World Environment Day: घर को बनाया ग्रीन हाउस, अब लोगों को सिखा रहे वर्टिकल गार्डन बनाना
आगरा में शाहगंज निवासी बैंक कर्मी चंद्रशेखर शर्मा ने अपने घर को बनाया ग्रीन हाउस। 30 वर्षाें से पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने को लगा रहे हैं वर्टिकल गार्डन। उनके घर को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं और उन्हें इसके लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। दुनिया आज विश्व पर्यावरण दिवस मना रही है। दुनिया में बढ़ते प्रदूषण के साथ ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ी है। कार्बन गैसों के उत्सर्जन को कम करने की बात हो रही है, लेकिन सुविधाभोगी बनते मनुष्य को इसकी तनिक भी फिक्र नहीं है। उसे तो केवल अपने आराम की चिंता है। दुनिया को मोहब्बत का संदेश देने वाली ताजनगरी में ऐसे भी लोग हैं जो पर्यावरण संरक्षण के साथ ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ते तापमान की समस्या का निदान भी ढूंढ़ चुके हैं। शाहगंज के भोगीपुरा निवासी बैंककर्मी चंद्रशेखर शर्मा ऐसे ही व्यक्ति हैं। उन्होंने अपने घर को माडल के रूप में ग्रीन हाउस तो बनाया ही है, लाेगों को वर्टिकल गार्डन बनाना भी सिखा रहे हैं। उनके घर को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं और उन्हें इसके लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि वो पिछले 30 वर्षों से पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने को अपने पुराने मोहल्ले में वर्टिकल गार्डन लगा रहे हैं। अपने छोटे से घर को उन्होंने माडल के रूप में विकसित किया है। घर की बाहर की दीवारों के किनारे उन्होंने बोगनविलिया, मधु मालती, बेला, चमेली, चंपा, कनेर के पौधे लगाए हैं और दीवार पर तोरई, करेले व सेम की बेल लगाकर ऊपर तक चढ़ाई हैं। आंगन में अनार, नीबू, किन्नू, नारंगी और बाहरी दीवार के किनारे अशोक के पेड़ लगाए हैं। छत पर रूफटाप गार्डन बनाकर गमलों में पौधे लगाए हैं। दीवार के सहारे कम जगह में ऐसे पौधे लगाए हैं, जो आगरा की जलवायु और पानी के अनुसार पनप कर 24 घंटे शुद्ध वायु प्रदान करें। इनमें जलीय पौधे कमल, छत पर लगाने वाले पौधे, इंडोर व आउटडोर पौधे, जापानी शैली में बगीचे की रूपरेखा, बोनसाई व मुगल शैली और फल-फूल वाले पौधों का समावेश है।
तापमान पांच डिग्री सेल्सियस तक कम
चंद्रशेखर शर्मा कहते हैं कि घर की बाहरी दीवारों को बेल से कवर करने से घर के बाहर आैर अंदर के तापमान में करीब पांच डिग्री सेल्सियस तक का अंतर पड़ता है। इससे उन्हें कूलर व एसी की जरूरत नहीं पड़ती और केवल पंखे से ही काम चल जाता है।
हरियाली लाना है उद्देश्य
चंद्रशेखर शर्मा कहते हैं कि उनका उद्देश्य हरियाली लाना है। ऐसे पौधों को लगाना है जो आगरा की जलवायु में विशेष किसी खास प्रयास के पनप सकें। वैज्ञानिक युग में हुए मशीनीकरण ने वातावरण को इतना विषाक्त बना दिया है कि मनुष्य अनेक असाध्य बीमारियों का शिकार होता जा रहा है। स्वास्थ्य जो प्रकृति का वरदान था, उसे खरीदना पड़ रहा है। यह स्वास्थ्यरक्षक घोल भी वृक्ष ही देगा। जन्म से मृत्यु तक वृक्ष हमारा साथी है, इसलिए उसे प्रश्रय देना आवश्यक है। वृक्ष फूलदार, फलदार या छाया देने वाला हो, समान रूप से लाभकारी है। इसलिए सभी को कम से कम एक पौधा जरूर लगाना चाहिए।
अागरा में लगाए जा सकते हैं यह पौधे
-छायादार पौधे: नीम, पीपल, पाकड़, शीशम, अशोक, कंजी, सिल्वर ओक, बरगद, पाम।
-फलदार पौधे: आंवला, शहतूता, अमरूद, लिसोड़ा, जामुन, अाम, नीबू, करौंदा, अनार, कैंथ, बेल फल, खजूर।
-फूलाें के पौधे: गुलमोहर, कनेर, कचनार, सेमल, अमलतास, केशिया, बोगनविलिया, बोतल ब्रुश, गुड़हल, एग्जोरा, हरसिंगार।