Bird flu in Agra: आगरा में नेजल और क्लोका सैंपल लेकर पशु चिकित्सक ढूंढ रहे हैं बर्ड फ्लू के लक्षण
पक्षियों की नाक की लार (नेजल) और मल या ब्लड (क्लोका) की सैंपलिंग। घरेलू मुर्गा-मुर्गियों की भी होगी जांच। सैंपल को भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) बरेली जांच के लिए भेजा जाता है। पॉजिटिव पाए जाने पर विस्तृत रिपोर्ट आएगी और नेगेटिव होने पर संक्षिप्त जानकारी मिलेगी।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा की सीमा से सटे राज्याेें व कानपुर चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू फैलने के कारण पशु चिकित्सक प्रभावित पक्षियों की तलाश कर रहे हैं। इसके लिए 15 टीमें नेजल और क्लोका सैंपल ले रही हैं, लेकिन अभी तक एक भी पक्षी बर्ड फ्लू से प्रभावित नहीं मिला है।
उप्र, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल सहित दस राज्यों में बर्ड फ्लू पैर पसार रहा है। यह बीमारी आगरा में पहुंची या नहीं, यह पता करने के लिए पशु चिकित्सक दिनभर दौड़ रहे हैं। इसके लिए हर पोल्ट्री फार्म व चिकिन विक्रेताओं दुकानों पर रखी मुर्गा-मुर्गियों का नेजल और क्लोका सैंपल ले रहे है। जिसे भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) बरेली जांच के लिए भेजा जाता है। पॉजिटिव पाए जाने पर वहां से विस्तृत रिपोर्ट आएगी और नेगेटिव होने पर संक्षिप्त जानकारी मिलेगी।
यह है नेजल और क्लोका सैंपलिंग
मुख्य पशु चिकित्सक वीएस तोमर ने बताया कि मुर्गा-मुर्गी सहित अन्य पक्षियों का नेजल और क्लोका सैंपल लिया जाता है। नेजल में पक्षी की नाक की लार का सैंपल होता है और क्लोका मेंं मल या ब्लड का सैंपल लिया जाता है।
बरतनी होती है सावधानी
- मुर्गी फार्म संचालक व चिकिन विक्रेताओं पक्षियों को मुर्गा-मुर्गियों को दाना-पानी खिलाते वक्त बहुत सावधानी बरतनी होगी। जिससे पक्षियों की लार उनसे लग न पाए।
- दाना-पानी के बर्तन भी ऐसी जगह रखें, जिससे कोई बर्तनों के संपर्क में न आए। घर की छत पर आने वाले पक्षी दूसरे के घर में ड्रापिंग न करें।