Aligarh-Agra highway : आपसी तकरार में अलीगढ़-आगरा हाईवे की बत्ती गुल
अलीगढ़-आगरा हाईवे को रोशन करने की तीन साले पहले बनी याेजना आपसी तकरार के चलते परवान नहीं चढ़ सकी। सहमति न बनने से पहले टेंडर निरस्त हुआ फिर बजट कम कर टेंडर उठाया तो कोई फर्म नहीं मिली।
अलीगढ़, जेएनएन। अलीगढ़-आगरा हाईवे को रोशन करने की तीन साले पहले बनी याेजना आपसी तकरार के चलते परवान नहीं चढ़ सकी। सहमति न बनने से पहले टेंडर निरस्त हुआ, फिर बजट कम कर टेंडर उठाया तो कोई फर्म नहीं मिली। एक फर्म में टेंडर लिय भी पोल खड़े करने में ही एक साल लगा लिया, लाइट (एलईडी) फिर भी न लगीं। फर्म संचालक का कहना है कि टेंडर सिर्फ पोल खड़ा करने का मिला था। बीते साल निगम ने 60 लाख टेंडर निकला, जिस पर पार्षद राजी न हुए। एलईडी लगाने का काम ईईएसएल कंपनी को सौंप दिया गया। कंपनी पुराना हिसाब किए बिना नया काम करने को तैयार नहीं है।
पार्षदों ने बजट कराया निरस्त
अलीगढ़-आगरा हाईवे सासनीगेट चौराहे से शुरू हो जाता है। चौराहे से सराय हरनारायण तक नगर निगम की सीमा है। हाईवे पर इसी बीच स्ट्रीट लाइट लगनी हैं। एनएचएआइ ने इसकी अनुमति भी दे दी है। 2017 में 1.20 करोड़ का टेंडर निकाला गया था। इसमें डिवाइडर पर पोल लगाने के अलावा एलईडी लाइट की खरीद भी शामिल थी। बाद में ये टेंडर रद कर दिया गया। टेंडर से पाेल हटाकर एलईडी का ठेका ईईएसएल कंपनी को दे दिया गया। कंपनी का नगर निगम से पहले से करार था। शहर में इसी कंपनी द्वारा स्ट्रीट लाइट लगवाई गई हैं। लेकिन पुराना भुगतान न होने पर कंपनी ने एलईडी लगाने से मना कर दिया। उधर, पाेल लगाने के लिए 48 लाख रुपये का टेंडर एक फर्म काे दिया गया। ये काम सालभर बाद खत्म हो सका। एलईडी लगाने के लिए बीते साल करीब 60 लाख रुपये का टेंडर निकाला गया, लेकिन पार्षदों ने बजट अधिक बताकर आपत्ति जता दी। टेंडर कैंसिल कर दिया गया। अब पुन: ईईएसएल कंपनी से एलईडी लगाने को कहा गया है।
दो कंपनियों ने संभाली जिम्मेदारी
नगर निगम ने बिजली का खर्चा बचाने को साेडियम व हाइमास्ट लाइट हटवाकर एलईडी लाइट लगवाई थीं। इन्हें लगाने से लेकर रखरखाव का ठेका सरकार ने ईईएसएल कंपनी काे दिया था। ईईएसएल ने इयोन कंपनी को शामिल कर काम बांट लिया। कंपनी प्रतिनिधि के मुताबिक 24 फरवरी, 15 कंपनी का निगम से एग्रीमेंट हुआ। तब 14197 लाइट लगाई गईं। दूसरा एग्रीमेंट 27 दिसंबर, 18 को हुआ, तब 19705 लाइट लगीं। 2019 में निगम ने 6.25 करोड़ का पुराना भुगतान कर दिया। इसके बाद कोई भुगतान नहीं हुआ। कंपनी अब तक 33902 लाइट लगा चुकी है। उधर, निगम का कहना है कि 22000 ही लाइट लगी हैं। करार ये था कि बिजली बचत का 30 फीसद हिस्सा निगम कंपनी को करेगा और 70 फीसद हिस्सा कंपनी को शासन से मिलेगा। इस करार से पूर्व निगम हर माह करीब 50 लाख रुपये विद्युत बिल का भुगतान करता था।