Helping Hands: अागरा के व्यापारी ने औरों का गम देखा तो अपना गम भूल गया, दूसरों की मदद के लिए जुट गया
कोरोना संक्रमण काल में खराब हुई विद्युत शवदाह गृह की भट्टियोंं को सही कराने के लिए आए आगे। परिवार में सगे संबंधी की हो गई थी मौत शमशान में लोगों को बिलखता देख भूल गए अपना दर्द और भट्टियां सही कराने में जुट गए।
आगरा, जागरण संवाददाता। दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है। औरों का गम देखा तो अपना गम भूल गया। लोहा व्यापारी मनीष कुमार जैन पर यह पंक्तियां सही साबित होती हैं। उनके सगे जीजा का 24 अप्रैल को निधन हो गया था। इस बीच विद्युत शवदाह गृह की शीट व प्लेट गल गई थीं। इससे वह बंद हो गई। शवदाह गृह के स्टाफ ने उन्हें इसकी जानकारी देकर सहयोग मांगा। मनीष जैन ने परिवार में गमी के बावजूद अन्य लोगों को अपनों के अंतिम संस्कार में कोई परेशानी न हो, इसे ध्यान में रखा। उन्हें विद्युत भट्टी को दाेबारा चालू करने के लिए सारा सामान उपलब्ध कराया।
कोरोना संक्रमण काल में शमशान घाटों पर जलने वाली चिताओं की संख्या बढ़ गई है। लगातार शवों के अंतिम संस्कार से विद्युत शवदाह गृह की भट्टी के शीट, एंगिल गल गए थे। इसके चलते एक-एक करके चारोंं भट्टी खराब हो गईं। लोहामंडी के बाग राम सहाय में रहने वाले 51 साल के मनीष कुमार जैन की बोदला-बिचपुरी रोड पर लोहे की दुकान है। वह विद्युत शवदाह की भट्टियों के खराब होने पर उसके लिए लोहे की प्लेट, शीट, एंगिल आदि उपलब्ध कराते हैं। मनीष बताते हैं वह करीब 25 साल से कमेटी का सहयोग कर रहे है। उनके परिवार में सगे संबंधी का 24 अप्रैल को निधन हो गया। अगले दिन विद्युत शवदाह की भट्टी खराब हो गई थी। इससे लोगों को अपनों के अंतिम संस्कार के लिए परेशानी हो रही थी। विद्युत शवदाह गृह के स्टाफ से समस्या का पता चला तो वह अपना गम भूल भट्टी के लिए जरूरी सामान उपलब्ध कराने मे जुट गए। इससे कि उनकी मरम्मत होकर वह दोबारा चालू हो सकें।
ऐसे समय में जब चारों भट्टी खराब हो गई थीं। कोरोना कर्फ्यू में दुकानें बंद थीं। लोहा व्यापारी मनीष कुमार जैन के परिवार में सगे संबंधी की मौत हो गई थी। इसके बावजूद उन्होंने भट्टी का सारा सामान उपलब्ध कराया। इससे कि दोबारा चालू हो सकीं।
संजीव कुमार गुप्ता, विद्युत शवदाह गृह प्रभारी