Kisan agitation : भाकियू ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर जताया विरोध Aligarh news

कस्बा छर्रा स्थित ब्लाक कार्यालय प्रांगण में भाकियू के राष्ट्रीय नेतृत्व के आहवान पर केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कानूनों के विरोध में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें भाकियू कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कानूनों की प्रतियों को जलाकर अपना विरोध प्रकट किया।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 03:32 PM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 03:32 PM (IST)
Kisan agitation : भाकियू ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर जताया विरोध Aligarh news
कृषि कानूनों की प्रतियां जलाते भारतीय किसान यूनियन के सदस्‍य।

अलीगढ़, जेएनएन : कस्बा छर्रा स्थित ब्लाक कार्यालय प्रांगण में भाकियू के राष्ट्रीय नेतृत्व के आहवान पर केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कानूनों के विरोध में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें भाकियू कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कानूनों की प्रतियों को जलाकर अपना विरोध प्रकट किया।

विरोध के बाद भी नहीं वापस हो रहा कानून

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाकियू के पूर्व जिला महासचिव चौ नवाब सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा देश के किसान, मजदूर व गरीबों को अनदेखा किया जा रहा है। जिसके चलते ही लगातार धरना प्रदर्शन कर मांग करते हुए विरोध प्रकट करने के बावजूद भी यह तीनों काले कानूनों को समाप्त नहीं किया जा रहा है। कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जो कृषि कानून देश के किसानों के हित में बताए जा रहे हैं, भाजपा का कोई भी राजनेता यह नहीं बताता है कि इन कानूनों से किसानों को क्या-क्या फायदे होंगे और ना ही यह बात स्पष्ट की जाती है कि किसानों की फसलों की कीमत कौन निर्धारित करेगा। इन काले कृषि कानूनों से देश का प्रत्येक किसान अपनी जमीन पर ही पूंजीपतियों का नौकर बन जाएगा।

प्रधानमंत्री पर साधा निशाना 

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि किसान की जमीन पूंजीपतियों की नहीं होगी, परंतु पूंजीपतियों द्वारा किसानों के सामने एसी स्थिति उत्पन्न कर दी जाएगी, जिससे किसान अपनी भूमि को उन्हीं पूंजीपतियों के सामने समर्पित करने को मजबूर हो जाएगा। प्रधानमंत्री को देश के किसानों की आर्थिक दशा सुधारने की जरा सी भी चिंता है तो देश में एमएसपी को कानूनी जामा पहनाकर वर्ष 1967 को आधारवर्ष मानते हुए थोक मूल्यसूचकांकानुसार अनुपातिक लाभकारी मूल्य सभी कृषि उत्पादनों की कीमतें निर्धारित की जांए। उन्होंने कहा कि विगत 70 सालों में कृषि उत्पादनों की कीमतों में अधिकतम बीस गुना वृद्धि हुई है। वहीं नौकरीपेशाओं , सांसदों-विधायकों तथा कृषि निवेशी पूंजीपतियों की आय में तीन से चार सौ गुना वृद्धि की गई है। इसी अंतर के कारण देश का किसान आज भी गरीब व कर्जदार बना हुआ है। इस दौरान चौ.नवाब सिंह ने सभी से इस आंदोलन में बढ चढ़ कर भाग लेने की अपील की। बैठक के दौरान संदल खां, मुकीद खां, खैराती खां, गिरीश यादव, मुरारीलाल, होडल सिंह, रनवीर सिंह, सौप्रसाद यादव, कालीचरन, ओमप्रकाश, लालू शर्मा, सुरेश चंद्र शर्मा, इस्लाम खां, भजनलाल, महेश चासैधरी, हरचरन शर्मा, दीपू, अभिषेक शर्मा, कालू चौधरी, धर्मेंद्र सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

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