साइबर शातिरों को डाटा देने वाली महिला समेत दो गिरफ्तार

पिछले माह साइबर शातिर भेजे थे जेल फरार महिला पर था 25 हजार का इनाम एसटीएफ नोएडा यूनिट और खेरागढ़ पुलिस ने की कार्रवाई एक और आरोपित फरार

By JagranEdited By: Publish:Wed, 10 Feb 2021 05:55 AM (IST) Updated:Wed, 10 Feb 2021 05:55 AM (IST)
साइबर शातिरों को डाटा देने वाली महिला समेत दो गिरफ्तार
साइबर शातिरों को डाटा देने वाली महिला समेत दो गिरफ्तार

आगरा,जागरण संवाददाता। साइबर शातिरों को बैंक के क्रेडिट कार्ड धारकों का डाटा मुहैया कराने वाली महिला समेत दो लोगों को पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। महिला पर 25 हजार रुपये का इनाम था। इस गैंग से जुड़े कुछ और नाम सामने आए हैं। उनकी तलाश की जा रही है।

खेरागढ़ के भिलावली निवासी गजेंद्र सिंह से तीन नवंबर 2020 को गैंग ने 20.58 हजार रुपये की ठगी कर ली थी। उन्होंने खेरागढ़ थाने में 22 जनवरी को मुकदमा दर्ज कराया था। जांच में पता चला था कि दिल्ली का गैंग फर्जी आनलाइन शापिग कंपनी की साइट बनाकर लोगों से ठगी कर रहा है। शातिर विभिन्न बैंकों के क्रेडिट कार्ड धारकों का डाटा चोरी कर लेते हैं। क्रेडिट कार्ड घर पहुंचने वाले दिन ही ग्राहकों को काल करके ओटीपी समेत अन्य जानकारी ले लेते थे। इसके बाद फर्जी शापिग साइट पर उनके क्रेडिट कार्ड से शापिग कर लेते और साइट की मदद से खातों में रुपये ट्रांसफर कर लेते थे। 27 जनवरी को खेरागढ़ पुलिस और एसटीएफ नोएडा यूनिट ने नई दिल्ली निवासी गैंग के सरगना सौरभ समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर मामले का पर्दाफाश किया था। इस गैंग को ग्राहकों का डाटा देने वाली नई दिल्ली के मोहन गार्डन निवासी शिल्पी उर्फ मोनिका फरार थी। एसएसपी बबलू कुमार ने इस पर 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था। मंगलवार को एसटीएफ नोएडा यूनिट और खेरागढ़ पुलिस ने शिल्पी और उसके साथी नई दिल्ली के निहाल नगर क्षेत्र में नागलोई निवासी दिनेश उर्फ सुलेमान को दिल्ली के उत्तम नगर से गिरफ्तार कर लिया। 10 रुपये में डाटा लेकर 35 रुपये में बेचती थी युवती

शिल्पी ने पुलिस को बताया कि वह दिनेश उर्फ सुलेमान और नदीम से बैंकों के क्रेडिट कार्ड धारकों का डाटा 10 रुपये प्रति ग्राहक के हिसाब से लेती थी। इसे सौरभ और आस मोहम्मद को 35 रुपये प्रति ग्राहक के हिसाब से बेचती थी। दिनेश एसबीआइ के काल सेंटर का काम देखने वाले वेंडर के यहां काम करता था। इसीलिए उसके पास बैंक का डाटा रहता था। वहां से ही वह डाटा चोरी कर लेता था। साथ में काम करने वाला प्रदीप भी उसकी मदद करता था। वह मौके से फरार हो गया। दिनेश ने अपने मोबाइल से शिल्पी की चैट डिलीट कर दी थी। दूसरा मोबाइल उसने तोड़ दिया। शिल्पी के मोबाइल में कई फाइलों में ग्राहकों के मोबाइल नंबर और उनके खाते संबंधी जानकारी मिली है। पुलिस ने शिल्पी के खातों की जानकारी की। इससे पता चला है कि छह माह में उसके खाते से 17 लाख रुपये का लेन-देन हुआ है। पहले वह भी काल सेंटर में काम करती थी। छह माह पहले ही उसने अपनी बहन मोनिका के नाम से यह काम शुरू किया। वह मोनिका के नाम से काल करती थी। उसके बैंक खाते में भी रुपये जमा कराए हैं। उसने गैंग के पकड़े जाने के बाद दो दिन में खाते से दो लाख रुपये निकाल लिए।

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