Tappal massacre : हत्या के बाद गांव में घूमा था दादा, पास में खेत पर दो घंटे रही दादी Aligarh news

टप्पल के गांव किशनपुर में बच्ची की हत्या की कहानी सुनकर हर कोई दंग है। पुलिस के मुताबिक बच्ची मार्च 2020 के बाद सिर्फ एक बार स्कूल गई थी। 20 सितंबर को उसे जबरन स्कूल भेजा गया था। रास्ते में ही उसका कत्ल कर दिया।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 05:35 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 06:15 AM (IST)
Tappal massacre :  हत्या के बाद गांव में घूमा था दादा, पास में खेत पर दो घंटे रही दादी Aligarh news
टप्‍पल में बच्‍ची के हत्‍योरापित दादी- दादा।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता ।  टप्पल के गांव किशनपुर में बच्ची की हत्या की कहानी सुनकर हर कोई दंग है। पुलिस के मुताबिक, बच्ची मार्च 2020 के बाद सिर्फ एक बार स्कूल गई थी। 20 सितंबर को उसे जबरन स्कूल भेजा गया था। रास्ते में ही उसका कत्ल कर दिया। फिर हत्या के बाद दादा गांव में अपनी मौजूदगी दिखाने के लिए इधर-उधर घूमता रहा।

गांव के लड़कों ने दादा दादी को खेत के पास देखा था

एसपी देहात शुभम पटेल ने बताया कि बच्ची घर से आठ बजे स्कूल गई थी। करीब साढ़े आठ बजे उसे एक अन्य बच्ची ने जामुन के पेड़ के पास रोते हुए देखा था। वहीं, पौने नौ बजे एक अन्य बच्ची ने भी उसे वहीं देखा। इसके बाद नौ बजकर पांच मिनट पर गांव के दो लड़कों ने दादा-दादी को उसी खेत के आसपास देखा था। इसे लेकर जब दादा-दादी से पूछताछ की गई तो दोनों इन्कार करते रहे। आखिरकार जुर्म कबूला और बताया कि साढ़े आठ से पौने नौ बजे के बीच ही बच्ची को मार दिया था। इसके बाद दादा गांव में घूमने निकल गया। करीब साढ़े 10 और 11 बजे के बीच वह दोबारा से खेत पर पहुंचा। तब तक दादी ने बच्ची के बैग, चप्पल और टिफिन को उठा लिया था। हालांकि रास्ते में दादी के हाथ में लगे बैग को परिवार की एक बच्ची ने पहचान लिया था, लेकिन उस पर ध्यान न देकर दादा-दादी बैग को सीधे घर ले आए। जहां रूबी की मां ने उसे पहचाना। इसके बाद तलाशी शुरू हुई तो दादा स्कूल में देखने के लिए चला गया। वहीं, दादी गांव के एक व्यक्ति को लेकर जान-बूझकर घटनास्थल की तरफ पहुंच गई। तभी शव को देखा गया।

पोस्टमार्टम का करते रहे इंतजार

घटना के बाद एसएसपी खुद मौके पर पहुंचे और मुकदमा दर्ज करने की बात कही तो देररात तक दादा-दादी पोस्टमार्टम का इंतजार करते रहे। इसके बाद ही तहरीर देने पर अड़े रहे, ताकि उन्हें हत्या की वजह पता चल सके। वहीं, ओमप्रकाश पर मुकदमा दर्ज कराने वाले पर सीधे शक इसलिए नहीं जताया कि उनका भेद न खुल जाए। उन्हें लगा कि अज्ञात में मुकदमा दर्ज कराने के बाद जब पुलिस विवेचना करेगी तो बयानों में मुकदमे के वादी पर शक जता देंगे।

तीन दिन डटी रही टीम

एसपी देहात शुभम पटेल के नेतृत्व में एएसपी मनीष कुमार, इंस्पेक्टर देवेंद्र कुमार, देहात एसओजी प्रभारी रोहित राठी की टीमें तीन दिन तक टप्पल के गांव के आसपास डटी रहीं। दोबारा से क्राइम सीन को री-क्रिएट किया गया। चूंकि केस बेहद संवेदनशील था, इसलिए पुलिस ने फूंक-फूंक कर कदम रखा।

सुबूत लाओ... कहती रही दादी, टूट गया दादा

तीन दिन तक कई दौर में पूछताछ चली तो दादी ने कबूल किया कि दादा घास उठाने के लिए खेत पर आया था, लेकिन दादा ने पूछताछ में इससे इन्कार किया। जब दादी का बयान उसे बताया तो उसने हामी भरी। इसी तरह दोनों के बयानों में कई अंतर थे। जब दोनों को आमने-सामने बिठाया गया तो दादा टूट गया।

जांच में इन बिंदुओं से पुलिस को मिली राह - स्वजन के मुताबिक, रूबी रोज स्कूल जाती थी, लेकिन स्कूल में पूछने पर पता चला कि मार्च 2020 के लाकडाउन के बाद बच्ची सिर्फ एक बार स्कूल आई थी। इस साल उसका दाखिला तक नहीं हुआ था। - स्वजन ने पूछताछ में बताया कि बच्ची नौ बजे निकली थी, जबकि साढ़े आठ बजे उसे अन्य बच्चों ने जामुन के पेड़ के पास रोते हुए देखा था। - रूबी के बैग को परिवार के एक बच्चे ने घटनास्थल पर ही पहचान लिया था, मगर दादा-दादी बैग को सीधे घर ले आए। यहां रूबी की मां ने बैग को पहचाना तो तलाश शुरू की गई। - घटना के समय दोनों खेत के आसपास मौजूद थे, लेकिन पूछताछ में मना करते रहे।

इस साल ऐसे 19 केस, जिनमें अपनों ने किया कत्ल

रिश्तों को शर्मसार करने वाली यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि इस साल जिले में हत्या के कुल 19 ऐसे मुकदमे दर्ज हुए, जिसमें सगे-संबंधियों ने ही अपनों का कत्ल किया। इनमें क्वार्सी थाना क्षेत्र में आरोपित योगेश वर्मा ने अपनी मां का कत्ल करके जेवरात लूटे थे। इसी श्रेणी के हरदुआगंज में चार मुकदमे, अतरौली में तीन मुकदमे, पिसावा में तीन, बरला में दो, जबकि कोतवाली नगर, क्वार्सी, अकराबाद, मडराक व रोरावर में एक-एक मुकदमा दर्ज हुआ। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि इनमें अधिकतर मामलों में कातिल ही वादी बनकर सामने आया और विवेचना को प्रभावित कर पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिह्न लगाए। ऐसी जटिलता के बावजूद पुलिस ने अपनी कार्यकुशलता और व्यवसायिक दक्षता के जरिए सही मुजरिम को चिह्नित करके जेल भेजा है।

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