गृहस्थ जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं पति-पत्नी Aligarh news
पति-पत्नी गृहस्थ जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं। यदि एक पहिये में भी कमी आई तो परिवार को टूटने से कोई नहीं बचा सकता। इस लिए पति-पत्नी को गृहस्थ रूपी गाड़ी को खींचने के लिए प्रभु का स्मरण करते हुए सामंजस्य बनाकर रखना चाहिए।
अलीगढ़, जेएनएन : पति-पत्नी गृहस्थ जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं। यदि एक पहिये में भी कमी आई तो परिवार को टूटने से कोई नहीं बचा सकता। इसलिए पति-पत्नी को गृहस्थ रूपी गाड़ी को खींचने के लिए प्रभु का स्मरण करते हुए सामंजस बनाकर रखना चाहिए। अपनी संतान को ऐसे संस्कार जरूर देने चाहिए जो दूसरों का सम्मान करें और राष्ट्र निर्माण में योगदान दें। उक्त प्रवचन इगलास क्षेत्र के गांव नगला बलराम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन व्यास पं. मुकेश शास्त्री महाराज ने कहे।
मित्रता का भाव एक समान होता है
उन्होंने आगे कथा में सुदामा चरित्र का भाव पूर्ण वर्णन करते हुए बताया कि जीवन मे मित्रता में बड़ा-छोटे का भाव एवं ऊंच-नीच का भाव नहीं होना चाहिए। मित्रता का भाव एक समान होता है। कहा भी गया है कि मित्रता का संबंध तो रक्त के संबंधों से भी बढ़कर होता है। यदि स्वार्थ के लिए मित्रता की गई है तो वह मित्रता हो ही नहीं सकती वह तो व्यापार है। मित्रता का सबसे बड़ा उदाहरण भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता है। भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा के साथ मित्रता का व्यवहार निभाया था। कथा विश्राम पर आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।