अलीगढ़ भाजपा राजनीति : माटी को भांपकर नया पैतरा चलने की तैयारी, जानिए क्या है मामला

चुनाव की तैयारियों और रणनीति बनाने में भाजपा सबसे आगे रहती है। किसी भी प्रदेश में चुनाव हो तो डेेढ़ से दो साल पहले तैयारियां शुरू कर देती है। मगर कोरोना के चलते इधर करीब डेढ़ साल से खुलकर चुनाव में भाजपा नहीं उतर पा रही है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 03:16 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 03:16 PM (IST)
अलीगढ़ भाजपा राजनीति : माटी को भांपकर नया पैतरा चलने की तैयारी, जानिए क्या है मामला
विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज होने लगी हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज होने लगी हैं। जिले में सातों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। मगर, इस बार चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। सपा और रालोद के गठबंधन की सुगबुगाहट है। ऐसे में भाजपा के लिए सात में से तीन सीटें खतरे में पड़ती हुई दिखाई दे रही हैं। खैर और इगलास जाट बाहुल्य क्षेत्र है। यदि सपा और रालोद का गठबंधन होता है तो भाजपा के लिए काफी मुश्किल हो जाएगा।

यह है भाजपा की राजनीति

चुनाव की तैयारियों और रणनीति बनाने में भाजपा सबसे आगे रहती है। किसी भी प्रदेश में चुनाव हो तो डेेढ़ से दो साल पहले तैयारियां शुरू कर देती है। मगर, कोरोना के चलते इधर करीब डेढ़ साल से खुलकर चुनाव में भाजपा नहीं उतर पा रही है। वर्चुअल कार्यक्रम अधिक हो गए हैं। विधानसभा चुनाव की तैयारियों में भाजपा नेता जुट गए हैं। अभी हाल में हुई जिला कार्यसमिति की बैठक में यह कह दिया गया कि चुनाव में पूरी तरह से जुट जाएं। जिले में भाजपा के लिए इस बार राह आसान न होगी। सातों सीटों पर विजय पताका फहराने की चिंता होगी तो दूसरी ओर टिकट को लेकर रस्साकसी होगी। रुठों को मनाना भी होगा। ऐसे में भाजपा को फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा। इस बार सियासत की तासीर कुछ बदली नजर आ रही है। समाजववादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन की सुगबुहाट है। हालांकि, दोनों दलों ने पंचायत चुनाव में नजदीकियां बढ़ाई थीं। चुनाव जीतने के बाद दोनों दलों ने संयुक्त रुप से जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी उतारा था, मगर चुनाव के बीच में ही कुनवा बिखर गया। रालोद के सदस्य अलग हो गए। अब विधानसभा चुनाव में इनकी दोस्ती कितनी गहरी होती है वो वक्त बताएगा, मगर यदि दोनों दल मिलते हैं तो भाजपा के लिए दिक्कत जरूर होगी। सबसे अधिक खैर और इगलास विधानसभा सीट पर है। ये दोनों सीटें जाट बाहुल्य हैं। रालोद का यहां पर दबदबा रहा है। पिछली बार दोनों सीटों पर रालोद काबिज थी।

सपा रालोद गठबंधन

खैर से भगवती प्रसाद सूर्यवंशी तो इगलास से त्रिलोकीराम दिवाकर विधायक थे। 2017 में पहली बार भाजपा दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी। खैर से अनूप प्रधान और इगलास से राजकुमार सहयोगी विधायक हैं। सपा-रालोद का यदि गठजोड़ होता है तो दोनों की स्थिति मजबूत होगी। किसान आंदोलन का भी असर इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में रहा है, इसका भी असर पड़ सकता है। हालांकि, भाजपा ने जिस प्रकार से जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता है, उससे साफ पता लग गया है कि जनता भाजपा के साथ है। मोदी और योगी की नीतियों को वो पसंद कर रही है। खैर और इगलास विधानसभा क्षेत्र के ही अधिकांश सदस्य पार्टी के साथ आकर खड़े हो गए थे। उन्होंने चुनाव में भाजपा का साथ दिया था। इससे पैतरा बदल भी सकता है।

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