ब्लाक प्रमुख की सभी सीटों पर काबिज होने के लिए भाजपा ने बनाई रणनीति Aligarh news
कोई भी चुनाव हो उसमें सत्ता का दखल जरूर होता है। सत्ता होने के चलते पार्टी को भी लगता है कि सभी चुनाव में उसकी दमदार जीत हो। भाजपा ने अब ब्लाक प्रमुख के चुनाव में रणतीति बनाई है। जिले के 12 ब्लाकों पर वह काबिज होना चाहती है।
अलीगढ़, जेएनएन । कोई भी चुनाव हो उसमें सत्ता का दखल जरूर होता है। सत्ता होने के चलते पार्टी को भी लगता है कि सभी चुनाव में उसकी दमदार जीत हो। भाजपा ने अब ब्लाक प्रमुख के चुनाव में रणनीति बनाई है। जिले के 12 ब्लाकों पर वह काबिज होना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने पूरी ताकत लगा दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता भी इसमें लगे हुए हैं। हालांकि, राह बहुत आसान नहीं है। देखना होगा कि भाजपा इसमें कौन सा राजनीतिक पैतरा खेलती है।
जिले में 12 ब्लाक
जिले में 12 ब्लाक हैं। पिछली बार चुनाव में भाजपा को मात्र एक अतरौली सीट मिली थी। यहां से केहर सिंह ब्लाक प्रमुख बने थे। अन्य 11 सीटों पर भाजपा की हार हुई थी। हालांकि, सत्ता में आने के बाद आठ के करीब ब्लाक प्रमुख धीरे-धीरे भाजपा में आ गए थे। कुछ ने प्रत्यक्ष रुप से भाजपा से शामिल हो गए थे तो कुछ अप्रत्यक्ष रुप से भाजपा को समर्थन कर रहे थे। अकराबाद के ब्लाक प्रमुख मुकेश सिंह 2018 में भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद चंडौस, जवां, बिजौली के भी ब्लाक प्रमुख भाजपा में शामिल हो गए थे। लोधा से गिरीश यादव और धनीपुर ब्लाक से तेजवीर सिंह दोनों ब्लाक प्रमुख सपा में ही रहे उन्होंने कभी दल नहीं बदला। अब इस बार भाजपा चाह रही है कि वह 12 सीटों पर जीत हासिल करे। इसके लिए प्रभावी रणनीति बनाई गई है। चुनाव से पहले ही पार्टी ने तैयारी की थी। कई ऐसे बीडीसी प्रत्याशियों को टिकट दिया गया था, जिसका अपने क्षेत्र में खासा प्रभाव है।
काम के आधार पर हमारी जीत पक्की
जिलाध्यक्ष चौधरी ऋषिपाल सिंह का कहना है कि पार्टी ने चार साल लगातार जनता के बीच में काम किया है। इसलिए हमारे सबसे अधिक बीडीसी जीत कर आए हैं। अधिकांश हमारे साथ हैं। इसलिए इस बार भाजपा पूरे 12 सीटों पर ब्लाक प्रमुखी पर जीत दर्ज करेगी। जिलाध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष के पास न तो नेतृत्व है और न ही उनके पास संगठन है। सपा भले ही दम भर रही हो, मगर संगठन में आपसी मतभेद है। पिछले पांच साल के कार्यकाल को प्रदेश की जनता ने देखा भी है। सपा के शासनकाल में लूट, अपराध और जमीनों पर कब्जा आदि हुआ करते थे। ऐसे में जनता भी सपा की मानसिकता को जान गई है। वहीं, बसपा में संगठन पूरी तरह से धाराशाही है। स्वयं बसपा प्रमुख को अपने सिपहसलाहारों पर विश्वास नहीं रह गया। वह आएदिन किसी न किसी विधायक कउो पार्टी से निष्कािसत करती रहती हैं। ऐसे में बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाएगी। भाजपा सभी 12 सीटों पर जीत दर्ज करेगी।