Effect of Coronavirus in Aligarh : भईया मुझे बचा लो, भाई एंबुलेंस लेकर गया तो अस्पताल से जवाब मिला वो तो मर गया

भईया मुझे बचा लीजिए। मेरी तबीयत ठीक नहीं है। इस पर मरीज के भाई ने डाक्टर से बेहतर इलाज की बात कही तो जवाब मिला कि आपको हम पर विश्वास नहीं हैं तो किसी दूसरे अस्पताल में ले जा सकते हो।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 07:01 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 07:01 AM (IST)
Effect of Coronavirus in Aligarh : भईया मुझे बचा लो, भाई एंबुलेंस लेकर गया तो अस्पताल से जवाब मिला वो तो मर गया
इलाज् के लिए डेढ़ लाख रुपये भी जमा कर दिए थे।

अलीगढ़, सुरजीत पुंढीर। भईया मुझे बचा लीजिए। मेरी तबीयत ठीक नहीं है। इस पर मरीज के भाई ने डाक्टर से बेहतर इलाज की बात कही तो जवाब मिला कि आपको हम पर विश्वास नहीं हैं तो किसी दूसरे अस्पताल में ले जा सकते हो। भाई की जिंदगी बचाने के लिए असहाय भाई ने नोएडा के किसी अस्पताल में भर्ती कराने की व्यवस्था भी कर ली। शाम को जब एंबुलेंस लेकर वह अस्पताल पहुंचा तो जवाब मिला की आपके भाई की तो मौत हो गई। ये पीड़ा सासनी गेट क्षेत्र के एक भाई की है। जिसके भाई का शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। दिन में दोपहर साढ़े तीन बजे के करीब उसकी अस्पताल में भर्ती अपने भाई से फोन पर बात हुई थी।  शाम को उसकी जान चली गई। इलाज् के लिए डेढ़ लाख रुपये भी जमा कर दिए थे। इसके बाद भी भाई को बचा नहीं पाया।  

मानिटरिंग करने वाला कोई नहीं 

ये पीड़ा किसी एक मरीज की नहीं है। जिससे आप बात करोेगे रोना ही रोएगा। लेकिन क्या करे ? कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के परिजनों को इतना तोड़ दिया है कि वह अपनी पीड़ा बयां तक नहीं कर पाते। निजी अस्पतालों में इलाज की क्या व्यवस्था है? ये भी देखने वाला कोई नहीं है? मरीजों से इलाज के नाम पर कितनी वसूली की जा रही है इस पर भी किसी का ध्यान नहीं है।  जिंदगी के आगे पैसे का कोई मोल नहीं होता। इस कारण सबकुछ दांव पर लगाकर लोग इलाज करा रहे हैं। कहने को तो सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए दर निर्धारित कर दी है, लेकिन इसकी मानिटरिंग करने वाला कोई नहीं है। कोरोना की नई लहर के जाल में आम से लेकर खास हर कोई फंस जा रहा है। संक्रमित  इलाज कराने के लिए भटक रहे हैं। उन्हें आसानी से अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही। ऐसे में आम आदमी पर क्या गुजर रही होगी। सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। बड़े से लेकर छोटे अस्पताल का कोविड वार्ड फुल हो चुका है। निजी अस्पताल भी इलाज के नाम पर महज कमाई करने में लगे हैं। सरकार के मानकों के अधिक की धनराशि ली जा रही है। मरीज के भर्ती होते ही, एक से डेढ़ लाख तक ले लिए जाते हैं। इसके बाद भी बेहतर इलाज नहीं मिल पाता है। सुविधाओं के नाम पर महज खाना पूर्ति होती है। इंजेक्शन, दवा व आक्सीजन तक के लिए प्रशासन के ऊपर पल्ला झाड़ दिया जाता है।  जिला प्रशासन को चाहिए कि मानिटरिंग की व्यवस्था भी करे।  

ग्रुप बी में अलीगढ़, भुगतान हो रहा ए के हिसाब 

सरकार ने निजी चिकित्सालयों के लिए इलाज के खर्च का एक दायरा तय रखा है। इसमें सूबे भर के जिलों को ग्रुप ए, बी व सी में बांट रखा है। अलीगढ़ जिला ग्रुप बी में रखा। ऐसे में सरकार ने यहां के लिए निर्देश दिए हैं कि बी ग्रुप में ए ग्रुप की धनराशि के हिसाब से 80 फीसद पैसे ही लिए जाएंगे, लेकिन निजी अस्पताल ग्रुप ए के हिसाब से भुगतान कर रहे हैं। 

ग्रुप ए के लिए प्रतिदिन इलाज का खर्च 

आइसोलेशन बैड, 10 हजार 

बिना वेंटीलेटर के आईसीयू, 15 हजार 

वेंटीलेटर के साथ आईसीयू, 18 हजार 

नोट : ग्रुप बी के जिले में 80 फीसद व ग्रुप सी के जिले में 60 फीसद भुगतान होगा। 

इन अस्पतालों में हो रहा है संक्रमितों का इलाज 

सरकारी अस्पताल 

अस्पताल का नाम, बैड की संख्या 

जेएन मेडिकल, 100

दीनदयाल अस्पताल, 362

अतरौली अस्पताल, 130

सीएचसी खैर, 22

सीएचसी चंडौस, 25

होम्योपैथिक मेडिकल, 135

निजी अस्पताल 

वरुण अस्पताल, 14

मिथराज, 30

एसजेडी, 40

मंगलायतन, 50

रूसा अस्पताल, 15

नारायणी अस्पताल, 40

जीवन ज्योति अस्पताल, 45

 सरकार ने सभी अस्पतालों के लिए खर्च की धनराशि तय कर रखी है। इसी के हिसाब से भुगतान के निर्देश दिए गए हैं। अगर कहीं भी नियमों का उल्लंघन होता है तो संबंधित के खिलाफ खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। तीमारदार इसकी शिकायत भी कर सकते हैं।  

भानु प्रताप कल्याणी, सीएमओ 

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