आस्था के सैलाब में डूबा अलीगढ़ शहर, गणेश की जयकार

अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं का भक्तिभाव के साथ विसर्जन अबीर-गुलाल से नहा उठा शहर गली-मुहल्लों से निकलीं शोभायात्राएं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 12:56 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 01:34 AM (IST)
आस्था के सैलाब में डूबा अलीगढ़ शहर, गणेश की जयकार
आस्था के सैलाब में डूबा अलीगढ़ शहर, गणेश की जयकार

जासं, अलीगढ़ : अनंत चतुर्दशी पर पूरा शहर भगवान गणेश की भक्ति के रंग में रंग गया। प्रतिमा विसर्जन के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में श्रद्धालु गाड़ियों से गणपति की प्रतिमा के साथ गंगा तट पहुंचे और विसर्जन किया। भक्तों ने नृत्य कर अबीर-गुलाल उड़ाया। हर तरफ गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस जल्दी आना के जयकारे गूंज रहे थे।

रविवार को सुबह से ही भगवान गणेश की प्रतिमा के विसर्जन का सिलसिला शुरू हो गया था। सुबह भक्ति-भाव के साथ पूजन किया गया। अबीर-गुलाल के साथ गजानन का अभिषेक किया गया। ढोल पर श्रद्धालु जमकर थिरके। दुबे पड़ाव स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर से नरौरा घाट ले जाकर प्रतिमा का विसर्जन किया गया। भक्तों ने गणेश की मूर्ति पर सिदूर लगाया, मंत्रोच्चार हुआ, लड्डू का भोग लगाया। नवीन वाष्र्णेय, बंटी वाष्र्णेय, दीपक वाष्र्णेय, जीवन वाष्र्णेय आदि मौजूद थे। सुरेंद्र नगर के रावणटीला स्थित चेतन आश्रम की गली से शोभायात्रा निकाली गई। अबीर-गुलाल उड़ाते हुए श्रद्धालुओं ने नृत्य किया। गणपति बप्पा मोरया के जयकारे गूंज उठे। शहर के चारों ओर से शोभायात्रा के साथ गणेश विसर्जन के लिए भक्तों ने रामघाट, राजघाट, नरौरा और सांकरा के लिए प्रस्थान किया। रामघाट रोड सुबह से ही भक्ति के गीतों से गूंजता रहा। डीसीएम और छोटा हाथी पर प्रतिमा रखकर श्रद्धालु झूमते जा रहे थे। देररात तक वाहनों से श्रद्धालुओं के निकलने का तांता लगा हुआ था। सड़कें अबीर-गुलाल से पट गईं थीं।

घर-घर स्थापित की प्रतिमाएं

पिछले साल कोरोना के चलते गणेश उत्सव धूमधाम से नहीं मनाया गया था। इस बार श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। घर-घर में प्रतिमाएं स्थापित की गई थीं। विधि-विधान से 10 दिनों तक पूजन किया। रविवार को गंगा नदी और नहर में विसर्जन किया। महावीरगंज, बारहद्वारी, सुरेंद्र नगर, रमेश विहार, विक्रम कालोनी, क्वार्सी में महिलाएं भजन कीर्तन करते हुए चल रही थीं। छोटे-छोटे बच्चे भी गणपति को सिर पर रखकर निकले।

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