Aligarh Municipal Corporation: बोर्ड और निगम में मौके की तलाश...बस छह महीने ही रहेगा खास

दिल्ली में सीएम योगी आदित्यनाथ के दो दिनों के प्रवास को लेकर तमाम अटकलें लगाई जाने लगी थीं। सबसे प्रमुख चर्चा है कि भाजपा जल्द ही मंत्रीमंडल का विस्तार कर सकती है। साथ ही सूबे में खाली पड़े बोर्ड और निगम के पदों को भी भर सकती है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 11:49 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 11:49 AM (IST)
Aligarh Municipal Corporation: बोर्ड और निगम में मौके की तलाश...बस छह महीने ही रहेगा खास
सूबे में खाली पड़े बोर्ड और निगम के पदों को भी भर सकती है।

अलीगढ़, जेएनएन। दिल्ली में सीएम योगी आदित्यनाथ के दो दिनों के प्रवास को लेकर तमाम अटकलें लगाई जाने लगी थीं। सबसे प्रमुख चर्चा है कि भाजपा जल्द ही मंत्रीमंडल का विस्तार कर सकती है। साथ ही सूबे में खाली पड़े बोर्ड और निगम के पदों को भी भर सकती है। ऐसे में जिले के वरिष्ठ नेताओं में आस जगी है। वो लखनऊ तक दौड़ लगाना शुरू कर दिया है। आठ से दस वरिष्ठ नेता हैं जो विभिन्न् पदों की दौड़ में हैं। हालांकि, विधानसभा चुनाव भी एकदम नजदीक है, ऐसे में छह महीने ही पद खास रहेगा।

यह है भाजपा की रणनीति

प्रदेश में भाजपा की सरकार 2017 में बनी थीं। करीब 15 साल बाद सरकार बनने से भाजपाइयों में गजब का उत्साह था। पुराने और वरिष्ठ नेताओं के तो सपनों में मानों पंख लग गए थे। क्योंकि लंबे अरसे से सत्ता से बाहर होने के चलते उनकी भी धार कुंद होने लगी थी। ऐसे में उन्हें यह लगता था कि पार्टी सत्ता में आ जाएगी तो उनका भी भला होगा, उन्हें भी बोर्ड और निगम आदि के पदों पर आसीन किया जा सकता है। मगर, ऐसा हुआ नहीं। चार वर्षों में पार्टी के नेताओं की इतनी व्यस्तता रही कि निगम और बोर्ड के पदों की ओर ध्यान ही नहीं जा सका। अब चार वर्ष कैसे बीत गए इस बारे में नेताओं को भी जैसे मानों पता नहीं चल सका। वहीं, दूसरी ओर इन चार वर्षों में भाजपा के वरिष्ठ और कर्मठ नेता बायोडाटा देते-देते थक गए, उन्हें लगता था कि पार्टी मौका देगी। क्योंकि वर्षों तक सेवा की है, मगर ऐसा नहीं हुआ। चार साल तक पार्टी को समय ही नहीं मिला और बोर्ड, निगम समेत संगठन में भी तमाम पद नहीं भरे गए। हालांकि, अब कुछ दिनों से कवायद तेज हो गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ के दिल्ली के प्रवास को देखते हुए चर्चा होने लगी है कि बोर्ड और निगम के साथ ही संगठन में भी पदों को भरा जाएगा। इसलिए नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। एक बार फिर उन्होंने लखनऊ स्थित पार्टी के बड़े पदाधिकारियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है, जिससे उन्हें मौका मिल जाए। हालांकि, सरकार के अब बमुश्किल छह महीने ही रह गए हैं। क्योंकि दिसंबर के बाद से चुनाव की सरगर्मियां तेज हो जाएंगी। ऐसे में पार्टी के नेताओं को पदों पर अधिक समय तक रहने का मौका भी नहीं मिल पाएगा।

मोर्चा के भी नहीं हो पाए हैं गठन

संगठन के रुप में सशक्त और मजबूत पार्टी इस बार कई इकाईयां गठित नहीं कर पाई है। भारतीय जनता युवा मोर्चा, किसान, अल्पसंख्यक और महिला मोर्चा का भी गठन नहीं हो पाया है। युवा मोर्चा तो तीन साल से गठित नहीं हो पाया है। पुराने कार्यकर्ता ही पद पर आसीन हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं में भी निराशा छाने लगी है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि समय से गठन होने पर उन्हें कार्य करने का अच्छे से मौका मिल जाता है। यदि अभी मोर्चा का गठन होता है तो तुरंत चुनाव की शुरुआत हो जाएगी। मोर्चा के पदाधिकारियों को पूरी ताकत उसी में झोकनी पड़ जाएगी। फिलहाल, चर्चा जोरों पर है कि मोर्चा का भी गठन बहुत शीर्घ होगा।

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