आजादी की यादों को संजाेए है अलीगढ़ का जिला पंचायत भवन, ये हैं खासियत

कुछ इमारते बोलती हैं। गौरव गाथा कहती हैं। इतिहास की थाती को संजोए हुए होती हैं। ऐसी ही अलीगढ़ जिले में अनूप शहर रोड स्थित जिला पंचायत की इमारत है। इसी इमारत से जिले में वर्ष 1942 में भारत छोड़ों आंदोलन की आग धधकती थी।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 06:33 AM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 06:33 AM (IST)
आजादी की यादों को संजाेए है अलीगढ़ का जिला पंचायत भवन, ये हैं खासियत
कुछ इमारते बोलती हैं। गौरव गाथा कहती हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। कुछ इमारते बोलती हैं। गौरव गाथा कहती हैं। इतिहास की थाती को संजोए हुए होती हैं। ऐसी ही अलीगढ़ जिले में अनूप शहर रोड स्थित जिला पंचायत की इमारत है। इसी इमारत से जिले में वर्ष 1942 में भारत छोड़ों आंदोलन की आग धधकती थी और पूरा शहर अंग्रेजों के खिलाफ उतर पड़ा था। डिस्ट्रक बोर्ड के रुप में कभी इस इमारत में घुसना शान समझा जाता था। बोर्ड के सदस्य बनने पर तो मानों कलक्ट्रेट जैसी पदवी मानी जाती थी।

100 वर्ष पुराना भवन

जिला पंचायत की इमारत 100 वर्ष पुरानी है। यहां मुख्य विकास अधिकारी, बीएसए का कार्यालय हुआ करता था। सीडीओ इसी इमारत में बैठते थे। हालांकि, आजादी की तमाम यादों को यह इमारत समेटे हुए हैै। तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी इससे जुड़े हुए हैं। वर्ष 1947 से पहले नौरंगीलाल इंटर कॉलेज, डिस्टिक बोर्ड, कलक्ट्रेट में क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाते थे। डिस्ट्रिक बोर्ड (जिला पंचायत ) परिसर में भी स्वतंत्रता सेनानी बैठा करते थे। इसलिए इस इमारत पर अंग्रेजों की काफी निगाह रहती थी। 1942 में भारत छोड़ों आंदोलन की चिंगारी यहीं से फूटी। अलीगढ़ में गांव-गांव में यह आवाज बुलंद होने लगी कि अब अंग्रेजों को भारत में नहीं रहने देंगे। उनके खिलाफ पूरा देश एकजुट हो चुका था।

1952 में डिस्ट्रिक बोर्ड का चुनाव हुआ

समाजसेवी योगेश शर्मा बताते हैं कि देश आजाद हुआ तो 1952 में डिस्ट्रिक बोर्ड का चुनाव हुआ। उस समय जिला पंचायत नहीं हुआ करती थी। बोर्ड के चेयरमैन ठा. नवाब सिंह चौहान, कार्यवाहक रहे ठा. साहब सिंह तोमर, कुंवर श्रीनिवास शर्मा ने भी जिम्मेदारी संभाली। सदस्य ठा. शिवदान सिंह, शिवचरन लाल शर्मा आदि थे। यह महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। ठा. साहब सिंह तोमर बोर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष रहे। योगेश शर्मा बताते हैं कि डिस्ट्रिक बोर्ड का चेयरमैन का पद सबसे बड़ा माना जाता था। चेयरमैन और सदस्य बनना लोगों की शान मानी जाती थी। पूरे जिले में उनका सम्मान होता था। 1960-70 के दशक में डिस्ट्रिक बोर्ड जिला परिषद में परिवर्तित हो गया।

काफी समय तक डीएम प्रशासक रहे

सुपर सीट होने के चलते काफी समय तक डीएम प्रशासक रहे। फिर लंबे समय के बाद 1989 में चुनाव हुआ। जिला पंचायत परिषद के अध्यक्ष ठा. महीपाल सिंह बने। उमेश कुमारी भी अध्यक्ष रहीं। हालांकि, परिषद फिर जिला पंचायती में बदल चुका था। फिर जिला पंचायत अध्यक्ष की कमान तेजवीर सिंह गुड्डू, राम सखी कठेरिया ने भी संलाली। चौधरी सुधीर सिंह भी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी संभाल चुके हैं। 2015 में उपेंद्र सिंह नीटू ने जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी संभाली। अब उनका कार्यालय 20 जनवरी को खत्म हो रहा है। 

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