एएमयू ने छह माह बाद मांगी अवार्ड हुई पीएचडी की डिग्री, पीएमओ तक गूंज
यूनिवर्सिटी भाषा विज्ञान विभाग का मामला कहा गलती से अवार्ड हुई डिग्री पीड़ित ने कोर्ट में दी चुनौती चेयरमैन पर लगाया पीएम की तारीफ करने पर परेशान करने का आरोप।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के सौ साल के इतिहास में संभवत: यह पहला मामला है, जिसमें अवार्ड हुई पीएचडी की डिग्री को विद्यार्थियों से छह माह बाद ही नोटिस देकर वापस मांगा गया हो। भाषा विज्ञान विभाग से पीएचडी की डिग्री पाने वाले डा. दानिश रहीम व डा. मारिया नईम के साथ यही हुआ है। एएमयू का कहना है कि गलती से भाषा विज्ञान में पीएचडी की डिग्री अवार्ड हुई है। जबकि एलएएमएम (लैंग्वेज फार एडवरटाइजिग, मार्केटिग एंड मीडिया) की डिग्री अवार्ड होनी चाहिए थी। गलती को सुधारकर उन्हें एलएएमएम (लैम) की डिग्री अवार्ड की जाएगी। दानिश ने इंतजामिया के इस दावे को गलत करार दिया है। कहा है कि सबकुछ ठीक होने पर ही पीएचडी अवार्ड की गई थी। आरोप लगाया है कि पिछले साल उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक कार्यक्रम की तारीफ की थी। जिस पर भाषा विज्ञान के चेयरमैन ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस संबंध में पत्र लिखा है। प्रयागराज हाईकोर्ट में भी एएमयू को चुनौती है, जिसकी सुनवाई सात दिसंबर को होनी है। यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक भी पहुंच गया है। वहां से भी एएमयू से जवाब मांगा गया है।
अलीगढ़ में सिविल लाइंस क्षेत्र के रहने वाले डा. दानिश रहीम ने एएमयू से कक्षा एक से एमए तक की पढ़ाई की है। डा. दानिश ने बताया कि उन्हें पीएचडी की डिग्री नौ मार्च 2021 को अवार्ड हुई। जबकि डा. मारिया नईम को नवंबर 2020 में पीएचडी अवार्ड हुई। छह महीने गुजरने के बाद चार अगस्त 2021 को यूनिवर्सिटी से पत्र मिला कि जो डिग्री हम दोनों को दी गई है, वह गलत है। उसे वापस किया जाए। डा. दानिश का कहना है कि उसने एएमयू में कक्षा एक से पढ़ाई की है। भाषा विज्ञान विभाग से बीए (भाषा विज्ञान) से किया है। एमए (लैम) भी। 27 अक्टूबर 2016 को भाषा विज्ञान में ही पीएचडी में दाखिला लिया। जिसका विषय था, न्यूजटाक : इनवेस्टिगेटिग द लैंग्वेज आफ हिदी- उर्दू न्यूज मीडिया। पीएचडी पूरी होने के बाद देश-विदेश के विशेषज्ञों ने इसे चेक किया। इसके बाद अवार्ड की गई। पूरी प्रक्रिया में कोई सवाल नहीं उठा। हमें तो चार अगस्त को पता चला, जब एएमयू ने नोटिस जारी किया।
चेयरमैन पर आरोप
डा. दानिश ने बताया कि 22 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री ने यूनिवर्सिटी के सौ साल पूरे होने पर संबोधन दिया था, तब मैंने उनकी तारीफ की थी। 8 फरवरी को मेरा वायवा हुआ तो चेयरमैन ने बुलाया। कहा, ऐसा बयान आपको नहीं देना चाहिए था। मुझे राइट विग का आदमी भी बताया। ये भी कहा कि इससे भविष्य का नुकसान हो सकता था।
जब नौकरी नहीं तो पढ़ाई क्यों?
दानिश का दावा है कि उन्होंने पीएचडी अवार्ड होने के बाद अगस्त 2021 को भाषा विज्ञान विभाग में ही नौकरी के लिए आवेदन किया था। जिसे यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि लैम के छात्रों को नौकरी नहीं दी जाएगी। आरटीआइ से ये भी पता चला कि इस विभाग में एलएएमएम का शिक्षक ही नहीं है। -----------------
आरोप गलत, दो सदस्यीय
टीम करेगी जांच : एएमयू
एएमयू प्रवक्ता प्रो. साफे किदवई ने बताया कि डा. दानिश रहीम ने लैंग्वेज फार एडवरटाइजिग, मार्केटिग एंड मीडिया कोर्स में पीएचडी के लिए सत्र 2016-17 में आवेदन किया था। इसके बाद उन्होंने पीएचडी (लैम) पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया। उनकी ओर से जमा किया गया आवेदन पत्र, उनके स्वयं के हस्ताक्षर व अंगूठे के निशान के साथ भरा गया प्रवेश पत्र विश्वविद्यालय के रिकार्ड में है। टाइपिग की गलती व चूक के कारण उन्हें गलती से भाषा विज्ञान में पीएचडी की डिग्री जारी कर कर दी गई। डा. दानिश रहीम ने लैम में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की थी और इस प्रकार वह भाषा विज्ञान में पीएचडी के लिए पात्र नहीं हैं। चूक हुई है। इस मामले की छानबीन करने व डा. दानिश की शिकायत की जांच के लिए इंजीनियरिग व प्रौद्योगिकी संकाय के पूर्व डीन प्रो. मेहंदी अब्बास रिजवी व डा. जेडए डेंटल कालेज के प्राचार्य प्रो. आरके तिवारी को जांच सौंपी है। यह दो सदस्यीय टीम जल्द ही रिपोर्ट देगी। डा. दानिश को पीएचडी डिग्री में आवश्यक सुधार कराने के लिए कहा गया है। करूंगा मानहानि का मुकदमा : प्रो. वारसी
भाषा विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमजे वारसी ने कहा है कि डा. दानिश रहीम का यह आरोप कि प्रधानमंत्री की प्रशंसा के कारण उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, पूरी तरह से गलत है। मैं उनसे अपने कार्यालय या अन्य जगह पर कभी नहीं मिला। टेलीफोन पर भी कभी बात नहीं हुई। दानिश को कानूनी नोटिस भेज रहा हूं। कानूनी राय लेकर उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा करूंगा।