Test of Agra: शादियों के सीजन ने बढ़ा दी पेठे की इस मिठाई की मांग, गजक का भी बढ़ा स्वाद
Test of Agra सहालग ने बढ़ाई गिलोरी पेठे की मांग। सर्दियों में गजक की मांग काफी बढ़ जाती है। ऐसे में आगरा के पेठे का कारोबार थोड़ा कम हो जाता है। आगरा में गजक की भी कई वैरायटी बनती हैं। यहां की बनी गजक काफी प्रसिद्ध भी हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा के पेठे की स्वाद की बात ही निराली है। दुनियाभर में आगरा का पेठा अपने अनूठे स्वाद के लिए पहचाना जाता है। मगर, इसी पेठे का स्वाद कोराेना काल में कसैला हो गया था। मगर, सहालग ने इसे थोड़ा उबारा है। गिलोरी पेठे की मांग बढ़ गई है। शायद ही ऐसा कोई शादी समारोह होगा, जिसमें मिठाइयों के स्टाल पर गिलोरी पेठे नजर न आए। आगरा का पेठा विश्व विख्यात है। आमौतर पर यहां की इकाइयाें में 10 हजार किलो प्रतिदिन से भी अधिक पेठा बनता था। लाकडाउन में इसका उत्पादन पूरी तरह से बंद हो गया। अनलाक में छूट तो मिली लेकिन खपत होती नहीं दिखी। पर्यटन क्षेत्र पटरी पर नहीं आ पाने की वजह से पेठा उद्योग भी अपने शबाब पर नहीं आ पाया। सहालग में जरूर थोड़ी डिमांड बढ़ी है। सामान्य तौर पर शादियों में हरे रंग का गिलोरी पेठा स्टाल पर रखा नजर आए जाएगा।
सर्दी में बढ़ी गजक की मांग
सर्दियों में गजक की मांग काफी बढ़ जाती है। ऐसे में आगरा के पेठे का कारोबार थोड़ा कम हो जाता है। आगरा में गजक की भी कई वैरायटी बनती हैं। यहां की बनी गजक काफी प्रसिद्ध भी हैं।
यहां संचालित हो रहीं पेठा इकाइयां
केके नगर, हलवाई की बगीची, आलमगंज, रामबाग, नालबंद, रकाबगंज, सेवला, रुनकता आदि स्थानों पर वर्तमान में पेठा इकाइयां संचालित हो रही हैं।
फैक्ट
− 500 से अधिक पेठा इकाइयां हैं जिले में
− 10 हजार किलाे (लगभग) प्रतिदिन तक सामान्य दिनों में बनता था पेठा
− 20 फीसद की सर्दी के मौसम में आई गिरावट
− 48 रुपये से 90 रुपये प्रति किलो का है थोक में है रेट
सहालग में गिलोरी पेठे की मांग काफी रहती है। हालांकि सर्दी के माैसम में गजक की वजह से पेठे की मांग थोड़ी कम हो जाती है।
राजेश अग्रवाल, अध्यक्ष, शहीद भगत सिंह पेठा एसोसिएशन