Aligarh Municipal Corporation : एक साल में जेनरेटर पर हुए खर्च का हिसाब न दे सका नगर निगम
जनसूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के प्रति नगर निगम की अधिकारी कितने गंभीर हैं इसका अंजादा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक साल बाद भी अधिकारी जेनरेटरों पर हुए खर्च संबंधी सूचनाएं उपलब्ध नहीं करा सके।
अलीगढ़, जेएनएन। जनसूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के प्रति नगर निगम की अधिकारी कितने गंभीर हैं, इसका अंजादा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक साल बाद भी अधिकारी जेनरेटरों पर हुए खर्च संबंधी सूचनाएं उपलब्ध नहीं करा सके। आरटीआइ के तहत में पूछा था कि नगर निगम के सेवाभवन में लगे जेनरेटर 11 माह में कितना डीजल पी गए? ये जानकारी निगम अधिकारी नहीं दे पा रहे। अब जवाब मिला है कि सूचनाएं देना आच्छादित नहीं है। यानि, कानून के तहत उक्त जानकारी नहीं दी जा सकतीं। इस पर आपत्ति जताते हुए आवेदक ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर सूचनाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।
भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला
बन्नादेवी क्षेत्र की फायर ब्रिगेड कॉलोनी निवासी अविनाश सिंह ने आरटीआइ के तहत नगर निगम से डीजल पर हुए खर्च संबंधित कुछ बिंदुओं पर सूचनाएं मांगी थीं। पूछा, सेवाभवन में कुल कितने जेनरेटर कहां-कहां लगे हैं, इनकी क्षमता कितनी है? एक अप्रैल, 19 से 29 फरवरी, 20 तक इन जेनरेटरों पर कितने लीटर डीजल खर्च हुआ? प्रत्येक दिन व माह का ब्यौरा लागबुक की प्रतिलिपि समेत मांगा था। पेट्रोल पंप द्वारा कितनी धनराशि के बिल उपलब्ध कराए गए, ये भी जानकारी मांगी गई। नगर आयुक्त को लिखे पत्र में आवेदक ने कहा कि निर्धारित समय में सूचना न मिलने पर प्रथम अपील की गई। तब भी सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं। 14 सितंबर को निगम के सूचना सेल से आवेदन से संबंधित पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें कहा गया सूचनाएं देना आच्छादित नहीं हैं। आवेदक का कहना है कि ये भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। अधिनियम का हवाला देकर सूचनाएं जानबूझकर छिपाई जा रही हैं। जनसूचना अधिकार अधिनियम की धारा आठ की उपधारा (ञ) के अनुसार ऐसी सूचनाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं। आवेदक ने इस संबंध में नगर आयुक्त को फिर पत्र लिखा है।