अलीगढ़ में हर्षोल्लास से मनी बैसाखी, कीर्तन से किया निहाल

कोरोना का ग्रहण यहां भी रहा। गुरुद्वारों में सिर्फ रागी जत्था और कुछ लोग ही दिखे। बड़े कार्यक्रम निरस्त कर दिए गए। इसलिए भीड़-भाड़ नहीं हुई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 09:15 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 09:15 PM (IST)
अलीगढ़ में हर्षोल्लास से मनी बैसाखी, कीर्तन से किया निहाल
अलीगढ़ में हर्षोल्लास से मनी बैसाखी, कीर्तन से किया निहाल

जासं, अलीगढ़ : सिख समाज ने मंगलवार को बैसाखी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया। गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन हुआ। कोरोना का ग्रहण यहां भी रहा। गुरुद्वारों में सिर्फ रागी जत्था और कुछ लोग ही दिखे। बड़े कार्यक्रम निरस्त कर दिए गए। इसलिए भीड़-भाड़ नहीं हुई। सिख समाज के लोगों ने घरों पर परिवार के साथ पर्व का आनंद उठाया।

पिछले साल भी बैसाखी के समय कोरोना का कहर था इसलिए पर्व गुरुद्वारों में नहीं मनाया जा सका था। इस बार भी कोरोना की लहर तेज होने लगी है। प्रशासन ने धार्मिक स्थलों पर अधिक भीड़-भाड़ न करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को सुरेंद्र नगर स्थित केंद्रीय गुरुद्वारे में रागी जत्था ने कीर्तन से निहाल किया। गुरुद्वारे के प्रवक्ता संदीप गांधी ने बताया कि रागी जत्था बाहर से आने वाला था, मगर कोरोना के चलते ऐनवक्त पर कार्यक्रम को रद करना पड़ा। गुरुद्वारे के ग्रंथी गुरप्रीत ने ही कीर्तन किया। सभी को सोमवार रात में ही बता दिया गया था कि अपने-अपने घरों पर ही कार्यक्रम करें। गुरुद्वारा में न आएं। संदीप ने बताया की कोविड के नियमों का पूरा पालन किया गया। आरएएफ बटालियन स्थित गुरुद्वारे में ग्रंथी सरदार नरेंद्र सिंह ने कीर्तन किया। सरदार भूपेंद्र सिंह और सरदार हरजीत सिंह जुनेजा को अधिकारी कमलेश कुमार ने सरोपा भेंट किया।

खुशियों का पर्व है बैसाखी : नई बस्ती के पंजाबी क्वार्टर स्थित गुरुद्वारे में वीरेंद्र सिंह हजूरी लाल जत्था ने संगत को कीर्तन से निहाल किया। सरदार भूपेंद्र सिंह ने कहा कि बैसाखी का पर्व शौर्य और साहस का भी प्रतीक है। कार्यक्रम में सरदार राजेंद्र सिंह, तेजपाल सिंह, गुरु दर्शन सिंह, गुरु देव सिंह, दलजीत सिंह, सिदक सिंह, विजय गुप्ता आदि थे।

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