Aligarh Panchayat Chunav Result 2021: भाजपा में फूटा गुस्सा, पार्टी नेताओं पर कई सीटें हरवाने का आरोप

जिला पंचायत चुनाव में करारी हार से भाजपा में गुस्सा फूट पड़ा है जो कि अब इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बाहर आने लगा है। बड़े नेताओं से इस्तीफे की मांग की जा रही है। जनसंघ के समय के नेताओं ने खुलेआम जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 10:37 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 10:37 AM (IST)
Aligarh  Panchayat Chunav Result 2021: भाजपा में फूटा गुस्सा, पार्टी नेताओं पर कई सीटें हरवाने का आरोप
जिला पंचायत चुनाव में करारी हार से भाजपा में गुस्सा फूट पड़ा है,।

अलीगढ़, जेएनएन।  जिला पंचायत चुनाव में करारी हार से भाजपा में  गुस्सा फूट पड़ा है, जो कि अब इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बाहर आने लगा है। बड़े नेताओं से इस्तीफे की मांग की जा रही है। जनसंघ के समय के नेताओं ने खुलेआम जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है। वह लिख रहे हैं कि कई जनप्रतिनिधि तो सिर्फ एक-दो सीटों पर ही प्रचार करते रह गए, उन्हें जिले से कोई मतलब ही नहीं रहा। ऐसे में तमाम सीटें मामूली अंतर से हार गए। 

सभी 47 सीटों पर प्रत्याशी उतारे 

जिले में भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी थी जिसने जिला पंचायत सदस्य की सभी 47 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। शुरू से पार्टी के नेता दावा करते आ रहे थे कि 28 से अधिक सीटें जीतेंगे। छह महीने पहले प्रचार शुरू कर दिया था। जिले के तीन सांसद, सात विधायक, सूबे में राज्यमंत्री, दो एमएलसी, एक श्रम एवं सन्निर्माण परामर्शदात्री समिति के अध्यक्ष सहित इतना बड़ा जनप्रतिनिधियों का कुनवा होने के बाद भी पार्टी मात्र नौ सीटें ही जीत पाई। इससे जनसंघ के समय के नेता और वरिष्ठ नेताओं में गुस्सा है। उनका कहना है कि वर्षों से त्याग-तपस्या करके जिस संगठन को खड़ा किया, आपसी गुटबाजी के चलते आज उसी को बर्बाद करने पर नेता तुले हुए हैं। जनसंघ के समय के नेता गरुणध्वज उपाध्याय ने तो जनप्रतिनिधियों पर करारा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में नौ सीटें जीती हैैं।  इससे शर्मनाक कोई और बात नहीं हो सकती है। वार्ड नंबर आठ की तरह तमाम सीटों पर जनप्रतिनिधि प्रचार करने ही नहीं गए। संगठन से धोखा नहीं करना चाहिए। 

मेरी 40 साल की तपस्या का भी नहीं रखा ख्याल 

पूर्व जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह हिंडोल की आंखें भी छलक आईं। उन्होंने कहा कि उनकी 40 साल की तपस्या का भी ख्याल नहीं रखा गया। इतने लंबे राजनीतिक सफर में उनपर कभी कोई भ्रष्टाचार और गुटबाजी का आरोप नहीं लगा। मगर, संगठन ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। उनकी पुत्रवधू अलका हिंडोल154 वोटों से जीत रही थी, मगर उसे हरवा दिया गया। वह अधिकारियों से लेकर पार्टी के जिले के नेता और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाते रह गए, मगर किसी ने उनकी नहीं सुनी। यदि दोबारा काउंङ्क्षटग होती तो निश्चित वो जीतते। 

ऐसा नहीं है। सभी सीटों पर पूरा ध्यान दिया गया है। संगठन ने मजबूती से चुनाव भी लड़ा है। हमारे लिए पूरी 47 सीटें प्रमुख थीं। इसलिए यह कहना कि कुछ सीटों पर ही ध्यान दिया गया वो गलत है। 

चौधरी ऋषिपाल सिंह, जिलाध्यक्ष भाजपा

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