अपनों ने तोड़ा दिल तो 90 साल के बुजुर्ग ने डीएम के नाम कर दी वसीयत, जानिए क्या है आगरा का ये मामला

निरालाबाद पीपलमंडी में है दो करोड़ रुपये की जमीन। पहली बार डीएम के नाम की गई वसीयत। वसीयत में लिखा है कि जब तक मैं जिंदा हूं। अपनी चल और अचल संपत्तियों का मालिक व स्वामी रहूंगा। मरने के बाद मेरे हिस्से की जमीन डीएम आगरा के नाम हो जाएगी।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 10:22 AM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 10:22 AM (IST)
अपनों ने तोड़ा दिल तो 90 साल के बुजुर्ग ने डीएम के नाम कर दी वसीयत, जानिए क्या है आगरा का ये मामला
पहली बार डीएम के नाम की गई वसीयत।

आगरा, जागरण संवाददाता। डीएम साहब, मेरा नाम गणेश शंकर पांडेय है। मैं निरालाबाद पीपलमंडी का रहने वाला हूं। चार भाइयों में मैं सबसे बड़ा हूं। तीस मार्च 1983 को जमीन का बैनामा कराया गया। यह बही नंबर एक, जिल्द 287 के पृष्ठ 215 से 218 के क्रमांक 13827 पर है। कुछ समय के बाद जमीन का बंटवारा कर लिया गया। मकान का अगला हिस्सा मेरे पास है। मेरे दो पुत्र और तीन बेटियां हैं। बीस साल पूर्व मुझे घर से निकालने का प्रयास किया गया। इसमें पत्नी उर्मिला ने भी साथ दिया। अपने भाइयों और भतीजे के साथ रह रहा हूं। अपनों ने जिस तरीके से परेशान किया। उससे मैं व्यथित हूं। इसलिए मैं यह जमीन आपके नाम कर रहा हूं। कुछ इन्हीं शब्दों के साथ गणेश शंकर ने जमीन की वसीयत की है। जिले में डीएम के नाम वसीयत का यह पहला मामला है। पूरे मामले को देखते हुए एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह ने सब रजिस्टर और थाना को वसीयत की कापी भेज दी है। गणेश की जो जमीन है, उसे डीएम के नाम पर चढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

मरने के बाद मिलेगी जमीन 

गणेश ने वसीयत में लिखा है कि जब तक मैं जिंदा हूं। अपनी चल और अचल संपत्तियों का मालिक व स्वामी रहूंगा। मरने के बाद मेरे हिस्से की जमीन डीएम आगरा के नाम हो जाएगी। मैं पूरी तरह से फिलहाल स्वस्थ हूं। मानसिक रोग से पीड़ित नहीं हूं।

अवैध और अमान्य होंगे कागज 

गणेश ने बताया कि बड़े बेटे दिग्विजय शंकर पांडेय ने जमीन हड़पने का प्रयास किया है। कई कागजों में जबरन हस्ताक्षर करा लिए गए हैं। फर्जी वसीयत बना सकता है। इसलिए पूर्व में जो भी कागज हैं, वह अवैध और अमान्य समझे जाएं।

कोर्ट में विचाराधीन है वाद

गणेश ने बताया कि मुकदमा संख्या 1036/18 गणेश शंकर बनाम दिग्विजय शंकर अपर सिविल जज प्रवर खंड कोर्ट नंबर चार में विचाराधीन है। 

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