World River Day 2020: बंशीवाले की नगरी में सबसे गंदी यमुना, ताजनगरी में भी खास कम नहीं जल प्रदूषण

World River Day 2020 विश्व नदी दिवस आज। मंडल में मथुरा में सबसे गंदी है यमुना। यूपीपीसीबी की जनवरी से अगस्त तक की रिपोर्ट से स्थिति उजागर। टोटल कॉलिफार्म बढ़ा होना मुख्य वजह रहा आगरा दूसरे नंबर पर।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 09:14 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 09:14 AM (IST)
World River Day 2020: बंशीवाले की नगरी में सबसे गंदी यमुना, ताजनगरी में भी खास कम नहीं जल प्रदूषण
नदी में प्रदूषण के मामले में आगरा दूसरे नंबर पर है।

आगरा, निर्लोष कुमार। भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना आगरा मंडल में ही नहीं प्रदेश में भी मथुरा में सर्वाधिक प्रदूषित है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की जनवरी से अगस्त तक की रिपोर्ट से यह स्थिति सामने आई है। नदी में प्रदूषण के मामले में आगरा दूसरे नंबर पर है। यहां नदी में सीधे गिरते नालों की वजह से टोटल कॉलिफार्म (मानव व जीव अपशिष्ट) की मात्रा अधिक है।

यूपीपीसीबी द्वारा प्रतिमाह दो बार यमुना जल की सैंपलिंग की जाती है। आगरा में तीन स्थानों कैलाश घाट, वाटर वर्क्स और ताजमहल के डाउन स्ट्रीम में सैंपलिंग होती है। उसकी जांच यूपीपीसीबी के आगरा और लखनऊ कार्यालय में की जाती है। यूपीपीसीबी की वेबसाइट पर नाेएडा से प्रयागराज तक 20 सैंपलिंग प्वॉइंट की जनवरी से अगस्त तक की माहवार और औसत के आधार पर रिपोर्ट जारी की गई है। औसत के आधार पर देखें तो मथुरा की डाउन स्ट्रीम में टोटल कॉलिफार्म की मात्रा 101750 मोस्ट प्रोबेबल नंबर प्रति 100 मिलीलिटर दर्ज की गई। वहीं आगरा में ताजमहल के डाउन स्ट्रीम में टोटल कॉलिफार्म की अधिकतम मात्रा 92250 मोस्ट प्रोबेबल नंबर प्रति 100 मिलीलिटर दर्ज की गई। मानक के अनुसार यह किसी भी दशा में पांच हजार मोस्ट प्रोबेबल नंबर प्रति 100 मिलीलिटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी भुवन यादव ने बताया कि आगरा में यमुना के प्रदूषित होने की वजह उसमें नालों का सीधे गिरना है। नालों से यमुना में सीधे गिरने वाले गंदे पानी के शोधन को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने हैं। इसके लिए संबंधित विभाग अनुमति संबंधी प्रक्रिया पूरा करने में जुटे हैं।

कहां क्या रही स्थिति (औसत के आधार पर)

सैंपल स्थल, डीओ, बीओडी, टोटल कॉलिफार्म, फीकल कॉलिफार्म

अप स्ट्रीम वृंदावन, 6.1, 7.9, 58571, 43500

केशी घाट वृंदावन, 5.9, 8.3, 67625, 43714

डाउन स्ट्रीम वृंदावन, 5.8, 8.4, 66000, 47571

अप स्ट्रीम मथुरा, 6.1, 8.5, 77625, 58000

शाहपुर मथुरा, 6.0, 8.4, 87750, 63000

विश्राम घाट मथुरा, 6.1, 9.3, 86500, 63625

डाउन स्ट्रीम मथुरा, 5.9, 9.3, 101750, 71429

अप स्ट्रीम कैलाश घाट आगरा, 6.1, 10.8, 35750, 16125

अप स्ट्रीम वाटर वर्क्स आगरा, 5.7, 12.2, 48125, 20250

डाउन स्ट्रीम ताजमहल, आगरा, 5.3, 13.6, 92250, 41375

अप स्ट्रीम फीरोजाबाद, 6.0, 13.5, -, -

डाउन स्ट्रीम फीरोजाबाद, 5.8, 15.4, -,-

यह हैं मानक

-डिजॉल्व ऑक्सीजन: पीने के पानी में छह, नहाने के पानी में पांच और ट्रीटमेंट के बाद किसी भी दशा में चार मिलीग्राम प्रति लिटर से कम नहीं होनी चाहिए।

-बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड: पीने के पानी में दो, नहाने के पानी में तीन और ट्रीटमेंट के बाद किसी भी दशा में तीन मिलीग्राम प्रति लिटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

-टोटल कॉलिफार्म: पीने के पानी में 50, नहाने के पानी में 500 और शोधन के बाद किसी भी दशा में 100 मिलीलिटर में 5000 मोस्ट प्रोबेबल नंबर से अधिक नहीं होना चाहिए।

नदियों की सेहत से जुड़ा है देश का भविष्य

देश का भविष्य कई रूपों में नदियों की सेहत से जुड़ा है। दुनिया की कई नदियों की तरह भारतीय नदियों का पानी भी प्रदूषित हो चुका है, जबकि इन्हें हमारी संस्कृति में हमेशा पवित्र जगह दी जाती रही है। भारतीय इन नदियों से मुंह नहीं फेर सकते हैं। उन्हें नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने को प्रयास करने होंगे।

रिवर कनेक्ट कैंपेन से जुड़े वैदिक सूत्रम के चेयरमैन पं प्रमोद गौतम ने यह बात कही। आगरा में यमुना नदी की स्थिति में सुधार को रिवर कनेक्ट कैंपेन वर्ष 2014 से निरंतर प्रयासरत है। सितंबर के चौथे रविवार को मनाए जाने वाले विश्व नदी दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार शाम रिवर कनेक्ट कैंपेन द्वारा नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने को सुझाव दिए गए।

यह दिए हैं सुझाव

-अगर हम नदियों को प्रदूषित करना छोड़ दें, तो वो स्वयं को एक बारिश के मौसम में ही साफ कर लेंगी। हमें उन्हें साफ करने की भी जरूरत नहीं रहेगी।

-देश नदी प्रदूषण पर काबू पाने को गंभीर है तो केंद्रीय नदी प्राधिकरण बनाया जाए।

-उद्योगों में रासायनिक व औद्योगिक कचरे वाले गंदे जल को तभी शोधित किया जाता है, जब संबंधित विभाग का अधिकारी मौजूद हो। वाटर ट्रीटमेंट प्रोसेस को असरदार बनाने के लिए गंदे जल के शोधन को एक व्यवसाय बना दिया जाए। नदी में जाने वाले जल की गुणवत्ता के लिए सरकार मानक तय करे।

-नदियाें में मृत जानवरों को फेंकने, उनके किनारे पर गंदे कपड़े धोने पर रोक लगाई जाए। सरकार लोगों को जागरूक करे।

-नदियों को साफ बनाने को उनके किनारे मल-मूत्र करने, धोबी घाट पर प्रतिबंध लगाया जाए। 

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