अलीगढ़ के अस्पतालों में मांगा जा रहा कैश, मरीजों को हो रही है परेशानी Aligarh news
करीब तीन साल पूर्व नोटबंदी के बाद तमाम निजी अस्पतालों ने डेबिट कार्ड क्रेडिट कार्ड पेटीएम भीम एप ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के अलावा थर्ड पार्टी पैनल से पेमेंट लेना शुरू किया।
अलीगढ़ [जेएनएन] करीब तीन साल पूर्व नोटबंदी के बाद तमाम निजी अस्पतालों ने डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, पेटीएम, भीम एप, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के अलावा थर्ड पार्टी पैनल से पेमेंट लेना शुरू किया, मगर अब सभी अस्पताल मरीजों-तीमारदारों से कैश मांग रहे हैं। कैश न होने की स्थिति में मरीजों या उनके तीमारदारों को डेबिट-क्रेडिट कार्ड लेकर एक एटीएम से दूसरे एटीएम पर दौडऩा पड़ता है। कई बार तो कैश की वजह से इलाज में भी विलंब हो जाता है। कुछ डॉक्टर ही पेटीएम व भीम एप से ट्रांजेक्शन को तैयार हो रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने खुद इस व्यवस्था को अव्यवहारिक व महंगा बताते हुए कैशलेस इलाज में असमर्थता प्रकट की।
डॉक्टरों ने वापस कीं स्वाइप मशीन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वïान पर कई अस्पतालों ने कार्ड से भुगतान लेने के लिए विभिन्न बैंकों से स्वाइप मशीन लीं, कुछ माह बाद ही ये अस्पताल से गायब हो गईं। अस्पतालों के काउंटरों पर पहले की तरह ओपीडी, जांच, दवा आदि के लिए कैश मांगा जाने लगा, जिससे दूर-दराज से मरीजों को लाने वाले लोगों की परेशानी बढ़ गई। मेडिकल स्टोर वाले भी कैश से ही भुगतान लेते हैं।
पब्लिक बोल
शिक्षक मुकेश उपाध्याय का कहना है कि मरीज को अस्पताल में भर्ती कराते समय परिजनों के पास कैश नहीं होता। अस्पतालों में स्वाइप मशीन न होने से डेबिट-क्रेडिट कार्ड से भुगतान नहीं हो पाता। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, मरीजों को दिक्कत खत्म हो। साथ ही मानसरोवर कॉलोनी निवासी अमरदीप का कहना है कि सरकार डिजिटलाइजेशन पर जोर दे रही है, मगर अस्पतालों में कैशलेस इलाज खत्म हो चुका है। शायद ही कहीं पर डेबिट-क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन हो रहा हो।