Dispute over puddle land of Aligarh Municipal Corporation: नगर निगम का दावा, पोखर में दर्ज है भूमि
रावण टीला पाेखर प्रकरण में नगर निगम अधिकारियों ने दावा किया है पूरी भूमि पोखर में दर्ज है। मछली पालन के लिए पट्टे पर ली गई भूमि के फर्जी बैनामे हुए। इसी आधार पर दूसरा पक्ष अपना हक जता रहा है जो गलत है।
अलीगढ़, जेएनएन। रावण टीला पाेखर प्रकरण में नगर निगम अधिकारियों ने दावा किया है पूरी भूमि पोखर में दर्ज है। मछली पालन के लिए पट्टे पर ली गई भूमि के फर्जी बैनामे हुए। इसी आधार पर दूसरा पक्ष अपना हक जता रहा है, जो गलत है। सोमवार को सेवाभवन पहुंचे ट्रस्ट व स्कूल प्रबंध समिति के सदस्यों से निगम अधिकारियों की इसको लेकर गर्मागरम बहस हुई। प्रबंध समिति को दो दिन में पत्रावलियां पेश करने का समय दिया गया है। वहीं, पोकलैंड मशीन से विवादित भूमि पर सफाई कार्य भी शुरू करा दिया गया। बाचतीत के दौरान भाजपा नेता और जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों के पहुंचने पर ट्रस्ट के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई। दवाब बनाने का आरोप लगाया।
यह है मामला
रावण टीला में सुरेंद्र नगर पानी की टंकी के निकट पोखर की भूमि को लेकर विवाद बना हुआ है। श्री माहौर वैश्य विद्या प्रचार ट्रस्ट व महाऊरू विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्य सेवाभवन में अपर नगर आयुक्त अरुण कुमार गुप्त से मिले अौर अपना पक्ष रखा। बताया कि गाटा संख्या 11 की भूमि 1966 में ट्रस्ट के नाम दाखिल खारिज हो चुकी है। खतौनी में मंत्री पद अंकित है। 22 नवंबर, 2018 को कोर्ट ने स्टे आर्डर जारी कर किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी है। बावजूद इसके नगर निगम ट्रस्ट की जमीन पर गड्ढा खुदवा कर कब्जा ले रहा है। ट्रस्ट के अध्यक्ष जगदीश महाजन, पवन गुप्ता, महेंद्र कुमार, नारायण हरि गुप्ता आदि ने बताया कि इस जमीन पर ट्रस्ट द्वारा राजा भामाशाह कन्या महाविद्यालय प्रस्तावित है। 28 जून, 2011 को पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने शिलान्यास किया था। 2018 में नगर निगम ने शिलान्यास का पत्थर तोड़ दिया, बोर्ड भी उखाड़ दिया था। रविवार को अधिकारियों द्वारा कहा गया था कि पैमाइश कराकर सीमांकन कराएंगे, लेकिन कार्यालय बुलाकर अपमानित किया गया। सरकारी कार्य में हस्तक्षेप करने पर जेल भेजने की धमकी दी गई। साथ आए बुजुर्गों से कहा कि घर में बैठकर आराम कीजिए, उम्र हो गई है। बताया कि भाजपा नेताओं काे देखकर अफसरों का रुख बदल गया था। नेताओं के इशारे पर वह धमकाने लगे।
पावर अर्टानी से कराए फर्जी बैनामे
अपर नगर आयुक्त अरुण कुमार ने कहा गाटा संख्या 11 और गाटा संख्या 1981 में करीब पांच हजार वर्गगज भूमि पोखर की है। गाटा संख्या में 13 में विद्यालय बना हुआ है। विद्यालय की 140 वर्गगज भूमि गाटा संख्या 1981 में है। 1359 फसली में यह भूमि पोखर में दर्ज है। उन्होंने बताया कि पूर्व में मछली पालन के लिए यह भूमि पट्टे पर दी गई थी। पट्टा धारकों से पावर अर्टानी कराकर कुछ लोगों ने फर्जी बैनामे कर दिए। जबकि, पट्टे खत्म होते ही भूमि नगर निगम के अधीन हो जाती है। दस्तावेजाें में निगम का नाम हटवा कर ट्रस्ट का डलवा दिया गया। विवादित भूमि पोखर में दर्ज है, इसका स्वरूप नहीं बदला जा सका। न ही किसी तरह का निर्माण किया जा सकता। यही बात ट्रस्ट व स्कूल प्रबंध समित के सदस्यों को समझाई थी। किसी को अपमानित नहीं किया गया। सिविल कोर्ट में मामला विचाराधीन है। हम अपना पक्ष रखेंगे। सफाई कार्य बंद नहीं होगा। रही बात स्टे आर्डर की तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि स्टे आर्डर छह माह तक ही मान्य रहता है।