निरक्षरों के हाथों में कई ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की कमान
जिला पंचायत के 51 में से आठ सदस्य निरक्षर कई गांवों के प्रधान भी हैं निरक्षर
51 सदस्य जिला पंचायत
05 सदस्य परास्नातक
08 सदस्य स्नातक
08 सदस्य इंटरमीडिएट
11 सदस्य हाईस्कूल
06 सदस्य जूनियर हाईस्कूल
04 सदस्य प्राइमरी
08 सदस्य निरक्षर
01 सदस्य अन्य आगरा, (राजीव शर्मा)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार तमाम निरक्षर जनप्रतिनिधि चुनकर पहुंचे हैं। कई गांवों के प्रधान ही नहीं, जिला पंचायत के आठ सदस्य भी निरक्षर हैं। इनमें अधिकांश महिलाएं हैं। अब इन्हीं के हाथों में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की कमान होगी। चुनिदा जनप्रतिनिधि ही स्नातक या परास्नातक हैं।
तमाम विवादों के बीच पंचायत चुनाव का परिणाम घोषित हो चुका है। जल्द ही प्रधान, जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष कमान संभाल लेंगे। जिला व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतकर आए सदस्य करेंगे। चुनकर आए प्रधान भी अपनी गांव की सरकार संभालने को बेताब हैं। पंचायत चुनाव में तमाम निरक्षर जनप्रतिनिधि भी चुनकर आए हैं। शतप्रतिशत साक्षरता का दावा करने वाले सिस्टम में अब ये तमाम निरक्षर प्रतिनिधि शामिल होंगे। ये जिला पंचायत सदस्य हैं निरक्षर
वार्ड नंबर सदस्य
05 हेमलता
10 विरमा देवी
12 रामरती
13 विमलेश देवी
24 रेखा चाहर
26 सावित्री देवी
27 मिथिलेश
45 रामऔतार ये प्रधान हैं निरक्षर
अकोला ब्लाक की ग्राम पंचायत सिरौली की प्रधान गुड़िया, बसैया बोबला प्रधान मुनेश देवी, बसैरी चाहर प्रधान उदय सिंह, बसैया जोतराज प्रधान संगीता देवी। बिचपुरी ब्लाक के बमरौली अहीर की प्रधान इंद्रावती। बरौली अहीर ब्लाक में नैनाना जाट की प्रधान मीरा देवी, रोहता प्रधान मुन्नी, ककुआ प्रधान भूदेवी, भहाई प्रधान आशा, देवरी प्रधान महाराज सिंह, बिसैरा कलां प्रधान कलावती। खेरागढ़ ब्लाक के डांडा प्रधान दुर्गेश, सालनगर प्रधान कैलाशी, चीत प्रधान बनिया, औरगपुर प्रधान मुन्नी, लालपुर प्रधान लीला देवी। फतेहाबाद ब्लाक के बगमपुर प्रधान कोमल सिंह, जरारी प्रधान पूनम, फतेहाबाद देहात प्रधान सावित्री देवी, रामगढ़ प्रधान लक्ष्मी देवी। जैतपुर ब्लाक की महुआशाला प्रधान कपूरी देवी, शाहपुर गूजर प्रधान सुनीता देवी। सिर्फ नाम की होती हैं महिला प्रधान
अधिकांश महिला प्रधान अभी भी घर ही संभालती हैं। प्रधान के तौर पर उनके पति ही सक्रिय रहते हैं। महिला प्रधान कभी-कभी बैठकों में ही नजर आती हैं। यही हाल जिला पंचायत का है। यहां भी जो महिला सदस्य चुनकर आई हैं, वह सिर्फ सरकारी कागजों पर हस्ताक्षर करने तक ही सीमित रहती हैं। इनके पति ही सभी फैसले लेते हैं।