आगरा में गलत तथ्यों के साथ वायरल किया था वीडियो, मजिस्ट्रियल जांच के बाद डीएम ने दी नसीहत
पुलिस की मौजूदगी में वीआइपी के लिए नहीं ले जाए गए थे आक्सीजन सिलिंडर। दो सदस्यीय मजिस्ट्रियल जांच में वीडियो के साथ प्रसारित सूचना पाई गई फर्जी। डीएम प्रभु एन सिंह ने अपने ट्विवटर हैंडल से जांच रिपोर्ट साझा करते हुए वीडियो वायरल करने वालों को नसीहत दी है।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा में एक प्राइवेट हास्पिटल से पुलिस की मौजूदगी में आक्सीजन सिलिंडर ले जाते युवक। पीपीई किट पहने एक युवक गिड़गिड़ाता हुआ। यह वीडियो पिछले दिनों इंटरनेट मीडिया पर बहुत वायरल हुआ। इस वीडियो के आधार पर प्रचारित किया गया था कि पुलिसकर्मी किसी वीआइपी के लिए आक्सीजन सिलिंडर छीनकर ले गए थे। इसलिए युवक गिड़गिड़ा रहा था। मगर, यह गलत निकला। दो सदस्यीय मजिस्ट्रियल जांच में यह आरोप गलत निकले। डीएम प्रभु एन सिंह ने अपने ट्विवटर हैंडल से जांच रिपोर्ट साझा करते हुए वीडियो वायरल करने वालों को नसीहत दी है।
उपाध्याय हास्पिटल के बाहर का वीडियो 28 अप्रैल को वायरल हुआ था। इस वीडियो के वायरल होने के बाद एडीजी राजीव कृष्ण ने जांच के निर्देश दिए थे।इसकी जांच एसपी सिटी बोत्रे राेहन प्रमोद कर रहे हैं।उधर, डीएम प्रभु एन सिंह ने एसीएम चतुर्थ और डिप्टी कलेक्टर परिवीक्षाधीन को मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश दिए। शुक्रवार को डीएम प्रभु एन सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल से जांच रिपोर्ट साझा की। इसमें कहा गया है कि उपाध्याय हास्पिटल के बाहर पुलिस के सामने गिड़गिड़ाता युवक अंश गोयल है। जांच अधिकारियों ने अंश गोयल और उसके भाई अनमोल गोयल से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि उनकी मां ऊषा गाेयल उपाध्याय हास्पिटल में भर्ती थीं। 26 अप्रैल की रात को उनकी आक्सीजन परिपूर्णता घट रही थी। इसके बाद उनकी मौत हो गई। की रिपोर्ट उपाध्याय हास्पिटल से ली गई। दोनों भाई क्वारंटीन हैं। अंश ने एंबुलेंस चालक अनवर की मदद से आक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था कर ली, लेकिन रेगुलेटर नहीं मिला।अंश पुलिसकर्मियों ने रेगुलेटर की व्यवस्था करने को आग्रह कर रहा था। जबकि पास से जाते हुए दो युवक किसी मरीज के तीमारदार हैं, जो खाली सिलिंडर भरवाने के लिए ले जा रहे थे। अंश गोयल और उनके भाई अनमोल ने कहा कि उनसे किसी ने सिलिंडर नहीं छीना और न ही पुलिसकर्मी वीआइपी के लिए आक्सीजन सिलिंडर ले जा रहे थे। हास्पिटल के डा. मनोज शर्मा ने बयान दिए कि ऊषा गोयल को सीआरपी दिया गया, लेकिन उनके दोनों बेटे रूम नंबर चार में मौजूद नहीं थे।हास्पिटल में ऊषा गोयल को आक्सीजन व अन्य उपचार मुहैया कराया, लेकिन अधिक गंभीर हालत होने के कारण ऊषा नहीं बच सकीं। जांच रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि वायरल वीडियो में प्रसारित सूचना पूरी तरह असत्य है। यह घटना 26-27 अप्रैल की रात की है। जबकि 28 को वीडियो वायरल करके लोगों को गुमराह किया गया। डीएम ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि किसी प्रकार की घटना के तथ्य और वीडियो को इंटरनेट मीडिया पर लिखने से पहले दोनों पक्ष की वास्तविकता जानना जरूरी होता है।