अलीगढ़ के शिक्षक ने जज्बे से बदली विद्यालय की सूरत, जानिए कैसे Aligarh news

अगर कुछ करने का जज्बा हो तो सफलता असंभव नहीं। हालात भले कैसे भी क्यों न हों। सासनी तहसील के गांव गोहाना स्थित प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक शैलेश बंसल ने कर दिखाया है। अलीगढ़ सीमा के लगते इस गांव के प्राथमिक विद्यालय की उन्होंने सूरत ही बदल दी है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 11:03 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 11:15 AM (IST)
अलीगढ़ के शिक्षक ने जज्बे से बदली विद्यालय की सूरत, जानिए कैसे Aligarh news
अलीगढ़ जिले के हरदुआगंज निवासी शैलेश बंसल ने जो सपना बचपन में देखा, वह 2015 में पूरा हुआ।

प्रमोद सिंह, हाथरस: अगर कुछ करने का जज्बा हो तो सफलता असंभव नहीं। हालात भले कैसे भी क्यों न हों। सासनी तहसील के गांव गोहाना स्थित प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक शैलेश बंसल ने कर दिखाया है। अलीगढ़ सीमा के लगते इस गांव के प्राथमिक विद्यालय की उन्होंने सूरत ही बदल दी है। करीब छह साल पहले जिस विद्यालय में किसी तरह की सुविधा नहीं और बच्चे भी जाने से डरते थे, वह अब एक मिसाल बना हुआ है।

बचपन का सपना 2015 मेंं हुआ पूरा 

अलीगढ़ जिले के हरदुआगंज निवासी शैलेश बंसल ने जो सपना बचपन में देखा, वह 2015 में पूरा हुआ। बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर सासनी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय गोहाना में तैनाती मिली। लेकिन यहां के हालात से वे कुछ ही दिन में परेशान हो गए। गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर जंगल में विद्यालय होने के कारण ग्रामीण अपने बच्चों को भेजने में कतराते थे। जंगली सूअरों का क्षेत्र में भय था। बड़ी मुश्किल से नामांकन की संख्या 50 हो सकी। इसमें से भी सभी हर रोज नहीं आते थे। कभी -कभी तो दिनभर सहायक अध्यापक खाली बैठे रहते थे। इस समस्या का हल शैलेश बंसल ने खुद ही निकाला। वे गांव के अनेक लोगों से मिले। बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। सुरक्षा का भरोसा दिलाया। साथ ही ग्रामीणों के सहयोग से विद्यालय में सुविधाएं जुटाईं। विभाग से विद्यालय की बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया। बच्चों की संख्या बढऩे पर वर्ष 2019 में हेड शिक्षिका यशोधरा सिंह की नियुक्ति हुई। वर्तमान में 130 बच्चों का नामांकन हैैं। कुछ माह पूर्व एक और शिक्षिका भूपेंदरी ङ्क्षसह की तैनाती की गई है। लेकिन कमरों के अभाव के चलते बच्चों की संख्या बढ़ाने में अब शिक्षक भी कतरा रहे हैैं।

हरियाली के लिए मिसाल

बच्चों की संख्या बढ़ाने के प्रयास के साथ ही शैलेश बंसल ने विद्यालय परिसर में करीब 70 पौधे नीम, पीपल, जामुन, शहतूत, केला, बेलपथर, बरगद, शीशम, यूकेलिप्टस के अलावा फूलों में गेंदा, सूरजमुखी, गुलाब के साथ तुलसी के लगाए। विद्यालय की छुट्टी हो जाने के बाद पौधों को पानी देना उनकी दिनचर्या में शामिल है। वे हर रोज समय से पहले हरदुआगंज से विद्यालय आते और देर शाम जाते।

इनका कहना है

शैलेश बंसल के प्रयास सराहनीय हैैं। विद्यालय में छात्र नामांकन अधिक है। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए अतिरिक्त कक्षा कक्ष बनवाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।

डा. ऋचा गुप्ता, प्रभारी बीएसए।

ग्रामीणों ने कहा

मेेरे दो बेटे विद्यालय में पढ़ते है। पहले विद्यालय में सुरक्षा बंदोबस्त न होने के कारण डर लगता था। अब सुरक्षा के साथ बेहतर ज्ञान बच्चों को दिया जाता है।

शीलेंद्र कुमार, ग्रामीण

मेरी बेटी कक्षा पांच में पढ़ती है। विद्यालय में अब पहले की अपेक्षा काफी बदलाव हो गया है। बेटी को विद्यालय भेजने में संकोच नहीं होता।

लक्ष्मी देवी, ग्रामीण

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