सिकुड़ रही उटंगन नदी, फसलों की सिचाई की चिता
शमसाबाद में पानी खरीदकर हो रही फसलों की सिचाई पीने के पानी का भी संकट ले रहा विकराल रूप
आगरा, जागरण संवाददाता। तीन राज्यों की भूमि को सिचित करने वाली उटंगन नदी ने शमसाबाद क्षेत्र में आंचल क्या समेटा, किसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। नदी का आकार सिकुड़ रहा है, जिससे किनारे के खेत-खलिहान भी सिचाई को तरस रहे हैं। मजबूरन किसानों को पानी खरीदकर सिचाई करनी पड़ रही है। वहीं क्षेत्र में लगातार गिरते भूगर्भ जलस्तर से पेयजल संकट भी विकराल रूप ले रहा है।
यमुना और चंबल नदी की सहायक नदी की पहचान रखने वाली उटंगन नदी में जलस्तर बढ़े, इसके लिए किसानों ने जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसरों तक शिकायतें कीं लेकिन उनकी पानी की समस्या का समाधान नहीं हो सका। किसान कहते हैं कि पूरे वर्ष में एक महीने भी नदी लबालब नहीं रहती है। दो दशक पहले यहां बाढ़ के हालत बन गए थे। जलसंकट विकराल रूप ले रहा है, गांवों के कुएं भी सूख चुके हैं। सबमर्सिबल और नलकूप के सहारे ही किसानों का जीवन यापन हो रहा है। बड़े किसान नलकूप से घंटे के हिसाब से छोटे किसानों को पानी बेचते हैं।
यहां बहती है उटंगन की धारा
उटंगन नदी राजस्थान की ओर से जगनेर, खेरागढ़, सैंया, राजाखेड़ा, शमसाबाद, फतेहाबाद, पिनाहट, इलाकों में बहती है। सूख गई कुइयां
भोलेनाथ मंदिर के पास पानी पीने के लिए कुइयां बनाई गई थीं। इनकी गहराई तब 20 से 25 फीट ही थी। इस स्तर पर भी पानी आ जाता था। वर्तमान में ज्यादातर कुइयां सूख चुकी हैं। ये हैं प्रमुख समस्याएं
1. ग्रामीण क्षेत्र में विद्युत सप्लाई मात्र 10 से 12 घंटे।
2. खेलकूद के लिए स्टेडियम की दरकार।
3. गांव में जगह-जगह गंदगी के ढेर।
4. बेसहारा पशुओं की समस्या।
5. शमसाबाद में नियमित रूप से रोडवेज बसों का संचालन न होना।
6. नहरों की साफ सफाई न होने से नहीं हो रही खेतों की सिचाई।
7. खराब पड़े हैंडपंप और सरकारी ट्यूबवेल।
8. गांवों में लगी टंकियां खराब पड़ी हैं। ये हैं प्रमुख मांगें
1. तालाबों की खोदाई कराई जाए, इनका सुंदरीकरण हो।
2. शमसाबाद - राजाखेड़ा, सैंया - शमसाबाद- फतेहाबाद मार्ग पर रोडवेज बसों का संचालन शुरू हो।
3. छात्र-छात्राओं के पढ़ने के लिए सरकारी महाविद्यालय खोला जाए।
4. खिलाडि़यों के लिए हो स्टेडियम का निर्माण।
5. बेसहारा गोवंश को गोशालाओं में भिजवाया जाए।
6. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए व्यवस्थाएं हों।
7. आलू किसानों के लिए लगाई जाए फैक्ट्री।
8. सुविधाओं से लैस सरकारी अस्पताल, जहां सभी चिकित्सकों की तैनाती हो।
वर्जन..
खेतों की सिचाई के लिए पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। हमें अपने खेतों की सिचाई के लिए मोल पानी खरीदना पड़ रहा है। उटंगन नदी में पानी मिलेगा तो समस्या समाप्त हो जाएगी।
रवींद्र सिंह, गढ़ी केसरी जब उटंगन नदी लबालब थी, तब आसपास जलस्तर 30 से 35 फीट था। कुओं में भी पानी मिल जाता था। नदी सूखने के बाद अब जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
सोलूराम, पुरा सूरजमल रात-रात भर जागकर अपने खेतों की रखवाली करनी पड़ती है। जरा सी निगाह हटते ही बेसहारा गोवंश फसलों को उजाड़ देते हैं। जनप्रतिनिधियों को गोशालाएं बनवानी चाहिए।
बाबा हेत सिंह, मंदिर पुजारी गांव में खेलकूद की प्रतिभाएं तो हैं लेकिन उन्हें बेहतर स्थान नहीं मिल पाता। युवा सड़कों के किनारे ही दौड़ लगाते हैं। इससे हादसों का खतरा बना रहता है।
दिवान सिंह, ठार पुल