Aligarh Poisonous Liquor Case : इनामी तीर चला तो समझो 'गेमओवर'
जिस वक्त पुलिस से लेकर शराब कारोबारी फूंक-फूंककर कदम रख रहे हों उस दौरान शराब सेल्समैन से लूट हो जाए तो चर्चाएं होने लगती हैं। कमरतोड़ कार्रवाई का दावा करने वाली पुलिस के सामने बदमाशों के हौसले इतने बुलंद कैसे हो गए कि दिनदहाड़े वारदात कर डाली।
अलीगढ़, जेएनएन। अपराधी पर इनाम घोषित करना पिंजरे में चूहे को लुभाने की तरह होता है। इनाम के लालच में अपराधी के करीबी भी गुप्त जानकारी दे देते हैं। गिरफ्तार करने वाली टीम को इनाम मिलता है। लेकिन, अक्सर देखा जाता है कि इनामी राशि बढ़ने के कुछ घंटों बाद ही अपराधी पकड़ा जाता है या गिरफ्तारी के बाद इनाम के बारे में पता चलता है। ये नियमों के विपरीत है। शराब माफिया की गिरफ्तारियों में भी ऐसा ही हुआ। जैसे ही इनाम बढ़ा, अपराधी पकड़ा गया। हालांकि इनाम पाने की प्रक्रिया लंबी होती है या कई बार विभागीय उधेड़बुन के चलते इनाम मिल भी नहीं पाता। लेकिन, उस वक्त वाहवाही खूब मिल जाती है। दूसरा पहलू ये भी है कि इनामी राशि से ही अपराधी के दुर्दांत होने का आभास होता है। ये कहने में दो-राय नहीं है कि इनामी तीर चल जाए तो समझो अपराधी का ''''गेमओवर'''' हो गया है।
बंटवारे वाले इलाके सुस्त...
जिस वक्त पुलिस से लेकर शराब कारोबारी फूंक-फूंककर कदम रख रहे हों, उस दौरान शराब सेल्समैन से लूट हो जाए तो चर्चाएं होने लगती हैं। कमरतोड़ कार्रवाई का दावा करने वाली पुलिस के सामने बदमाशों के हौसले इतने बुलंद कैसे हो गए कि दिनदहाड़े वारदात कर डाली। बदमाशों की तलाश में पुलिस की टीमें लग गई हैं। घटना को संदिग्ध मानते हुए भी जांच हो रही है। लेकिन, एक बात गौर करने वाली है कि नए थानों में इतनी तेजतर्रारी नहीं आई है। क्वार्सी व गांधीपार्क के इलाकों का बंटवारा होने के बाद वो सुस्त पड़ गए हैं। कई इलाके हैं, जो एकांत में रहकर किसी भी घटना को दावत देने का मौका देते हैं। चौकी या थाना पुलिस तो दूर, यहां लैपर्ड तक गश्त नहीं करती। शाम ढलते ही इन इलाकों में गुजरने से भी लोग डरते हैं। ऐसे में सुनिश्चित करना होगा कि चप्पे-चप्पे पर पुलिस मुस्तैद है।
गुड वर्क के लिए बुरा मत करना...
इन दिनों शराब के खिलाफ ऐसा अभियान चल रहा है कि कोई भी बच नहीं सकता। लेकिन, बड़े प्रकरणों में अक्सर निर्दोष भी फंस जाते हैं। इस वक्त हर थाने की पुलिस गुड वर्क करने में लगी हुई है। जिले का हर तीसरा थाना रोजाना दो-चार अपराधियों को शराब के पव्वों के साथ पकड़कर जेल भेज रहा है। शहर में एक बुजुर्ग के पकड़े जाने पर स्वजन ने सवाल खड़ कर दिए। कहा कि दो दिन आरोपित को थाने में ही रखा। फिर अचानक पव्वों के साथ जेल भेज दिया। पुलिस का कहना है कि आरोपित नामजद है। अब नामजद है तो पुलिस के सामने भी गिरफ्तार करने की मजबूरी बन जाती है। ये भी सही बात है कि पुलिस का उस शख्स से कोई बैर थोड़ी है। बहरहाल, सच्चाई जो भी हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि इस प्रकरण की आड़ में कोई बेकसूर न फंसे।
खाकी के सामने इतनी मजाल कैसे?
खाकी चाहे तो क्या नहीं कर सकती। बरसों से बिछे माफिया के जाल को पुलिस ने काफी हद तक उधेड़ दिया है। लेकिन, कई तरह की मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। मुख्य आरोपितों पर जब मुकदमा हुआ, तो कई लोगों के हलक सूख गए। खैर वाले माफिया की पहली गिरफ्तारी हुई, तभी से सिफारिशों का दौर शुरू हो गया। खुद पुलिसकर्मी भी जी हुजूरी में लग गए। थाने में आराम फरमाने का वीडियो इसका सुबूत है। यहां से निकले तो जवां वाले माफिया की गिरफ्तारी के रास्ते में भी बाधाएं आईं, तभी समय लगा। आखिरकार वह पकड़ा गया। चर्चाएं ये भी हैं कि ये गिरफ्तारी व्यवस्थित तरीके से हुई। हरदुआगंज में केमिकल की फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद भी राजनीतिक दबाव सामने आया था। यही नहीं, पूछताछ में फैक्ट्री मालिक ने पुलिस को घुमाया। आखिर सैकड़ा पार मौतों के बाद भी माफिया की इतनी मजाल कैसे हो रही हैं।