Dispute of Wall: दयालबाग में दीवार का विवाद, आगरा के सत्संगियों की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई आज

इस साल मार्च में दीवार ढहाने पर हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका। प्रशासन की कार्रवाई पर उठाया है सवाल। किसी भी निर्माण को ढहाने से पहले प्रशासन नोटिस देता है दूसरे पक्ष की बात सुनता है। मगर यहां पर प्रशासन ने इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 11:27 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 11:27 AM (IST)
Dispute of Wall: दयालबाग में दीवार का विवाद, आगरा के सत्संगियों की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई आज
दयालबाग में दीवार के विवाद में आमने सामने प्रशासन और सत्‍संगी।

आगरा, जागरण संवाददाता। दयालबाग में राधा नगर के पास प्रशासन द्वारा दीवार गिराने का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। सत्संगियों ने मार्च में प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की है। जिस पर मंगलवार को सुनवाई होगी। तहसील सदर की टीम ने इस साल मार्च में दीवार को ढहा दिया था। प्रशासन ने चक रोड पर अतिक्रमण करके दीवार बनाने पर यह कार्रवाई की थी। जिसके विरोध में सत्संगियों ने मार्च में न्यू आगरा थाने का घेराव भी किया था। इधर प्रशासन की ओर से सत्‍संगियों को नोटिस जारी किए गए हैं।

राधा स्वामी सत्संग सभा के सचिव जीपी सत्संगी ने बताया कि प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई गलत थी। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर हाईकोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। सत्संगियों ने तहसील सदर की टीम द्वारा शनिवार को दीवार पर बुलडोजर चलाकर गिराने को गलत बताया। उनका कहना है कि रविवार की सुबह दोबारा बनाई गई दीवार प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई का प्रतीकात्मक विरोध है। इसीलिए दीवार को उन्होंने पक्का नहीं बनाया है।

सत्संगियों के प्रशासन से सवाल

-प्रशासन दीवार को चक रोड पर बताकर अब क्यों दबाव बना रहा है। जिस जमीन पर नहर और दीवार बनी है वह उनके पास 85 साल से है।प्रशासन काे 85 साल बाद

-वर्ष 1935 में तत्कालीन प्रदेश सरकार से जमीन का एग्रीमेंट किया था। जिसके तहत सरकार ने उन्हें नहर बनाने की अनुमति दी थी। जिसके बाद वर्ष 1936 में निजी जमीन पर नहर बनाई गई थी। नहर के दोनों ओर आठ से दस फीट जगह छोड़ी थी।

-किसी भी निर्माण को ढहाने से पहले प्रशासन नोटिस देता है, दूसरे पक्ष की बात सुनता है। मगर, यहां पर प्रशासन ने इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई, सत्संगियों का पक्ष नहीं सुना गया,जो कि नियम विरुद्ध है।

-चक रोड वर्ष 1963 में नहर की पटरी के पश्चिम से निकाली गई थी। जो कि राधा नगर की चहारदीवारी में आती है।चक रोड कहां से निकाली गई थी, प्रशासन इसे किसी कारण से नहीं देख रहा है।

-प्रशासन कह रहा है कि चक रोड नहर की पटरी पर है। यदि चक रोड नहर की पटरी पर है तो प्रशासन यह बताए कि नहर के लिए जो जमीन दी गई थी, वह कहां पर है।

-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस साल मई में एक आदेश जारी किया था। इसमें तीन अगस्त तक प्रदेश में कहीं पर भी किसी निर्माण को नहीं गिराने को कहा था। प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश का उल्लघंन है।

बिल्डर के दबाव में कार्रवाई कर रहा है प्रशासन

सत्संगियों का आरोप है कि प्रशासन एक बिल्डर के दबाव में यह कार्रवाई कर रहा है। बिल्डर ने राधा नगर के पास जमीन ले रखी है। वहां पर कालोनी बनाना चाहता है। रास्ता चौड़ा करने के लिए वह उनकी जमीन पर बनी दीवार को ढहाना चाहता है। प्रशासन ने बिल्डर के दबाव में दीवार ढहाई है।

इंटरनेट मीडिया पर भी मुहिम

सत्संगियों ने प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई के खिलाफ इंटरनेट मीडिया में भी मुहिम चला रखी है। बिना किसी नोटिस के दीवार गिराने के मामले में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी ट्वीट किया गया है।

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