी पिछड़े समाज पर दांव लगा सकती है। इससे पहले पार्टी समर्थित वार्ड के प्रत्याशियों के लिए बागियों पर नजर गढ़ाए हुए है। कानपुर, आगरा व अलीगढ़ मंडल के मुख्य सेक्टर प्रभारी व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बाबू मुनकाद अली हर रविवार को मंडल की समीक्षा करते हैं।

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जिला पंचायत सदस्य का चुनाव पार्टी दमदारी के साथ लड़ेगी सामान्य वर्ग का सदस्य ही अध्यक्ष का दावेदार होगा। शीर्ष नेतृत्व ने पहले से ही इस रणनीति पर काम कर लिया है। प्रत्याशी चयन में सर्वसमाज के लोगों का समायोजन होगा।

डा. रतनदीप सिंह, जिलाध्यक्ष, बसपा

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