कोरोना संक्रमण से बचाव को जीवन में योग को करें शामिल

लगातार योग करने से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 11:30 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 11:30 PM (IST)
कोरोना संक्रमण से बचाव को जीवन में योग को करें शामिल
कोरोना संक्रमण से बचाव को जीवन में योग को करें शामिल

आगरा, जागरण संवाददाता। लगातार योग अभ्यास के माध्यम से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए बहुत अधिक मेहनत करने की आवश्यकता नहीं है। प्रमुख रूप से चार आसनों को प्रमुखता दी जाए। कुछ महीने के बाद शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी। सूर्य नमस्कार योग से शरीर स्वस्थ रहने के साथ ही श्वसन तंत्र भी मजबूत होता है। गायत्री मंत्र का जाप भी करें।

वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य एवं योगा एंड नेचरोपैथी एक्सपर्ट डाक्टर राजकुमार शर्मा की के अनुसार योग से न केवल कोरोना वायरस जैसे घातक संक्रमण को रोका जा सकता है, बल्कि जीवन शतायु हो सकता है। कोरोना के इस संकट में भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और उदगीथ प्राणायाम कर श्वसन तंत्र को मजबूत कर रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। संक्रमण से बचाव के लिए हर व्यक्ति जीवन में योग को शामिल करे। इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी।

उन्होंने बताया कि कोरोना से बचने के लिए रोजाना अपनी नाक में सुबह-शाम तीन-तीन बूंद अणु तेल डालना चाहिए। यह तेल हमारे नेजल न्यूकोजा यानी झिल्ली के बीच सुरक्षा कवच के तौर पर काम करेगा और वायरस को शरीर के अंदर नहीं जाने देगा। इसमें अगर कोरोना के हल्के लक्षण भी होंगे तो ठीक हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि हमें सुबह या शाम को अनुलोम विलोम प्राणायाम करना है। यह हमारे फेफड़ों को मजबूत करेगा और दूषित तत्वों को बाहर करेगा। उन्होंने बताया कि बहुत सारी एंटी वायरल मेडिसिन आयुर्वेद में हैं, जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाएगी। हमारी रोग प्रतिरोधक (इम्युनिटी) क्षमता बढ़ाएगी और है जो हमें कई तरह के रोगों से बचाएगी। उन्होंने बताया कि इसमें तुलसी, पुष्कर मूल, पीपली, हल्दी, दालचीनी, वासाचूर्ण, लौंग, पितोपलादी चूर्ण शामिल हैं, जो हमारी इम्युनिटी को बूस्ट करेगी। इसके साथ ही अश्वगंधा और गिलोय भी बहुत प्रभावकारी औषधियां हैं, जो बहुत असर करती है। इनका चूर्ण हो सकता है, टैबलेट हो सकती है या काढ़ा बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए डाक्टर की सलाह ली जा सकती है। इसके साथ ही सुवर्ण समीर पन्नघरस, स्वातका चितामणी रस, संजीवनी वटी, सुदर्शन घनवटी आदि औषधियां भी कई तरह से बेहद ज्यादा फायदेमंद और संक्रमण से बचाव करती हैं। इन्हें आयुर्वेद डॉक्टर से सलाह के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है। यह प्रिवेंटिव भी है और माइल्ड लक्षण के लिए भी कारगर है।

उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में धूपन का भी बहुत महत्व है। धूपन यानि धूएं का इस्तेमाल। डा. अग्रवाल के मुताबिक धूपन न सिर्फ संक्रमण से दूर रखेगा बल्कि घर में कीट, पतंगों और किसी भी तरह के विषैले जानवरों से दूर रखेगा। उन्होंने बताया कि दशांग लेप, जटामांसी चूर्ण और तुलसी मंजरी आदि का धुआं करने से संक्रमण पूरी तरह से खत्म हो जाता है। जैसे हम मच्छरों को मारने के लिए नीम की पत्तियों का इस्तेमाल करते हैं ठीक उसी तरह यह संक्रमण के लिए काम करता है।

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