किसान पाठशाला में जैविक खेती के गुर सिखा रहे कृषि अधिकारी, दिए खास टिप्‍स Aligarh news

फसलों में रसायनिक खाद और कीटनाशक के अत्याधिक प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति निरंतर कम हो रही है। फसलों की गुणवक्ता भी प्रभावित है। यही नहीं लागत ज्यादा आ रही है। बावजूद इसके रसायनिक उर्वरक कीटनाशक के प्रति किसानों का मोह कम नहीं हो रहा।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 02:38 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 02:38 PM (IST)
किसान पाठशाला में जैविक खेती के गुर सिखा रहे कृषि अधिकारी, दिए खास टिप्‍स Aligarh news
पाठशाला में किसानों को अन्य जानकारियों के अलावा जैविक खेती के फायदे भी गिनाए गए।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। फसलों में रसायनिक खाद और कीटनाशक के अत्याधिक प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति निरंतर कम हो रही है। फसलों की गुणवक्ता भी प्रभावित है। यही नहीं, लागत ज्यादा आ रही है। बावजूद इसके रसायनिक उर्वरक, कीटनाशक के प्रति किसानों का मोह कम नहीं हो रहा। इस मोह को कम करने के लिए किसानों का रुख जैविक खेती की ओर करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। गोष्ठियों के जरिए कृषि अधिकारी जैविक खेती के प्रति किसानों को जागरुक कर रहे थे। अब किसान पाठशालाओं में भी यही सीख दी जा रही है। 122 ग्राम पंचायत में लगी दो दिवसीय पाठशाला में किसानों को अन्य जानकारियों के अलावा जैविक खेती के फायदे भी गिनाए गए।

यह दिए निर्देश

सरकार ने जिला स्तर पर प्रत्येक ग्राम पंचायत में किसान पाठशाला आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। बुधवार को पहली पाठशाला लगी थी। दूसरी पाठशाला गुरुवार आयोजित हुई। 20 व 21 सितंबर को भी किसान पाठशाला आयोजित की जाएंगी। इनमें किसानों को पराली प्रबंधन, नवीनतम फसल उत्पादन तकनीकी, कृषि व अन्य विभागों की योजनाआें के बारे में बताया जा रहा है। विशेष कर जैविक खेती की जानकारी कृषि अधिकारी दे रहे हैं। जैविक खाद कैसे बने, यह भी बताया जा रहा है। पराली का उपयोग जैविक खाद के रूप में करने की विधि किसान सीख रहे हैं। जिससे खेतों में पराली काे जलाया न जा सके। धान की फसल अक्टूबर तक पक जाएगी। तब पराली के निस्तारण को लेकर समस्याएं अाएंगी। यही वजह है कि पराली का निस्तारण जैविक खाद के रूप में करने पर जोर दिया जा रहा है।

उत्‍पादन बेहतर

जिला उद्यान निरीक्षक चेतन्य वाष्र्णेय बताते हैं कि किसान जैविक खेती के महत्व को समझ रहे हैं। कई किसान जैविक खेती करने भी लगे हैं। इससे लागत कम आती है। मौजूदा संसाधनों से ही गुणवत्ता युक्त फसल पैदा की जा सकती है, उत्पादन भी बेहतर होता है। सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता कम रहती है। क्योंकि, जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी में नमी बनी रहती है। फसलों को जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं।

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