Marriage of Calf: बछड़ेे की बछिया से हुई शादी, दहेज में मिली वॉशिंग मशीन

अलीगढ़ के बेसवां और राया के गांव थना अमर सिंह में कायम हुआ अनोखा रिश्ता। बछड़ा के साथ एक दर्जन गोवंश भी लाए गए धूमधाम से संपन्न हुआ विवाह। दहेज में गृहस्थी का सामान भी दिया गया। ग्रामीणों के बीच रही अनूठी शादी की चर्चा।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 09:14 AM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 09:14 AM (IST)
Marriage of Calf: बछड़ेे की बछिया से हुई शादी, दहेज में मिली वॉशिंग मशीन
राया क्षेत्र में बछड़े और बछिया की शादी कराई।

आगरा, जेएनएन। अब तक शादियां तो आपने बहुत सी अटेंड की होंगी लेकिन ये शादी अनूठी थी। इंसानों में बाल विवाह पर रोक है लेकिन पशुओं पर ये कानून लागू नहीं होता। बछड़े की शादी के लिए बाकायदा एक गांव के लोग दूसरे गांव बरात लेकर पहुंचे। यहां शादी की रस्‍में पूरी की गईंं और बछिया-बछड़े के साथ विदा की गई। बछिया की शादी करने वाले यानि वधु पक्ष ने शादी के दौरान दिए जाने वाले सामान में एक वॉशिंग मशीन भी दी है। देखने वाले भी अचरज में थे शादी में पूरी की गईं परंपराओं को देखकर।

अलीगढ़ के गांव बेसवां और राया के गांव थना अमर सिंह के बीच अनोखा रिश्ता कायम हो गया है। बेसवां से एक दर्जन गोवंश की बरात लेकर आया बछड़ा गांव थना अमर सिंह से बछिया को ब्याह ले गया। सभी वैवाहिक रस्में निभाई गईं। दहेज में गृहस्थी का सामान भी दिया गया।

शादी के लिए अभी मुहूर्त भले ही नहीं है, मगर क्षेत्र के गांव थना अमर सिंह में सुबह से ही हलचल थी। दरअसल, एक शादी की तैयारियां चल रही थीं। दोपहर में वाहनों की कतार गांव की ओर आती दिखी। इनमें करीब एक सौ लोगों के साथ ही कुछ वाहनों में गोवंश भी थे।

बरात की अगवानी की गई। इसके बाद बरात चढ़ाई कार्यक्रम होना था। दूल्हा बछड़े को सेहरा पहनाकर एक बग्गी पर लाया गया। अन्य वाहनों में दूसरे गोवंश थे। बैंडबाजा की धुन पर बराती झूमते हुए विवाह स्थल पर पहुंचे। यहां पर वैवाहिक रस्में निभाई गईं। कन्यादान भी किया गया। दहेज में गृहस्थी का सामान भी दिया गया। पूरे क्षेत्र में इस शादी की चर्चा रही।

ऐसे जुड़ा रिश्ता

राया क्षेत्र में खैरे बाबा का मंदिर है। अलीगढ़ के बेसवां निवासी उदयभान सिंह और गांव थना अमर सिंह के बच्चू सिंह का ये देवस्थान है। दोनों अक्सर यहां पर मिलते रहे हैं। ऐसी ही एक मुलाकात में बच्चू सिंह ने अपनी बछिया का रिश्ता उदयभान सिंह के बछड़े से तय कर दिया था। बच्चू सिंह का कहना है कि मार्गशीर्ष माह के सप्तमी को भोले बाबा के नंदी की शादी गाय सिलेसा के साथ हुई थी। इसलिए हम लोगों ने इस दिन बछड़े और बछिया की शादी कराई।

बच्‍चों में रहा कौतुहल

इस अनूठी शादी को लेकर सबसे ज्‍यादा कौतुहल बच्‍चों के बीच रहा। बरात जहां से गुजरी, रास्‍ते में बच्‍चे पीछे हो लिए। वे समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ये परंपरा क्‍या है। पूरी शादी के दौरान बच्‍चे सभी रस्‍मों को देखते रहे और उनकी हंसी भी छूटती रही।

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