नदी में कोई डूब रहा है तो नहीं बचा पाएगी अब उप्र पुलिस

प्रदेश के सभी जिलों में नहीं हैं स्वीमिंग पूल। कांस्टेबल प्रशिक्षण से बाहर हुई गोताखोरी।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 04:48 PM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 04:48 PM (IST)
नदी में कोई डूब रहा है तो नहीं बचा पाएगी अब उप्र पुलिस
नदी में कोई डूब रहा है तो नहीं बचा पाएगी अब उप्र पुलिस

आगरा[यशपाल सिंह चौहान]: पुलिसकर्मी अपराध पर अंकुश और अपराधियों की धरपकड़ ही नहीं करते। भंवर में फंसे लोगों की जिंदगी भी बचाते रहते हैं। इसके लिए उन्हें बाकायदा प्रशिक्षण भी दिया जाता है। मगर, इस बार रंगरूटों को ट्रेनिंग के लिए तैराकी की लहरें खामोश हैं। कारण, शासन ने ही प्रशिक्षण पाठयक्रम से तैराकी को हटा दिया है।

आगरा की पुलिस लाइन में 25 जुलाई से 202 कांस्टेबल रंगरूट प्रशिक्षण ले रहे हैं। छह माह के इस प्रशिक्षण में उन्हें पुलिस के कार्यकलापों में दक्ष बनाने का प्रयास होगा। अब तक इस प्रशिक्षण में रंगरूटों को तैराकी भी सिखाई जाती थी। मगर, इस बार प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से मुख्यालय स्तर से तैराकी को निकाल दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि सभी जिलों में स्वीमिंग पूल न होने के कारण ऐसा किया गया है।

यह है पाठ्यक्रम

पुलिसकर्मियों को छह माह में शारीरिक और कानूनी प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें आइपीसी और सीआरपीसी की प्रमुख धाराओं की जानकारी प्रमुख है। साइबर क्राइम, कंप्यूटर, विधि विज्ञान, एवीडेंस एक्ट, पुलिस विज्ञान, सुरक्षा, लोक व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, पुलिस रेडियो, भीड़ नियंत्रण, गाडिय़ों की ड्यूटी, बंदी एस्कॉर्ट, हवालात ड्यूटी, विवेचना, अभियोजन, पुलिस रेगुलेशन, पुलिस का इतिहास एवं पुलिस संगठन, अंतर विभागीय सामंजस्य, पुलिस कार्य प्रणाली और अन्य शासनादेशों के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है।

उच्च स्तर से लिया गया निर्णय

'रंगरूटों को निर्धारित पाठ्यक्रम के तहत ही ट्रेनिंग दिलाई जा रही है तैराकी को पाठ्यक्रम से बाहर करने का निर्णय उच्च स्तर से हुआ है। इसलिए इस बार तैराकी का प्रशिक्षण नहीं दिलाया जाएगा।Ó

अमित पाठक, एसएसपी

chat bot
आपका साथी