Sir Syed Day : समानता और सामाजिक बराबरी का प्रतीक है एएमयू : कुलपति Aligarh news

एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि सर सैयद अहमद खां एक बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे। जिनके कार्यों ने 19वीं सदी के उत्तरार्ध के दौरान इतिहास को बदल दिया। 1857 में विद्रोह को विफल कर दिया गया था।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 05:28 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 06:45 AM (IST)
Sir Syed Day : समानता और सामाजिक बराबरी का प्रतीक है एएमयू : कुलपति Aligarh news
एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि सर सैयद अहमद खां एक बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता।  एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि सर सैयद अहमद खां एक बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे। जिनके कार्यों ने 19वीं सदी के उत्तरार्ध के दौरान इतिहास को बदल दिया। 1857 में विद्रोह को विफल कर दिया गया था। मध्यकालीन सामंती व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी थी और इसके साथ ही आर्थिक व्यवस्था चरमराई हुई थी। इसी बीच सर सैयद ने देशवासियों का मार्गदर्शन किया। एमएओ कालेज समानता के लिए खड़ा हुआ था। आज भी एएमयू अवसर की समानता और सामाजिक बराबरी का प्रतीक है। जाति, रंग या पंथ के आधार पर अंतर के बिना इसके दरवाजे सभी के लिए खुले हैं।

राष्‍ट्रीय प्रगति लोगों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर निर्भर

सर सैयद के एजेंडे में शिक्षा को सदा वरीयता प्राप्त रही। 26 मई 1883 को पटना में दिए गए भाषण में सर सैयद ने कहा था कि ‘यह दुनिया के सभी राष्ट्रों और महान संतों का स्पष्ट निर्णय है कि राष्ट्रीय प्रगति लोगों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर निर्भर करती है। इसलिए, यदि हम अपने राष्ट्र की समृद्धि और विकास चाहते हैं तो हमें अपने लोगों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में शिक्षित करने के लिए एक राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के लिए प्रयास करना चाहिए’। प्रो. मंसूर ने जोर देकर कहा कि सर सैयद ने आधुनिक शिक्षा के विचार को समानता, तर्कवाद और सुधारों के साथ जोड़ा था। कुलपति ने कहा कि सर सैयद ने साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना की और अलीगढ़ गजट और तहज़ीबुल अख़लाक़ शुरू किया।

वर्तमान में ये व्‍यवस्‍थाएं

कुलपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, खाद्य प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में दो नए बीटेक पाठ्यक्रम, डेटा विज्ञान में मास्टर कार्यक्रम, साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक सहित कई नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। यूनानी चिकित्सा के चार क्षेत्रों में एमडी, एमए (स्ट्रेटजिक स्टडीज़) और एम.सीएच (न्यूरोसर्जरी) के अतिरिक्त बीएससी नर्सिंग, बीएससी पैरामेडिकल साइंसेज तथा डीएम (कार्डियोलोजी) भी प्रारंभ किए गए हैं। उम्मीद जताई कि जल्द ही एमबीबीएस सीटों की संख्या 150 से बढ़ाकर 200 कर दी जाएगी। कोविड महामारी के बावजूद कालेज आफ नर्सिंग व कालेज आफ पैरामेडिकल साइंसेज, कार्डियोलोजी विभाग और तीन केंद्र स्थापित किए गए हैं। जिनमें खाद्य प्रौद्योगिकी केंद्र, कृत्रिम बुद्धिमत्ता केन्द्र और हरित और नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित केन्द्र शामिल हैं। जेएन मेडिकल कालेज के बुनियादी चिकित्सा ढांचे को कोविड की तीसरी लहर की आशंका के दृष्टिगत चुस्त दुरस्त किया गया है।

लेखन और ज्ञान की शक्ति को लगाएं गले : डा. क़ायदजोहर इज़ुद्दीन

मानद् अतिथि व सैफी अस्पताल ट्रस्ट और सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रिंस डा. क़ायदजोहर इज़ुद्दीन ने कहा कि इस्लामी परंपरा के अनुसार, ईश्वर ने जो पहली चीज़ बनाई वह कलम थी। उन्होंने इसे सभी चीजों का भाग्य लिखने की आज्ञा दी। हमें लेखन और ज्ञान की शक्ति को गले लगाना चाहिए। कहा कि नियति को इच्छा शक्ति से बदला जा सकता है। सवाल यह भी है कि अपना भाग्य खुद कैसे बनाया जाए। इसके लिये सपने देखने, योजना बनाने, कार्य करने और अपनी खुद की दृष्टि बनाने की जरूरत है। कहा, कुलाधिपति डा. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन एएमयू के छात्रों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय समुदाय के स्वास्थ्य और भलाई के लिए इस उम्मीद के साथ प्रार्थना करते रहते हैं कि हम सभी सर सैयद अहमद खान के सपने को साकार करने के लिए काम करते रहेंगे।

पुरस्कार पाना सम्मान की बात : प्रो. फ्रांसिस

अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार प्राप्त करते हुए प्रो. फ्रांसिस राबिन्सन ने कहा कि सर सैयद अंतर राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार प्राप्त करना एक सम्मान की बात है। यह पुरस्कार सर सैयद अहमद खान के नाम से जुड़ा होने के कारण भी सम्मान जनक है। मैं सर सैयद की उनके नेतृत्व, साहस और दृढ़ संकल्प के लिए लंबे समय से प्रशंसा करता रहा हूं।

हिंदू-मुस्लिमों ने एक-दूसरे की संस्कृति को अपनाया : प्रो. गोपी चंद्र

राष्ट्रीय श्रेणी में सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित प्रो. गोपी चंद नारंग ने कहा कि सर सैयद चाहते थे कि भारतीय आधुनिक विज्ञान में रूचि लें। 1869-70 में इंग्लैंड की यात्रा पर आक्सफ़ोर्ड और कैंब्रिज के दौरे से वे इतने प्रभावित हुए कि वे उसी माडल पर एक संस्थान स्थापित करना चाहते थे। सर सैयद ने कहा था कि ‘भारत एक खूबसूरत दुल्हन है और हिंदू और मुसलमान उसकी दो आंखें हैं। अगर उनमें से एक खो जाए तो यह खूबसूरत दुल्हन बदसूरत हो जाएगी’। “सर सैयद का जीवन एक खुली किताब था। उन्होंने सभी धर्मों के लोगों के लिए एमएओ कालेज के दरवाजे खुले रखे। उन्होंने हमेशा कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों ने एक-दूसरे से संस्कृति को उधार लिया और अपनाया है। जैसे हिंदू इस मुल्क में आए वैसे ही मुसलमान। गंगा जमुना का पानी हम दोनों ही पीते हैं। मुसलमानों ने हिंदुओं की सैकड़ों रश्में इजाद कर लीं। हिंदुओं ने मुसलमानों की सैकड़ों आदतें ले लीं।

उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए मिला सम्मान

एएमयू इंतजामिया ने विभिन्न क्षेत्र में काम कर रहे शिक्षकों को सम्मानित भी किया। इनमें गणित विभाग के प्रतिष्ठित गणितज्ञ प्रो. कमरुल हसन अंसारी को गणित के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए विज्ञान श्रेणी में ‘उत्कृष्ट शोधकर्ता पुरस्कार’ 2021 से सम्मानित किया गया। जबकि रसायन विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर मोहम्मद ज़ैन खान और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर मोहम्मद तारिक को विज्ञान श्रेणी में ‘यंग रिसर्चर्स अवार्ड’ से पुरस्कृत किया गया। शारीरिक शिक्षा विभाग सहायक प्रोफेसर मोहम्मद अरशद बारी को मानविकी और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में ‘यंग रिसर्चर्स अवार्ड’ दिया गया।

सर सैयद के मिशन व दर्शन पर डाला प्रकाश

कार्यक्रम में वीमेंस कालेज के अंग्रेजी विभाग की प्रो. नाजिया हसन और कानून विभाग के प्रो. मोहम्मद जफर महफूज नोमानी, अंग्रेजी की छात्रा सिदरा नूर और पीएचडी के छात्र यासिर अली खान ने सर सैयद अहमद खान की शिक्षा, दर्शन, कार्य और मिशन पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के कोषाध्यक्ष प्रो. हकीम सैयद ज़िल्लुर रहमान, परीक्षा नियंत्रक मुजीब उल्लाह जुबेरी, वित्त अधिकारी प्रो. मोहम्मद मोहसिन खान, प्राक्टर प्रो. मोहम्मद वसीम अली, कार्यवाहक रजिस्ट्रार एसएम सुरूर अतहर के अलावा बड़ी संख्या में शिक्षक व छात्र कार्यक्रम में शामिल हुए।

सर सैयद की मजार पर की चादर पोशी

रविवार को फज्र की नमाज के बाद विश्वविद्यालय की मस्जिद में कुरान पाठ किया गया। कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षकों और पदाधिकारियों के साथ सर सैयद की मजार पर ‘चादर पोशी’ व पुष्पांजलि अर्पित की। बाद में कुलपति ने सर सैयद हाउस में मौलाना आजाद पुस्तकालय और सर सैयद अकादमी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सर सैयद अहमद खान से संबंधित पुस्तकों और तस्वीरों की आनलाइन प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम का संचालन डा. फायजा अब्बासी और डा शारिक अकील ने कियाव। धन्यवाद ज्ञापित डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डा. प्रो मुजाहिद बेग ने किया।

दो पुस्तकों का हुआ विमोचन

कार्यक्रम में दो पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। जिनमें प्रो. आसिम सिद्दीकी, डा. राहत अबरार व डा. फायजा अब्बासी द्वारा संपादित ‘ए हिस्ट्री आफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी-1920-2020, ए सेंटेनरी पब्लिकेशन’ तथा हुमा खलील की ‘द एल्योर ऑफ अलीगढ़ः ए पोएटिक जर्नी इन द यूनिवर्सिटी सिटी’ शामिल हैं।

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