दीवान-ए-खास के पिलर पर लगेगा टफन ग्लास

ताजमहल में जो नहीं हो सका वो फतेहपुर सीकरी में किया जाएगा सैलानियों के स्पर्श से पिलर को बचाने के लिए एएसआइ लगाएगा ग्लास

By JagranEdited By: Publish:Tue, 06 Jul 2021 08:30 PM (IST) Updated:Tue, 06 Jul 2021 08:30 PM (IST)
दीवान-ए-खास के पिलर पर लगेगा टफन ग्लास
दीवान-ए-खास के पिलर पर लगेगा टफन ग्लास

आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) जो काम ताजमहल में नहीं कर सका था, वो फतेहपुर सीकरी में करने जा रहा है। यहां दीवान-ए-खास के पिलर के चारों ओर टफन ग्लास लगाया जाएगा। इससे सैलानी पिलर को स्पर्श नहीं कर सकेंगे, जिससे वो गंदा नहीं होगा।

एएसआइ ने फतेहपुर सीकरी में दीवान-ए-खास के पिलर के चारों ओर लकड़ी की रेलिग लगाई है। रेड स्टोन से बना पिलर सैलानियों के छूने के चलते उस पर धब्बे नजर आने लगे हैं। अधीक्षण पुरातत्वविद डा. वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि पिलर के संरक्षण को यह काम किया जा रहा है। सैलानी पिलर को स्पर्श नहीं कर सकेंगे, जिससे वो साफ रहेगा। इससे व्यू भी प्रभावित नहीं होगा और ग्लास को गंदा होने पर आसानी से साफ भी किया जा सकेगा। ताजमहल में लगाने का बना था प्रस्ताव

ताजमहल में मुख्य मकबरे में कब्रों वाले कक्ष के चारों ओर संगमरमरी जाली लगी हुई है। वर्ष 2014 में जाली और कक्ष की दीवारों को सैलानियों के स्पर्श से हो रहे नुकसान से बचाने को टफन ग्लास लगाने का प्रस्ताव बनाया गया था। इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका था। बाद में स्टील की रेलिग लगाकर सैलानियों को जाली व दीवारों को छूने से रोका गया। टफन ग्लास

टफन ग्लास, सामान्य ग्लास की अपेक्षा छह गुना मजबूत होता है। रासायनिक व थर्मल ट्रीटमेंट द्वारा इसे अधिक मजबूत बनाया जाता है। टूटने पर यह छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर जाता है, जबकि सामान्य ग्लास टूटने पर नुकीले टुकड़ों में बंट जाता है। घरों में दरवाजे, रेलिग, टेबल आदि में भी इसका उपयोग होता है। यह लगने के बाद प्राचीन स्मारक सुरक्षित हो जाएंगे, पर्यटक उन्हें क्षति नहीं पहुंचा पाएंगे।

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