अलीगढ़ पंचायत चुनाव 2021: विकास के वादे नहीं इरादे भी हों

बता दिया कि इस बार बातों से बहकाकर वोट लेना आसान नहीं। गांव गोरई में इस तरह का नजारा बुधवार को ही नहीं हर रोज रहता है। घरों से खेत तक वोट मांगने जाते दावेदार और उनके समर्थकों का शोर सुबह से शाम तक रहता है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 11:47 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 11:47 AM (IST)
अलीगढ़ पंचायत चुनाव 2021: विकास के वादे नहीं इरादे भी हों
बता दिया कि इस बार बातों से बहकाकर वोट लेना आसान नहीं।

अलीगढ़, सोनू शर्मा। गोरई में दिन निकलते ही सड़क पर चहल पहल ही शुरू हुई थी कि नारों की आवाज सुनाई देनी लगी। प्रधान पद के दावेदार अपनेे समर्थकों की टोली के साथ आते उससे पहले ही घरों के बाहर निकले लोगों टूटी सड़कों और सफाई अव्यवस्थाओं की चर्चा करते हुए पूर्व की व्यवस्थाओं पर नाराजगी जताने लगे। लेकिन, दावेदार और उनके समर्थकों के पास आते ही नाराजगी हंसी में बदल गई। वोट का आश्वासन मिलते ही टोली तो आगे गई, पर लोगों ने अपने इरादे साफ कर दिए। बता दिया कि इस बार बातों से बहकाकर वोट लेना आसान नहीं। गांव गोरई में इस तरह का नजारा बुधवार को ही नहीं, हर रोज रहता है। घरों से खेत तक वोट मांगने जाते दावेदार और उनके समर्थकों का शोर सुबह से शाम तक रहता है। वहीं, जगह-जगह चुनाव की चर्चा करते लोग गांव के विकास को लेकर चिंतित नजर आते हैं। इसे लेकर दोपहर एक स्थान पर तो चौपाल पर तो बहस छिड़ी हुई थी। सभी के अपने-अपने तर्क और आंकड़े थे। पूर्व में किए वादे पूरे न होने का गुस्सा भी था। कुछ रिश्ते-नातेदारी की हवाला देकर अपने प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाते नजर आए तो कुछ शिक्षित को प्रधान बनाने का तर्क दे रहे थे। इस बीच एक ग्रामीण ने तो यह कहकर सभी की बात काट दी कि विकास के वादे तो सभी कर रहे हैं, पर इरादे भी तो नजर आएं।

न सड़क सुधरी और न सफाई की व्यवस्था दुरुस्त हुई

इस बात से चौपाल में मौजूद लगभग सभी लोग सहमत नजर आए। पिछले चुनावों का उदाहरण देने लगे। बताने लगे कि सड़क और सफाई के लिए कैसी कैसी कसम खाई गईं , पर चुनाव के बाद न सड़क सुधरी और न सफाई की व्यवस्था दुरुस्त हुई। सत्तो बाबूजी ने तो सड़कों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसकी दशा पता नहीं कब सुधरेगी। बरसात के समय तो चलना मुश्किल होता है। गांव के चारों तरफ गंदगी और कीचड़ है। इस पर नाराजगी जताते हुए रामनिवास शर्मा ने बोले, दशा तो तब बदले जब कोई काम कराए। वादे तो वोट मांगते समय तक होते हैं। इस बार पढ़ा -लिखा प्रधान बनाएंगे, ताकि वह लोगों की समस्या ठीक से समझकर जिला मुख्यालय के अधिकारियों से बात कर सके। तभी समस्याओं का निदान संभव है। इससे पाला काका भी सहमत थे। उनका कहना था कि हर बार बड़े -बड़े वादे करके, झूठ बोल कर वोट ले जाते है। गांव के लिए कुछ नहीं करते। इस बार वोट उसी को देंगेेे, जिनके इरादे गांव के विकास के होंगे।

गांव में बिखरी हुई हैं समस्याएं

गोरई में समस्याएं हर तरफ हैं। जजर्र सड़क, चारों ओर कीचड़ नई बात नहीं है। इनका निदान न होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गांव के ही लटूर सिंह ने बताया कि हप्ते में दो दिन पैठ लगती है। इसका करीब दो से ढाई लाख रुपये में ठेका उठता है। पता नहीं चलता कि पैसा कहां जाता है। पैठ में गंदगी का अंबार लगा हुआ है।

वोट मांगनेे की भी सेल्फी

गांवों में चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है। सुबह से शाम तक दावेदार और उनके समर्थकों गलियों और खेतों पर नजर आते हैं। एेसे में मतदाताओं के साथ सेल्फी भी ले रहे हैं, जो कि दावेदारों और उनके समर्थकों के स्टेटस पर दिखती हैं।

गांव के विकास की सोच वाला व्यक्ति ही प्रधान बने तो अच्छा है। योग्य और पढ़े-लिखे प्रत्याशी को वोट देंगे। तभी ग्राम पंचायत का विकास होगा। सरकार से योजना आती है, जिनकी जानकारी ग्रामीणों को हो ही नहीं पाती है। प्रधान काबिल होगा तो हमें भी लाभ मिलेगा।

- साहब सिंह

क्षेत्र के विकास के वादे सदैव होते रहे है, लेकिन काम बहुत कम हुए हैं। इस बार किसी परिचित या रिश्तेदार के लिए मतदान नहीं करेंगे। गांव के विकास के लिए मतदान करेंगे। गांव के लोगों को भी यही बात समझाएंगे।

- नेत्रपाल सिंह

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