Encroachment Removed in Aligarh: अतिक्रमण का ‘ किला ’ बनता ही क्यों है, विस्तार से जानिए मामला
नगर निगम एक बार फिर अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर लेकर निकल पड़ा है। पहले दिन तस्वीर महल से लेकर शमशाद मार्केट तक कार्रवाई की गई। अतिक्रमण कहीं भी हो शहर की बेहतरी के लिए उसका हटना जरूरी है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। नगर निगम एक बार फिर अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर लेकर निकल पड़ा है। पहले दिन तस्वीर महल से लेकर शमशाद मार्केट तक कार्रवाई की गई। अतिक्रमण कहीं भी हो शहर की बेहतरी के लिए उसका हटना जरूरी है। नगर निगम को लंबे समय के बाद इसकी याद आती है यही चिंता का विषय है। सवाल ये भी है कि जब अफसरों की फौज शहर के हर मार्ग से गुजरती है तो अतिक्रमण का किला खड़ा क्यों हो जाता है? उसी समय कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है? अगर नियमित कार्रवाई होती रहेगी तो किसी अभियान के चलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एडीए, थाने और सेवा भवन के इर्द-गिर्द भी अतिक्रमण का जाल बुना मिल जाएगा। ऐसा कभी नहीं देखने को मिला कि संबंधित व्यक्ति को चेतावनी तक दी गई हो। ऐसे लाेगों के खिलाफ जब अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है तो नेता भी समर्थन में पहुंच जाते हैं।
निष्पक्ष कार्रवाई हो
अतिक्रमण अभियान जब भी चलता है सवालों के घेरे में भी खड़ा होता है। टीम पर आरोप भी लगते हैं उसका छोड़ दिया उसका तोड़ दिया। निगम की टीम ने अब अगर अतिक्रमण के खिलाफ मोर्चा खोल ही दिया है तो ऐसे आरोप नहीं लगने चाहिए। कार्रवाई भी निष्पक्ष और प्रभावी होनी चाहिए। प्रभावी ऐसी कि फिर उस जगह पर अवैध कब्जा जमाने की हिम्मत कोई न कर सके। ये सुनिश्चित भी इलाका पुलिस या निगम की टीम करे। अतिक्रमण को लेकर पूर्व में इस तरह की जिम्मेदारी इलाका पुलिस को दी जा चुकी है। रजिस्टर तक बनाए थे। इसके सुखद परिणाम भी देखने को मिले थे। बाद में जिम्मेदार इसे भूल गए। उम्मीद है इस बार भी अफसर ऐसी जिम्मेदारी थानेदारों को देंगे । अगर ऐसा होता है तो नासूर बनने से पहले ही अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी। बुलडोजर भी शहर के सभी इलाकों में पहुंचना चाहिए।
सड़क की भी तो सुध लो
बारिश के बाद शहर से लेकर सड़कें खस्ता हाल हैं। डांबर की सड़कों का सबसे ज्यादा हाल खराब है। रसलगंज चौराहा, तस्वीर महल, एटा चुंगी, सारसौल चौराहे के आसपास सड़कों में इतने गड्ढे बन गए हैं कि वाहन निकालना मुश्किल हो जाता है। रसलगंज चौराहे पर तो जगह-जगह गहरे गड्ढे बन गए हैं। बारिश के दिनों में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। हर साल सड़क टूटती हैं,लेकिन ऐसा नहीं होता कि लोगों को इन गड्ढों में धक्के खाने के लिए छोड़ दिया जाए। बारिश के चलते अगर सड़क बनाने में देरी होती तो गड्डाें को गिट्टी-मिट्टी से भरवा दिया जाता था। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ है। जबकि सरकार ने आदेश जारी कर रखा है कि सड़कों के गड्ढे जल्दी से जल्दी भरे जाएं। देखना यह है कि अपने यहां इसका पालन कब होता है? फिलहाल तो लोगों को धक्के खाने पड़ रहे हैं।
ये भी ठीक नहीं
कोरोना काल से हर कोई प्रभावित हुआ। अभी भी हालात पूरी तरह काबू में नहीं आए हैं। कोरोना का खतरा भी अभी टला नहीं है। इससे और चिंता बनी हुई है। शैक्षणिक कार्य भी बुरी तरह प्रभावित हुए। सरकार ने शर्तों के बीच स्कूल भले ही खोल दिए हों लेकिन स्कूलों का माहाैल पहले जैसा नहीं बन पाया है। बच्चों को स्कूल भेजने से पहले अभिभावकों के मन में तमाम सवाल अभी हैं। इस कारण कम संख्या में बच्चे पहुंच रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से जो माहौल बनाया जा रहा है उससे अभिभावक परेशान हैं। कुछ स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर बच्चों को स्कूल भेजने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें तमाम निमयों का हवाला दिया जा रहा है। अभिभावक जब किसी नियम या आदेश की कापी मांगते हैं तो कोई दिखाने को तैयार नहीं होता। तर्क भी दिए जाते हैं। इस पर जिला प्रशासन को मंथन करना चाहिए।