महुअर ने हौसले से जीती पेयजल की लड़ाई

पेयजल समस्या के समाधान को हाईकोर्ट में मांगा जवाब तब दौड़े अफसर अब की जा रही व्यवस्था

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 06:05 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 06:05 AM (IST)
महुअर ने हौसले से जीती पेयजल की लड़ाई
महुअर ने हौसले से जीती पेयजल की लड़ाई

जागरण टीम, आगरा। अछनेरा के महुअर गांव की पेयजल समस्या को जब अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने अनदेखा कर दिया तो ग्रामीणों ने बजाय हताश होने के खुद ही लड़ाई जारी रखी। हाईकोर्ट में सुनवाई हुई तो उनका उत्साह दोगुना हो गया। अब ग्रामीणों को उम्मीद है कि हाईकोर्ट के संज्ञान में मामला आ जाने से उनकी बरसों पुरानी विकराल समस्या का समाधान हो जाएगा।

अछनेरा के गांव महुअर की आबादी चार हजार है। यहां खारे पानी की समस्या दशकों पुरानी है। क्षेत्र की पूर्व प्रधान इंद्रादेवी ने थक-हार कर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वे कहती हैं कि साहब, अधिकारी हों या जनप्रतिनिधि। सब से कह लिया, कोई सुनता ही नहीं। 22 फरवरी 2020 को उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इसमें जिलाधिकारी और कमिश्नर को पार्टी बनाया। हाईकोर्ट ने अधिकारियों को 20 जनवरी 2021 को तलब कर जबाव दाखिल करने के आदेश दिए। इस पर बीडीओ अछनेरा अनुराग गंगवार ने 11 माह बाद एस्टीमेट तैयार कर जवाब दाखिल किया। वहीं गांव के प्रधान दाताराम कहते हैं कि उन्होंने पेयजल समस्या से समाधान के लिए अफसरों से 30-40 शिकायतें कीं लेकिन एक भी शिकायत पर उन्होंने संज्ञान नहीं लिया। 12 टीटीएसपी टंकियां, 22 हैंडपंड, सभी खराब

ग्राम पंचायत महुअर के अंतर्गत नगला कुर्रा, जखा और पाली समेत पांच गांव हैं। ग्राम पंचायत में 12 टीटीएसपी टंकियां और 22 हैंडपंप हैं। अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि सभी खराब पड़े हैं। क्षेत्र के ग्रामीण दो किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं। एक करोड़ 34 लाख 37 हजार रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके अंतर्गत गांव में पेयजल कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएंगे। पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हो गया है। जून 2021 तक कार्य पूरा हो जाएगा।

अनुराग गंगवार, बीडीओ अछनेरा गांव में पानी का समस्या दशकों पुरानी है। किसी ने सुनवाई नहीं की। पानी मोल खरीदकर प्यास बुझानी पड़ रही है।

उमेश चंद्र उर्फ गुड्डा शर्मा, ग्रामीण प्रशासन पेयजल भी उपलब्ध नहीं करा सकता। इससे शर्मनाक बात नहीं हो सकती। न्यायालय में फरियाद से पहले ही सुनवाई करनी चाहिए थी।

भगवान सिंह राजपूत, ग्रामीण गांव का पानी खारा है। इसे न खुद पी सकते हैं और न ही पशु पीते हैं। सुबह होते ही पानी की व्यवस्था में निकल जाते हैं।

अशोक गौतम, ग्रामीण यहां का पानी पीने से घुटनों में दर्द होने लगता है। कई ग्रामीण इस बीमारी से पीड़ित हैं। मीठा पानी दो किलोमीटर दूर मिलता है।

मुकेश शर्मा, ग्रामीण

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