कोरोना काल में अलीगढ़ जेल प्रशासन रख रहा बुजुर्ग बंदियों का ख्याल

जेल... जिसका नाम सुनकर ही हर कोई सहम जाता है। लेकिन असल मायने देखे जाएं तो जेल से अछा सुधार गृह कोई नहीं होता। अलीगढ़ जेल ने कोरोना काल में भी इस कथन को साबित किया है। इस संकट में जहां इलाज को लेकर हर जगह मारामारी हो रही है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 07:28 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 07:28 AM (IST)
कोरोना काल में अलीगढ़ जेल प्रशासन रख रहा बुजुर्ग बंदियों का ख्याल
86 साल के बंदी को पीठ में कैंसर है। तीन माह से जेल प्रशासन इसका इलाज करा रहा है।
अलीगढ़, जेएनएन। जेल... जिसका नाम सुनकर ही हर कोई सहम जाता है। लेकिन, असल मायने देखे जाएं तो जेल से अ'छा सुधार गृह कोई नहीं होता। अलीगढ़ जेल ने कोरोना काल में भी इस कथन को साबित किया है। इस संकट में जहां इलाज को लेकर हर जगह मारामारी हो रही है, वहां जेल प्रशासन एक बुजुर्ग बंदी का पूरा ख्याल रख रहा है। 86 साल के बंदी को पीठ में कैंसर है। तीन माह से जेल प्रशासन इसका इलाज करा रहा है। पूरा खर्चा भी उठा रहा है।
 जेल के बंदियों ने योद्धा बनकर काम किया 
जिला अलीगढ़ कारागार में बंदियों को सुधारने के लिए कई गतिविधियां करवाई जाती हैं। नतीजतन, कोरोना काल में भी जेल के बंदियों ने योद्धा बनकर काम किया और प्रोत्साहन पाया। दूसरी तरफ, बंदियों की सेहत को लेकर जेल प्रशासन खासा सतर्क रहता है। इसका उदाहरण जेल में बंद एक 86 वर्षीय विजय सिहं है। जिस संकट में देशभर का हाल बेहाल है, वहां इस बंदी का प्रशासन पूरा ख्याल रख रहा है। विजय ङ्क्षसह पर इगलास थाने में हत्या का आरोप है। विजय को यहां 12 जुलाई 2012 को जेल में लाया गया था। उम्र ज्यादा होने के चलते अक्सर बीमारियों ने जकड़े रखा। लेकिन, जेल के अस्पताल में सही इलाज मिलने के चलते कोई दिक्कत नहीं आई। तीन माह पहले विजय को पीठ में दिक्कत होने लगी। जेल के अस्पताल से जेएन मेडिकल कालेज में रेफर कर दिया गया। जांच में पता चला कि विजय को कैंसर है। तभी से मेडिकल में ही उपचार शुरू हो गया।
दो लाख रुपये हो चुके खर्च
विजय ङ्क्षसह के पीठ में सूजन (लम्फ) की शिकायत भी थी। इसके लिए जेल प्रशासन ने जिला मलखान ङ्क्षसह अस्पताल में विजय का आपरेशन भी कराया। इस पर करीब 50-60 हजार खर्च हुए। इसके बाद अप्रैल में जेएन मेडिकल कालेज में विजय की पांच बार रेडियोथैरेपी करवाई गई। इस पर भी तकरीबन 60 हजार का खर्च आया। इसके अलावा जेल के अस्पताल में ही तीन माह से इलाज चल रहा है। जेल प्रशासन के मुताबिक, अब तक दो लाख से ज्यादा का खर्च हो चुका है।
जमानत के लिए लिखा पत्र
जेल में अगर किसी बंदी की हालत ज्यादा गंभीर होती है तो उसे जमानत देने पर विचार किया जाता है। एक प्रावधान के तहत ऐसे बंदियों को जमानत देने के लिए जेल प्रशासन कोर्ट से अनुमति मांगता है। कोर्ट इस पर फैसला लेता है। सूत्रों के मुताबिक, विजय सिंह की जमानत को लेकर जेल प्रशासन ने अप्रैल के अंत में कोर्ट को पत्र लिखा है।
 
जिला कारागार में बंदियों को तनावमुक्त रखने के लिए कई गतिविधियां कराई जाती हैं। बीमार बंदियों का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। 86 वर्षीय बंदी विजय सिंह को तीन माह कैंसर डिटेक्ट हुआ था। इसका आपरेशन कराया गया। जेएन मेडिकल कालेज में रेडियोथैरेपी भी करवाई जा चुकी है। जेल के डाक्टरों की निगरानी में बंदी के इलाज संबंधी हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
- विपिन कुमार मिश्रा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक
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